इसके लिए संबंधित विश्वविद्यालय अपने स्तर पर विषयों का कॉन्बिनेशन तय करेंगे। यह व्यवस्था स्नातक, स्नातकोत्तर और डिप्लोमा स्तर पर लागू होगी। पीएचडी और एमफिल के लिए इसे लागू नहीं किया जाएगा। संभवतया इसी शैक्षणिक सत्र से यूजीसी इसके लिए गाइडलाइन तैयार करके विश्वविद्यालयों को भेजेगी। गौरतलब है कि वर्तमान में कोई भी दो फुल टाइम कोर्स एक साथ नहीं कर सकते।
नई शिक्षा नीति:2020 विद्यार्थियों को अपने मनपसंद विषय पढ़ने की छूट देता है। शिक्षा नीति उसे डिग्री के बंधन से आजाद करना चाहती है। इसी के अनुरूप यूजीसी अब बड़े बदलाव की तैयारी कर रही है। बीए, बीएससी, बीकॉम के कई विषय एक साथ पढ़ने की व्यवस्था ऑनलाइन, ऑफलाइन और ओपन डिस्टेंस लर्निंग सभी मोड पर लागू की जाएगी।
आईआईटी जोधपुर ने 2 साल पहले लागू की व्यवस्था आईआईटी जोधपुर में बीटेक प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने के बाद द्वितीय वर्ष में विद्यार्थी अपनी इच्छा अनुसार कुछ विषय स्पेशलाइजेशन के तौर पर चुन सकता है। उनकी डिग्री विद्यार्थी को अलग से दी जाएगी। आईआईटी जोधपुर ने एम्स जोधपुर के साथ मिलकर टेक्नोलॉजी और मेडिकल की मिश्रित डिग्री मेडिटेक शुरू की है। इसी तर्ज पर अब देश के अन्य विश्वविद्यालय भी स्पेशलाइजेशन पढ़ाई करवाएंगे। बीए, बीएससी, बीकॉम में प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने के बाद द्वितीय वर्ष में पसंदीदा विषय चुनने का अधिकार रहेगा।
दोनों डिग्री एक ही लेवल पर मिलेगी यूजीसी के अनुसार दोनों पाठ्यक्रम एक ही स्तर के होंगे यानी स्नातक के साथ स्नातक विषय और स्नातकोत्तर के साथ स्नातकोत्तर विषय की डिग्री ले सकेंगे। एक विषय स्नातक और दूसरा स्नातकोत्तर ऐसा समन्वय अभी नहीं किया जाएगा।
क्यों पड़ी जरुरत - देश में उच्च शिक्षा के स्तर पर डिमांड- सप्लाई में बहुत बड़ा अंतर है। आवेदन करने वाले छात्रों में से केवल 3 फ़ीसदी को ही कैंपस में प्रवेश मिल पाता है।
- कई विश्वविद्यालय कुछ विषयों के ऑनलाइन और ओपन डिस्टेंस लर्निंग कोर्स चलाते हैं लेकिन छात्र चाह कर भी एक साथ दो कोर्स में एडमिशन नहीं ले पाते हैं। बच्चों को ध्यान में रखकर बनेगा टाइम टेबल
मल्टीपल कोर्स व्यवस्था लागू होने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर टाइम टेबल बनाएगा जिससे सभी विषयों की पढ़ाई के लिए अलग-अलग स्लॉट मिल सके।