जोधपुर. संभाग के सबसे बड़े मथुरादास माथुर अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में एक सीटी स्कैन मशीन लगी होने से मरीजों को जांच के लिए उसके भरोसे रहना पड़ रहा हैं। ऐसे में यह सीटी मशीन 6 साल में करीब 1 लाख 38 हजार लोगों की जांच कर चुकी हैं। वहीं कोरोना काल में भी इसी मशीन पर सामान्य मरीजों के साथ कोविड मरीजों की जांच की गई। सूत्रों के अनुसार प्रतिदिन करीब सौ व्यक्तियों की जांच इस मशीन पर होने से इंतजार करने वाले मरीजों की भीड़ भी जमा रहती है, जिससे ट्रोमा सेंटर में आने वाले दुर्घटनाग्रस्त अन्य मरीज व परिजन भी प्रभावित होते हैं। फोटो- जेके भाटी
जोधपुर. संभाग के सबसे बड़े मथुरादास माथुर अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में एक सीटी स्कैन मशीन लगी होने से मरीजों को जांच के लिए उसके भरोसे रहना पड़ रहा हैं। ऐसे में यह सीटी मशीन 6 साल में करीब 1 लाख 38 हजार लोगों की जांच कर चुकी हैं। वहीं कोरोना काल में भी इसी मशीन पर सामान्य मरीजों के साथ कोविड मरीजों की जांच की गई। सूत्रों के अनुसार प्रतिदिन करीब सौ व्यक्तियों की जांच इस मशीन पर होने से इंतजार करने वाले मरीजों की भीड़ भी जमा रहती है, जिससे ट्रोमा सेंटर में आने वाले दुर्घटनाग्रस्त अन्य मरीज व परिजन भी प्रभावित होते हैं। फोटो- जेके भाटी
जोधपुर. संभाग के सबसे बड़े मथुरादास माथुर अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में एक सीटी स्कैन मशीन लगी होने से मरीजों को जांच के लिए उसके भरोसे रहना पड़ रहा हैं। ऐसे में यह सीटी मशीन 6 साल में करीब 1 लाख 38 हजार लोगों की जांच कर चुकी हैं। वहीं कोरोना काल में भी इसी मशीन पर सामान्य मरीजों के साथ कोविड मरीजों की जांच की गई। सूत्रों के अनुसार प्रतिदिन करीब सौ व्यक्तियों की जांच इस मशीन पर होने से इंतजार करने वाले मरीजों की भीड़ भी जमा रहती है, जिससे ट्रोमा सेंटर में आने वाले दुर्घटनाग्रस्त अन्य मरीज व परिजन भी प्रभावित होते हैं। फोटो- जेके भाटी
जोधपुर. संभाग के सबसे बड़े मथुरादास माथुर अस्पताल के ट्रोमा सेंटर में एक सीटी स्कैन मशीन लगी होने से मरीजों को जांच के लिए उसके भरोसे रहना पड़ रहा हैं। ऐसे में यह सीटी मशीन 6 साल में करीब 1 लाख 38 हजार लोगों की जांच कर चुकी हैं। वहीं कोरोना काल में भी इसी मशीन पर सामान्य मरीजों के साथ कोविड मरीजों की जांच की गई। सूत्रों के अनुसार प्रतिदिन करीब सौ व्यक्तियों की जांच इस मशीन पर होने से इंतजार करने वाले मरीजों की भीड़ भी जमा रहती है, जिससे ट्रोमा सेंटर में आने वाले दुर्घटनाग्रस्त अन्य मरीज व परिजन भी प्रभावित होते हैं। फोटो- जेके भाटी