scriptनिजी अस्पताल में कोविड संक्रमितों के लिए ‘नो बैड ’, प्रशासन के कागजों में बैड बोल रहे खाली | Bed in private hospitals is not empty for Covid infected | Patrika News

निजी अस्पताल में कोविड संक्रमितों के लिए ‘नो बैड ’, प्रशासन के कागजों में बैड बोल रहे खाली

locationजोधपुरPublished: Sep 22, 2020 11:17:51 am

– फोन करने पर निजी अस्पताल बता रहे सारे बैड ‘फुल’ है- एंबुलेंस के मनमाने किराये से भी परेशानी

निजी अस्पताल में कोविड संक्रमितों के लिए ‘नो बैड ’,  प्रशासन के कागजों में बैड बोल रहे खाली

निजी अस्पताल में कोविड संक्रमितों के लिए ‘नो बैड ’, प्रशासन के कागजों में बैड बोल रहे खाली

अभिषेक बिस्सा/जोधपुर. शहर में कोरोना संक्रमण भयावह रूप पसार चुका है। एम्स पहले से नौ बैड की स्थिति में है, लेकिन नेताओं की अप्रोच से काम हो रहा है। शेष बचे एमडीएम अस्पताल व एमजीएच को हर रोज अलग-अलग कमरों में नए बैड लगाकर वार्ड तैयार करने पड़ रहे हैं। निजी अस्पताल भी जनता को नो बैड के जवाब दे रहे हैं। प्रशासन ने कागजों में दावा किया है कि अस्पतालों में अभी जगह खाली है। पत्रिका ने सोमवार को फोन के जरिए पड़ताल कर शहर के निजी अस्पतालों की दशा जानी। सभी ने एक मत में ‘नो बैड’ कहा। अस्पतालों में आइसीयू बैड के 15 हजार से 20 हजार तक बताए।
मेडिपल्स हॉस्पिटल
पत्रिका- क्या अपने यहां कोविड मरीज भर्ती करने की जगह है?
उत्तर- हमारे यहां बैड फुल है। आप एक बार डिटेल भेज दीजिए, खाली होते ही मैं फोन कर दूंगा।

पत्रिका- अपने आईसीयू में कितने रुपए लग जाएंगे।
उत्तर- कोविड पॉजिटिव है तो एक दिन का 20 हजार रुपए लेंगे।
पत्रिका- सर, अपनी एंबुलेंस के नंबर मिल जाएंगे?
उत्तर- मेरे यहां बैड खाली होगा तो एंबुलेंस भेज दूंगा।

गोयल हॉस्पिटल
पत्रिका- सर, अपने यहां कोविड-19 के मरीज भर्ती होते हैं क्या?
उत्तर- भर्ती होते हैं, लेकिन हमारे यहां अभी सारे बैड भरे हुए हैं।
पत्रिका- सर, आईसीयू में भी जगह खाली नहीं है क्या, जो पैसे लगेंगे हम देने को तैयार हैंं?
उत्तर- पैसों की क्या बात करते हो। बैड खाली नहीं है।

वसुंधरा हॉस्पिटल
पत्रिका- क्या अपने यहां कोविड मरीज भर्ती हो सकते है?
उत्तर- नहीं सारे बैड ऑक्यूपेटेड है।
पत्रिका- क्या आईसीयू में जगह मिल सकती है?
उत्तर- नहीं, नॉर्मल व आईसीयू सारे भरे पड़े हैं।

पत्रिका- आईसीयू का क्या रेंट है?
उत्तर- क्या ऑक्सीजन पर है या वेंटिलेटर पर?

पत्रिका- मुझे अपने मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत लग रही है?
उत्तर-पक्का तो नहीं, लेकिन 8250 प्रतिदिन रुपए लगेंगे। वेंटिलेटर पर साढ़े नौ हजार रुपए रहेंगे। नार्मल वार्ड में केवल ऑब्जर्वेशन में रहेंगे तो प्रतिदिन ५५ सौ रुपए लगेंगे।
श्रीराम अस्पताल
पत्रिका- सर, अपने यहां कोविड-१९ बैड उपलब्ध है क्या?
उत्तर- अभी फिलहाल बैड खाली नहीं है, पेशेंट डिस्चार्ज होंगे तो पता चलेगा कि कितने मरीज घर जा रहे हैं।

पत्रिका – अपने नार्मल वार्ड का कितना रुपए लगेगा?
उत्तर – पांच हजार रुपए बिना ऑक्सीजन वार्ड के है। ऑक्सीजन कार्डियक मॉनिटर है तो ७५०० रुपए।
पत्रिका- यदि मरीज वेंटिलेटर पर हो तो कितने रुपए लग जाएंगे?
उत्तर- १५ हजार रुपए लगेंगे।

एंबुलेंस भी लूट रही
इन्हीं अस्पतालों के स्वागत कक्ष से पत्रिका ने शहर के एंबुलेंसों के नंबर मांगे। ज्यादातर किसी एक व्यक्ति के सभी ने नंबर दिए। भीतरी शहर के व्यास पार्क से एमडीएम अस्पताल जाने के 1 हजार रुपए तक मांगे गए। जबकि जगह की दूरी चार से पांच किलोमीटर भी नहीं है। प्रति एक किलोमीटर के दो सौ रुपए चार्ज वसूले जा रहे है। हालांकि सरकारी एंबुलेंस मरीजों को नि:शुल्क पहुंचा देती है, लेकिन वहां भी अप्रोच व कंट्रोल ऑफिस में पीछे पडऩा पड़ता है।
केस 1
विजयसिंह (बदला हुआ नाम) – निजी अस्पताल में भर्ती किए गए। एक रात रखा। ऑक्सीजन लेवल ८५ के आस-पास था फिर भी निजी अस्पताल ने १७ हजार का बिल बना डिस्चार्ज कर दिया। इसके बाद वे काफी मशक्कत कर एमडीएम अस्पताल में भर्ती हुए। मरीजों ने स्थिति क्रिटिकल बताई।
केस 2
आशा कुमारी (बदला हुआ नाम) – एक निजी अस्पताल में भर्ती है। जब भर्ती हुई तो पहले ही २५ हजार रुपए एडवांस जमा करवा लिए गए। लेकिन दो दिन तक कोई चिकित्सक जांचने तक नहीं आया। परिजनों ने सोमवार को इस पर रोष जताया। पैसे देने के बाद भी कोई ध्यान नहीं दे रहा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो