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अपने ही सम्मान के लिए उदासीनता दिखा रहे शिक्षा विभाग के कर्मचारी, कारण जान हैरान रह जाएंगे आप

locationजोधपुरPublished: Dec 15, 2017 03:43:26 pm

Submitted by:

Abhishek Bissa

मंत्रालयिक पुरस्कार समारोह में तीन साल से जा रहे केवल एक कार्यालय से आवेदन
 

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जोधपुर . शिक्षा विभाग के मंत्रालयिक कर्मचारियों का राज्य स्तरीय सम्मान समारोह निदेशालय बीकानेर में १६ दिसंबर को होगा। जानकर हैरानी होगी कि सम्मान समारोह को लेकर शिक्षा विभाग के लिपिकों में रुचि नहीं है। जोधपुर संभाग में शिक्षा विभाग के ११ से ज्यादा कार्यालयों में से सिर्फ उप निदेशक माध्यमिक शिक्षा से ही पिछले तीन सालों से सम्मान की प्रविष्टी भेजी जा रही है। संभाग भर में शिक्षा विभाग के करीब एक हजार लिपिक हैं। केवल एक प्रविष्टी जोधपुर से जा रही है।
जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक, उपनिदेशक प्रारंभिक, जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक प्रथम व द्वितीय से कोई आवेदन नहीं भेजा गया। जानकारी है कि उच्च स्तर के अधिकारी कार्यक्रम में नहीं आने के कारण कई ने कार्यक्रम को स्वाभिमान का विषय बना लिया है। इस कारण से भी सम्मान समारोह पिछले कई सालों से महज औपचारिकता बना हुआ है।
प्रचार-प्रसार का अभाव

जानकारी अनुसार सम्मान को लेकर व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार नहीं किया जाता है। सम्मान समारोह की जानकारी महज शिक्षा विभाग के कार्यालयों तक सिमट कर रह जाती है। स्कूलों में लगे बाबुओं को इसकी सूचना नहीं होती है।
नकद पुरस्कार नहीं मिलता

सम्मान समारोह में शिक्षकों की तरह बाबुओं को नकद पुरस्कार नहीं दिया जाता है। इसके अलावा शिक्षक दिवस पर आयोजित होने वाले समारोह में प्रति वर्ष शिक्षा मंत्री स्वयं उपस्थित रहते हैं, लेकिन मंत्रालयिक कर्मचारियों के सम्मान समारोह में कई बार तो निदेशक तक मौजूद नहीं रहते। इस बात से कर्मचारी खफा है। समारोह में लिपिकों को महज श्रीफल व शील्ड देकर भेज दिया जाता है। इस कारण कई कर्मचारी बीकानेर जाने से कतराते हैं।
कर रखा है बहिष्कार

विधानसभा से लेकर शिक्षा कार्यालयों के तमाम कार्यों की जिम्मेदारी बाबुओं की है। सरकार उन्हें महज माला पहनाकर सस्ते में खुश कर रही है। कर्मठ लिपिकों की पहचान कर नकद पुरस्कार देना चाहिए। हमारे कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री व निदेशक तक नहीं आते। इसलिए हमने इस सम्मान का बहिष्कार कर रखा है।
– पूनमचंद व्यास, प्रदेशाध्यक्ष, राजस्थान राज्य कर्मचारी संघ

प्रचार-प्रसार की कोई कमी नहीं

हम कई बार डीईओ को फाइलें मंगवाने के लिए कह चुके हैं। प्रचार-प्रसार कोई कमी नहीं है। नकद पुरस्कार देना या नहीं देना सरकार की पॉलिसी है।
बंशीधर गुर्जर, उप निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, जोधपुर मंडल

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