scriptहोलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया | Bhadra's shadow will remain on Holika Dahan | Patrika News

होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया

locationजोधपुरPublished: Mar 05, 2022 03:59:07 pm

Submitted by:

Nandkishor Sharma

भद्रा पूंछ के दौरान मिलेगा सिर्फ एक घंटा 10 मिनट

होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया

होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया

जोधपुर.रंगों के त्योहार होली के एक दिन पहले पूर्णिमा तिथि पर इस बार होलिका दहन 17 मार्च को है फिर उसके दूसरे दिन 18 मार्च को होली खेली जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार होलिका दहन के लिए एक घंटा 10 मिनट का ही समय रहेगा। इसका प्रमुख कारण इस दिन दोपहर 1:20 बजे से रात एक बजे बाद तक भद्रा योग रहेगा। भद्रा को अशुभ माना जाता है। रात्रि 9:02 बजे से 10:14 बजे तक जब भद्रा का पुच्छकाल ( उतरता भाग ) रहेगा, उस समय होलिका दहन किया जा सकता है।
होलिका दहन पर रहेगा भद्रा का साया

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि जो लोग भद्रा का पुच्छकाल अवधि में दहन नहीं कर पाते है वे लोग रात डेढ़ बजे के बाद होलिका दहन कर सकते है। फागुन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 17 मार्च को दोपहर 1:29 से प्रारंभ होकर अगले दिन दोपहर 12.47 तक रहेगी। शास्त्रानुसार होलिका दहन में भद्रा टाली जाती है किंतु भद्रा का समय यदि निशीथकाल के बाद चला जाता है तो होलिका दहन ( भद्रा मुख को छोड़कर ) भद्रा पूंछ काल या प्रदोष काल में करना श्रेष्ठ बताया गया है। धर्मसिंधु पंचाग में कहा गया है कि निशीथोत्तरं भद्रासमाप्तौ भद्रामुखं त्यकतवा भद्रायामेव ।।
नहीं होते भद्रा में शुभ कार्यपुराणों के अनुसार भद्रा सूर्य की पुत्री और शनिदेव की बहन है। भद्रा क्रोधी स्वभाव की मानी गई हैं। उनके स्वभाव को नियंत्रित करने भगवान ब्रह्मा ने उन्हें कालगणना या पंचांग के एक प्रमुख अंग विष्टिकरण में स्थान दिया है। पंचांग के 5 प्रमुख अंग तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण होते हैं। करण की संख्या 11 होती है। ये चर-अचर में बांटे गए हैं। इन 11 करणों में 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। मान्यता है कि ये तीनों लोक में भ्रमण करती हैं, जब मृत्यु लोक में होती हैं, तो अनिष्ट करती हैं। भद्रा योग कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में चंद्रमा के विचरण पर भद्रा विष्टिकरण का योग होता है, तब भद्रा पृथ्वीलोक में रहती है।
भद्रा मे दहन अनिष्टकारी

ज्योतिषियों के अनुसार, इस वर्ष होलिका दहन का मुहूर्त 17 मार्च को रात 09 :02 मिनट से रात 10 :16 मिनट के मध्य है। होलिका दहन के लिए एक घंटा 10 मिनट का समय प्राप्त होगा। जब पूर्णिमा तिथि को प्रदोष काल में भद्रा न हो, तो उस समय होलिका दहन करना उत्तम होता है। यदि ऐसा नहीं है, तो भद्रा की समाप्ति की प्रतीक्षा की जाती है। भद्रा वाले मुहूर्त में होलिका दहन अनिष्टकारी होता है।
भद्रा पूंछ के दौरान कर सकते है होलिका दहन

पं. ओमदत्त शंकर ने बताया कि होलिका दहन भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा में किया जाता है। इस वर्ष 17 मार्च 2022 को फाल्गुन शुक्ल 14 फाल्गुन पूर्णिमा प्रदोष व्यापिनी है। लेकिन भद्रा 1/29 से रात्रि 1.12 तक प्रबल है। अगले दिन प्रदोष काल में पूर्णिमा की अनुपस्थिति होती है। इसलिए होलिका दहन गुरुवार 17 मार्च को भाद्र पुच्छ काल में 9.06 से 10.16 तक है।
– होलिका दहन भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी फाल्गुन पूर्णिमा में किया जाता है। इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल 14 गुरुवार 17 मार्च 2022 को फाल्गुन पूर्णिमा प्रदोष व्यापिनी है। लेकिन स्टा. भद्रा 13/29 से 25.12 तक प्रबल है। अगले दिन प्रदोष काल में पूर्णिमा की अनुपस्थिति होती है। इसलिए होलिका दहन गुरुवार 17 मार्च 2022 को भाद्र पुच्छ काल में 21.06 से 22.16 तक है। याद तू पूर्व रत्रौ प्रदोष व्यवत्यभस्तसत्तवे वा भद्रा विहित कालो न लभ्यते उत्तर दिने चा प्रदोशे पूर्णिमाभावस्तदा पुछे कार्यम। पृथ्वीव्याम का अर्थ है करयणी शुभनिह्यशुभानी सी। तानी सरवणी सिद्धिंति विषिपुछे न संदेहः .. यदा विशिष्ट पुच्छम मध्य रात्रि पोस्ट्रम तदा प्रदोषयेव दीपनम – मध्य रात्रि पुचम विषि पुच्छम यादा भावेत। प्रदोष ज्वालायदवाहनी सुख सौभाग्यदायिनम। प्रदोषमदिरात्र्यंतम् होलिका पूजनम् शुभम। (व्रतराज)
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