इससे जोधपुर , बाड़मेर जिलों से जुड़े गांव प्रभावित हो रहे हैं। किसानों ने इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषित पानी को आने से रोकने के लिए कई बार आंदोलन किए, लेकिन प्रशासन की ओर से उचित प्रयास नहीं किए जाने से किसानों को परेशान होना पड़ रहा है।
किसानों ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि रासायनिक पानी को जल्द नहीं रोका गया तो वो बर्बाद हो जाएंगे। इसकी चिंता प्रशासन को है न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों को। इस वजह से ये यहां के किसानों के लिए जी का जंजाल बना हुआ है। रपट पर पानी बहने से यहां से निकलने वाहन चालकों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है लेकिन सुनवाई कोई नहीं कर रहा है। इससे खेतों की उपजाऊ मिट्टी भी खराब हो रही है। जिसकी चिंता किसानों के सिवा किसी को नहीं हो रही है।
इधर रपट का काम भी रूका हाल ही लूणी नदी पर शुरु हुआ रपट निर्माण का कार्य भी रासायनिक पानी के दुष्प्रभाव से रूक गया है। रपट निर्माण के लिए खोदी गई नींव रासायनिक पानी से भर गई है, जिससे कार्य को रोकना पड़ा है। किसानों ने बताया कि जब नेहरड़ा बांध में पाली की फैक्ट्रियों का दूषित पानी ज्यादा आता है, तब उस पानी को छोड़ दिया जाता है।
जिससे धुंधाड़ा सहित जोधपुर व बाड़मेर जिले के दर्जनों गांव प्रभावित होते हैं। लेकिन इसे रोकने के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहे हैं। ऐसा नहीं है कि ये समस्या वर्तमान की है। पिछले कई सालों से ये पानी खेतों में भर जाता है। इससे खेतों की उपजाऊ मिट्टी भी खराब हो रही है। जिसकी चिंता किसानों के सिवा किसी को नहीं हो रही है।