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बीसीआइ सभी पक्षों की सुनवाई के बाद पारित करे विधि सम्मत आदेश – हाईकोर्ट

locationजोधपुरPublished: Aug 05, 2019 11:38:53 pm

Submitted by:

yamuna soni

-बार कौंसिल चेयरमैन और कार्यकारी समिति में खींचतान का मामला

BCI should pass the order of law after hearing all the parties - HC

बीसीआइ सभी पक्षों की सुनवाई के बाद पारित करे विधि सम्मत आदेश – हाईकोर्ट

जोधपुर.

राजस्थान हाईकोर्ट (rajasthan highcourt) ने सोमवार को बार कौंसिल ऑफ राजस्थान (Bar Council of Rajasthan) के चेयरमैन और कार्यकारी समिति के बीच विवाद के मामले में स्पष्ट किया कि यह मामला बार कौंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) के स्तर पर लंबित है, लिहाजा वही सभी पक्षों की सुनवाई के बाद कानूनी प्रावधानों के अनुरूप आदेश पारित करेगा।
कोर्ट ने हाईकोर्ट की एकलपीठ की और से पारित आदेश के संबंध में कहा कि यदि आवश्यकता हो तो उचित कारण उल्लेखित करते हुए आदेश में अपेक्षित बदलाव किया जा सकता है।

हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 24 जुलाई को बीसीआइ के चेयरमैन मननकुमार मिश्रा (BCI chairman Mannakumar Mishra) के उस आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी, जिसमें उन्होंने बीसीआर की कार्यकारी समिति के दो प्रस्तावों पर स्थगन आदेश पारित किया था।
एकलपीठ के आदेश को बीसीआर चेयरमैन चिरंजीलाल सैनी (BCR Chairman Chiranjilal Saini) ने खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी।

इस पर दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश एस. रविंद्र भट्ट और न्यायाधीश विनित कुमार माथुर की खंडपीठ ने यह कहते हुए अपील निस्तारित कर दी कि बार कौंसिल ऑफ इंडिया के क्षेत्राधिकार के संबंध में आपत्ति को लेकर सभी पक्षकारों के अधिकार बने रहेंगे।
हालांकि, कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि समग्र तथ्यों को देखते हुए अपीलाधीन आदेश में हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। इस तरह खण्डपीठ ने बीसीआइ की कार्यवाही को लेकर अनिश्चितता दूर कर दी।
अपीलार्थी के अधिवक्ता सुनील समदडिय़ा ने कोर्ट को बताया कि एकलपीठ ने जिन कारणों को उल्लेखित करते हुए एकपक्षीय आदेश दिया था, वह न्यायोचित नहीं है, क्योंकि बार कौंसिल का गठन भी एडवोकेट्स एक्ट के तहत हुआ है और बीसीआइ को निगरानी सुनने का अधिकार है। जबकि प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता विकास बालिया ने पैरवी की।
कब-क्या हुआ
12 जुलाई – कौंसिल की कार्यकारी समिति के सदस्यों ने बैठक आहूत करने की मांग की, जिसकी सूचना सचिव ने चेयरमैन चिरंजीलाल सैनी को दी। उन्होंंने बैठक 10 अगस्त को आहूत करने को कहा।
13 जुलाई – चेयरमैन ने सचिव व अन्य सदस्यों को सुबह तीन ईमेल भेजे। पहले ईमेल में सचिव पर पद के दुरुपयोग व अन्य आरोप लगाते हुए अग्रिम आदेश तक कार्य नहीं करने, दूसरे ईमेल में दो कार्मिकों को सचिव का कार्यभार संभालने और तीसरे ईमेल में वरिष्ठ सदस्य जगमालसिंह चौधरी को चैक हस्ताक्षरित करने तथा अन्य नियमित कार्य संपादित करने के अधिकार को विड्रा किया गया।
13 जुलाई – कार्यकारी समिति के सदस्यों की आपात बैठक में विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल हुए। चेयरमैन द्वारा ईमेल से दिए गए आदेशों को क्षेत्राधिकार से बाहर बताते हुए निरस्त करने का निर्णय।
20 जुलाई -न चेयरमैन सैनी ने कार्यकारी समिति गठित करने का आदेश विड्रा किया। 21 जुलाई को प्रस्तावित बैठक निरस्त की और सचिव को कार्य नहीं करने को कहा।
23 जुलाई – अचानक बीसीआइ चेयरमैन मननकुमार मिश्रा का आदेश सामने आया। 18 जुलाई की तारीख में हस्ताक्षरित यह आदेश सैनी द्वारा दायर रिवीजन पिटिशन की सुनवाई के बाद आया, जिसमें बीसीआइ चेयरमैन ने बीसीआर की कार्यकारी समिति द्वारा 13 जुलाई को पारित प्रस्तावों पर स्थगन आदेश दिया।
24 जुलाई – बीसीआर उपाध्यक्ष बंसल, सचिव आरपी मलिक तथा वरिष्ठ सदस्य जगमालसिंह चौधरी ने राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने अविलंब सुनवाई की मौखिक प्रार्थना मंजूर की, दोपहर में हुई सुनवाई और बीसीआइ के आदेश पर रोक।
5 अगस्त -न हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि बीसीआइ सभी पक्षों की सुनवाई के बाद कानून सम्मत आदेश पारित करे, हालांकि क्षेत्राधिकार को लेकर आपत्तियां दर्ज की जा सकेंगी।
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