जोधपुर. कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम के बाद चर्चा में आई चांदबावड़ी गत शनिवार को पूरी खाली हो गई। इस दौरान एकबारगी क्षेत्रवासियों ने राहत की सांस ली, लेकिन अगले दिन रविवार सुबह लोग चांदबावड़ी पहुंचे तो उन्हें 10 फीट पानी आया मिला। राजेश्वर दरबार जोशी ने कहा कि ये पानी राणीसर-पदमसर तालाब की सिराओं के जरिए बेरी में पहुंचते हुए बावड़ी की सीढिय़ों तक आ गया। लोगों के अनुसार पानी बाहर निकालने के बाद बावड़ी में जमा कीचड़ निकालना अगली चुनौती होगा। गौरतलब हैं कि यहां संजीवनी संस्थान के सुनील तलवार की ओर से साफ-सफाई करवाई जा रही है।
ऐसे एक ही दिन में प्रसिद्ध हो गई बावड़ी
प्रधानमंत्री मोदी ने अप्रेल माह के आखिरी सोमवार को अपने मन की बात कार्यक्रम में जल संरक्षण विषय पर विचार व्यक्त किए थे। इसमें उन्होंने देश की जल परंपरा और यहां के प्राचीन जल संरक्षण से जुड़ी बावडिय़ों आदि स्रोतों का जिक्र किया। अपने मन की बात में उन्होंने जोधपुर की चांद बावड़ी के बारे में भी बताया था। उन्होंने इस के बारे में कहा कि यदि जोधपुर जाएं तो इस बावड़ी को जरूर देखें। सूर्यनगरी के भीतरी शहर स्थित चांद बावड़ी में राणीसर-पदमसर के ओटे के दौरान तालाब की शिराएं आती हैं। राणीसर के जूने ओटे के दौरान चांद बावड़ी स्वत: भर बाहर आ जाती है। इस जगह का पवित्र जल लोग जलाभिषेक के लिए भी काम में लिया करते थे, लेकिन यह बावड़ी उपेक्षा का शिकार है। इसमें शराब की बोतलें इत्यादि पड़ी रहने से कई भक्तों और ब्राह्मणों का मोह भंग हो रहा था। जबकि यह जगह लोगों की आस्था की प्रतीक है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अप्रेल माह के आखिरी सोमवार को अपने मन की बात कार्यक्रम में जल संरक्षण विषय पर विचार व्यक्त किए थे। इसमें उन्होंने देश की जल परंपरा और यहां के प्राचीन जल संरक्षण से जुड़ी बावडिय़ों आदि स्रोतों का जिक्र किया। अपने मन की बात में उन्होंने जोधपुर की चांद बावड़ी के बारे में भी बताया था। उन्होंने इस के बारे में कहा कि यदि जोधपुर जाएं तो इस बावड़ी को जरूर देखें। सूर्यनगरी के भीतरी शहर स्थित चांद बावड़ी में राणीसर-पदमसर के ओटे के दौरान तालाब की शिराएं आती हैं। राणीसर के जूने ओटे के दौरान चांद बावड़ी स्वत: भर बाहर आ जाती है। इस जगह का पवित्र जल लोग जलाभिषेक के लिए भी काम में लिया करते थे, लेकिन यह बावड़ी उपेक्षा का शिकार है। इसमें शराब की बोतलें इत्यादि पड़ी रहने से कई भक्तों और ब्राह्मणों का मोह भंग हो रहा था। जबकि यह जगह लोगों की आस्था की प्रतीक है।
रानीसर और पदमसर जलाशय से नीचे की तरफ स्थित इस बावड़ी का निर्माण राव चूंडा की सोनगरा रानी चान्दकंवर ने करवाया था। देख-रेख के अभाव में बावड़ी खस्ता हालत में है।