आयुर्वेद का काढ़ा दिखाएगा कमाल, लंदन तक पहुंची अश्वगंधा
– कोरोना के बाद बढ़ी आयुर्वेद की चमक- देश में आयुर्वेद पर शुरू 138 शोध परियोजनाएं – विभिन्न देशों के साथ 33 समझौते – एक वर्ष में आयुर्वेद दवा निर्माण की 593 नई कम्पनियों को लाइसेंस
आयुर्वेद का काढ़ा दिखाएगा कमाल, लंदन तक पहुंची अश्वगंधा
सिकन्दर पारीक
जोधपुर। कोरोना के बाद जहां काढ़ा घर-घर पहुंचा, वहीं भारतीय आयुर्वेद पद्धति की धमक वैश्विक स्तर तक पहुंच गई है। ब्रिटेन और जर्मनी में अश्वगंधा और गिलाय से बनी औषधियों का परीक्षण कोविड मरीजों पर किया जा रहा है। कोरोना संक्रमण से लडऩे में आयुर्वेद औषधियों व वनस्पतियों से उपचार को लेकर गठित उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों के बाद देश में 138 अनुसंधान अध्ययन शुरू कर दिए गए हैं। कोरोना से बचाव को लेकर आमजन व चिकित्सकों के लिए अलग-अलग एडवाइजरी जारी की गई है। हल्के से मध्यम लक्षण वाले कोविड मरीजों पर आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान की ओर से विकसित औषधियों का प्रयोग सफल माना गया है। इससे 63265 रोगी लाभान्वित हुए। केन्द्र के आयुष संजीवनी मोबाइल एप पर 1.35 करोड़ प्रतिभागियों में से 89.8 प्रतिशत ने कोविड से लडऩे में आयुर्वेद से लाभ पर सहमति जताई।
ब्रिटेन में अश्वगंधा का परीक्षण
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान दिल्ली की ओर से लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के साथ ब्रिटेन के तीन शहरों लीसेस्टर, बर्मिघम और लंदन में कोराना प्रभावित 2000 लोगों पर अश्वगंधा का प्रभाव जानने के लिए परीक्षण किया जा रहा है। इसी तरह कोविड संक्रमण से लडऩे में गिलोय से बनी गोलियों के अनुसंधान को लेकर जर्मनी के साथ करार किया गया है।
देश से लेकर विदेश में शोध शुरू
कोविड के बाद देश में आयुष अनुसंधाान एवं विकास कार्यदल का गठन किया गया। इसमें एम्स, आइसीएमआर,सीएसआइआर और आयुष संस्थाओं के वैज्ञानिक प्रतिनिधियों को शामिल कर कोरोना पॉजीटिव मामलों में अश्वगंधा, यष्टिमधु, गुडुची, पिप्पली, पॉली हर्बल औषध योग का अध्ययन किया। कार्यदल की सिफारिश के बाद आयुष उपचारों पर देश में 138 अनुसंधान अध्ययन शुरू किए गए। पारम्परिक चिकित्सा के अनुसंधान को लेकर संयुक्त राज्य अमरीका, जर्मनी, मलेशिया, बा्रजील और ब्रिटेन सहित विभिन्न देशों के 33 विवि व संस्थानों के साथ करार किया गया।
एक वर्ष में आश्चर्यजनक बदलाव
– वर्ष 2020-21 में आयुर्वेद दवा निर्माण की 593 नई कम्पनियों को लाइसेंस दिए गए।
– आयुष कारोबार में 5 से 6 प्रतिशत की सालान वृद्धि दर्ज की गई है।
– आयुष उपचारों पर शोध के लिए वर्ष 2020-21 में 264.16 करोड़ खर्च
– कोविड से लडऩे देश में 66045 कार्मिक और 33 हजार आयुष मास्टर प्रशिक्षित
– आयुष पाठ्यक्रमों की पढ़ाई के लिए 101 देशों के पात्र विदेशियों को छात्रवृत्ति
– आयुष और हर्बल औषधियों का निर्यात बढकऱ 1.54 बिलयन अमरीकी डॉलर
– देश में 932301 वृद्धों को निशुल्क आयुर्वेद औषधी वितरित, इसमें राजस्थान के 52998 वृद्ध शामिल
– 2021-22 से वर्ष 25-26 तक के लिए आयुष औषधी गुणवत्ता योजना शुरू
– नर्सरी से लेकर 12वीं तक आयुर्वेद व योग आधारित पाठ्यक्रम का खाका तैयार
इनका कहना है
कोई संदेह नहीं है कि आयुर्वेद की चमक वैश्विक स्तर तक पहुंची है। अश्वगंधा, मुलेठी, गिलोय सहित कई वनस्पतियों से निर्मित औषधियां कोरोना संक्रमण से लडऩे में कारगर साबित हुई। इन पर शोध किया गया। एम्स जोधपुर सहित करीब 19 संस्थान शामिल थे। रिसर्च के नतीजों के आधार पर नए सिरे से कार्य चल रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में गोद लिए गए तीन गांवों सहित जोधपुर के शहरी इलाकों में भी घर-घर काढ़ा वितरित किया गया। अब तीसरी लहर के मद्देनजर पूरी तरह तैयार हैं। शीघ्र ही एडवाइजरी जारी करेंगे।
प्रो. अभिमन्यु कुमार कुलपति, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन राजस्थान आयुर्वेद विवि जोधपुर
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