एमजी स्कूल ओलंपिक
यहां भी पर्याप्त कक्षा कक्ष का अभाव है। महज दस कमरे हैं, प्रत्येक कक्षा में दो-दो सेक्शन हैं, यहां करीब दस कमरे की और दरकार हैं। विभाग का संग्रहण कक्ष चल रहा है, जो भी स्कूल की शिक्षा को बाधित करता है। फर्नीचर की सुविधा भी बेकार है। बच्चों के लिए टॉयलेट्स की सुविधा नहीं है। स्कूल ने पूर्व में भामाशाहों से टॉयलेट निर्माण कराया था, जिनकी संख्या नाकाफी हैं। यहां हिंदी-अंग्रेजी माध्यम दोनों मिलाकर कुल 12 सौ विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। ये स्कूल इस साल से दसवीं तक अंग्रेजी माध्यम में संचालित होगा। कक्षा-11 व 12 में हिंदी माध्यम संचालित होगा।
यहां भी पर्याप्त कक्षा कक्ष का अभाव है। महज दस कमरे हैं, प्रत्येक कक्षा में दो-दो सेक्शन हैं, यहां करीब दस कमरे की और दरकार हैं। विभाग का संग्रहण कक्ष चल रहा है, जो भी स्कूल की शिक्षा को बाधित करता है। फर्नीचर की सुविधा भी बेकार है। बच्चों के लिए टॉयलेट्स की सुविधा नहीं है। स्कूल ने पूर्व में भामाशाहों से टॉयलेट निर्माण कराया था, जिनकी संख्या नाकाफी हैं। यहां हिंदी-अंग्रेजी माध्यम दोनों मिलाकर कुल 12 सौ विद्यार्थी अध्ययनरत हैं। ये स्कूल इस साल से दसवीं तक अंग्रेजी माध्यम में संचालित होगा। कक्षा-11 व 12 में हिंदी माध्यम संचालित होगा।
एमजी स्कूल चैनपुरा
यहां भी कक्षा-कक्षों की कमी हैं। कम से कम 8 से 10 कमरों की आवश्यकता हैं। बच्चों के अनुसार स्कूल के टॉयलेट भी साफ-सुथरे नहीं हैं। यहां शिक्षकों की भी कमी हैं। जबकि इस स्कूल में फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते बच्चों का वीडियो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने
यहां भी कक्षा-कक्षों की कमी हैं। कम से कम 8 से 10 कमरों की आवश्यकता हैं। बच्चों के अनुसार स्कूल के टॉयलेट भी साफ-सुथरे नहीं हैं। यहां शिक्षकों की भी कमी हैं। जबकि इस स्कूल में फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते बच्चों का वीडियो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने
सोशल मीडिया पर शेअर किया था, जो खासा सुर्खियों में रहा। चैनपुरा स्कूल में कमरे 14 व सेक्शन 30 हैं, दो पारी में संचालित होने के बाद भी कक्षा-कक्ष की कमी हैं, वर्तमान में चार कमरे निर्माणाधीन हैं।
बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर से मिलनी है वाहवाही
महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय खुलने से आमजन व वंचित वर्ग को फायदा मिला है। ये स्कूल संसाधन, मैन पॉवर व भौतिक सुविधाओं से जूझ रहे हैं। हरेक कक्षाओं में दो सेक्शन हैं, लेकिन पढ़ाने के लिए अध्यापक एक हैं। दसवीं के बाद स्कूलों में कला, वाणिज्य व विज्ञान वर्ग में से कौनसा वर्ग आएगा, इसको लेकर फिलहाल कोई निर्देश नहीं है। सवाल ये भी हैं कि वर्तमान में पदस्थापित व्याख्याताओं से ही अध्यापन करवाया जाएगा या इन्हें हटाकर साक्षात्कार से चयनित व्याख्याताओं को लाया जाएगा। सभी बातों का उत्तर सरकार के पास है। बहरहाल, सरकार को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर से ही वाहवाही मिलेगी। हाल ही में नए महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय खोलने के प्रस्ताव मांगे गए हैं, उन्हें तुरंत मंजूरी देकर क्रियान्वित कर देना चाहिए। ताकि ज्यादा से ज्यादा अभिभावक लाभान्वित हो सके।
बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर से मिलनी है वाहवाही
महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय खुलने से आमजन व वंचित वर्ग को फायदा मिला है। ये स्कूल संसाधन, मैन पॉवर व भौतिक सुविधाओं से जूझ रहे हैं। हरेक कक्षाओं में दो सेक्शन हैं, लेकिन पढ़ाने के लिए अध्यापक एक हैं। दसवीं के बाद स्कूलों में कला, वाणिज्य व विज्ञान वर्ग में से कौनसा वर्ग आएगा, इसको लेकर फिलहाल कोई निर्देश नहीं है। सवाल ये भी हैं कि वर्तमान में पदस्थापित व्याख्याताओं से ही अध्यापन करवाया जाएगा या इन्हें हटाकर साक्षात्कार से चयनित व्याख्याताओं को लाया जाएगा। सभी बातों का उत्तर सरकार के पास है। बहरहाल, सरकार को बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर से ही वाहवाही मिलेगी। हाल ही में नए महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालय खोलने के प्रस्ताव मांगे गए हैं, उन्हें तुरंत मंजूरी देकर क्रियान्वित कर देना चाहिए। ताकि ज्यादा से ज्यादा अभिभावक लाभान्वित हो सके।
- नवीन देवड़ा, इंग्लिश व्याख्याता, जिलाध्यक्ष रेसला व एमजी इंग्लिश स्कूल एक्सपर्ट भामाशाहों को कर रहे तैयार एमजी स्कूलों में विकास के लिए भामाशाहों को तैयार कर रहे हैं। स्कूल शिक्षा परिषद को भी प्रस्ताव भेजे जाते हैं। एनजीओ भी सहयोग कर रहे हैं। कुल मिलाकर संसाधन बढ़ाने के प्रयास जारी हैं।
- डॉ. भल्लूराम खींचड़, सीडीइओ, जोधपुर
- डॉ. भल्लूराम खींचड़, सीडीइओ, जोधपुर