भारत में टिड्डी चेतावनी संगठन का मुख्यालय जोधपुर में है। यहां से पूरे देश में टिड्डी हमले पर नजर रखी जाती है। टिड्डी यानी डेजर्ट लोकस्ट अफ्रीका व खाड़ी देशों के मरुस्थल के साथ भारत व पाक सीमा पर स्थित थार मरुस्थल में पाई जाती है। संगठन 1972 से पाकिस्तान के साथ टिड्डी संबंधी जानकारी साझा करता आया है। संगठन के वैज्ञानिक व अधिकारी महीने में एक बार पाकिस्तान सीमा पार कर खोखरापार जाकर बैठक करते हैं। अगले महीने पाकिस्तानी अधिकारी भारत की सीमा पार कर मुनाबाव में वार्ता करते हैं।
भारतीय अधिकारियों के साथ सीमा पार करते समय बीएसएफ के अधिकारी भी साथ जाते हैं। पिछले माह बीएसएफ के डीआईजी प्रतुल गौतम ने संगठन के अधिकारियों से सीमा पार कर वार्ता करने संबंधी आदेश-निर्देश दिखाने को कहा था। संगठन ने जोधपुर से लेकर अपने मुख्यालय फरीदाबाद तक फाइलें खंगाल ली, लेकिन आदेश कहीं नहीं मिले। आखिर वार्ता जारी रखने के लिए संगठन ने स्वयं के स्तर पर ही एक ड्राफ्ट तैयार कर बीएसएफ को सौंपा। बीएसएफ ने इस ड्राफ्ट को मुख्यालय दिल्ली भेजा है।
दिल्ली-कराची में करते थे वार्ता सत्तर के दशक से पहले भारत व पाकिस्तान के अधिकारी टिड्डी संबंधी जानकारी साझा करने के लिए दिल्ली और कराची में बैठकें करते थे। इसमें केंद्र सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी शामिल होते थे। टिड्डी थार रेगिस्तान के रास्ते ही भारत में प्रवेश करती है। ऐसे में वार्ता का स्तर खोखरापार-मुनाबाव कर दिया गया।
जून से नवम्बर तक खतरा फसल नहीं होने पर टिड्डी सोलिटेरी फॉर्म यानी एकाकी जीवन व्यतीत करती है, जो खतरनाक नहीं होता है। मानसून के समय अनुकूल परिस्थिति होने पर गोरजियस फॉर्म यानी सामूहिक गतिविधि करने लगती है, तब यह करोड़ों की संख्या में झुंड के रूप में एक से दूसरे स्थान पर उड़कर फसलें चौपट करती है। भारत में जून से लेकर नवम्बर तक टिड्डी के हमले का समय माना जाता है।
सवाल मांगते जवाब?
जानकार इस मसले पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि बरसों पहले टिड्डियों का आतंक अधिक था। अब खाद्य एवं कृषि संगठन के उपायों से इस पर नियंत्रण हो गया है। ऐसे में एक-दूसरे के देश में आकर वार्ता का क्या औचित्य है? अब सामान्य जानकारी ई-मेल सहित अन्य माध्यमों से भी साझा हो सकती है।
जानकार इस मसले पर सवाल उठा रहे हैं। उनका कहना है कि बरसों पहले टिड्डियों का आतंक अधिक था। अब खाद्य एवं कृषि संगठन के उपायों से इस पर नियंत्रण हो गया है। ऐसे में एक-दूसरे के देश में आकर वार्ता का क्या औचित्य है? अब सामान्य जानकारी ई-मेल सहित अन्य माध्यमों से भी साझा हो सकती है।
हमने केवल आदेश मांगा था
हमने टिड्डी संगठन से सीमा पार जाने संबंधी आदेश की प्रति मांगी थी। फिलहाल हमारी ओर से उनके आने-जाने पर पाबंदी नहीं है। -प्रतुल गौतम, उप महानिरीक्षक, बीएसएफ, बाड़मेर पुराना आदेश है, नहीं मिला
हमने टिड्डी संगठन से सीमा पार जाने संबंधी आदेश की प्रति मांगी थी। फिलहाल हमारी ओर से उनके आने-जाने पर पाबंदी नहीं है। -प्रतुल गौतम, उप महानिरीक्षक, बीएसएफ, बाड़मेर पुराना आदेश है, नहीं मिला
हम कम्पीटेंट ऑथरिटी से अनुमति लेने के बाद ही पाकिस्तान जाते हैं। पाकिस्तान के साथ वार्ता का आदेश पुराना है। इसके लिए फाइलें तलाशनी पड़ेंगी। हमने बीएसएफ को आश्वस्त कर दिया है। -डॉ. जेपी सिंह, संयुक्त निदेशक, टिड्डी चेतावनी संगठन, जोधपुर