कोर्ट ने मंगलवार को भी वीडियो कांफ्रेंसिंग पर तसल्ली से सुनवाई की। हालांकि कोर्ट इस दौरान दोनों पक्षों के तर्कों से संतुष्ट नजर नहीं आया। इस बीच जयपुर में वीसी से सुनवाई देखने के लिए मुख्य न्यायाधीश के अदालत कक्ष में वकीलों की खासी भीड़ रही। याचिकाकर्ता अरविन्द शर्मा की ओर से अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने मंगलवार को करीब डेढ़ घंटे तक बहस की, जिसके बाद याचिकाकर्ता की सुनवाई पूरी हो गई। इसके बाद महाधिवक्ता सिंघवी ने सरकार की ओर से बहस शुरू कर दी, सरकार की बहस बुधवार को भी जारी रहेगी। उधर, सोमवार को सुनवाई के समय के अदालत कक्ष के फोटो वायरल होने के कारण मंगलवार को कोर्ट कक्ष में फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया।
ऐसा रहा दूसरा दिन याचिकाकर्ता की ओर से सुनवाई के दौरान कहा गया कि मामला संवेदनशील और राजनीतिक है, इस पर मुख्य न्यायाधीश एस रविन्द्र भट्ट व न्यायाधीश विनीत कुमार माथुर ने कहा कि यह बात सही है लेकिन आरक्षण के वर्गीकरण के मापदण्डों को लेकर न्यायिक निर्णय कोर्ट के सामने लाए जाएं। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि बिना पर्याप्त आंकड़े जुटाए आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं दिया जा सकता। जातिगत आबादी के लिए 1931 की जनगणना को आधार बनाया जा रहा है। इस आरक्षण के लिए सरकार ने पर्याप्त आंकड़े नहीं जुटाए हैं।
केवल गुर्जर, राइका, रेबारी वाले गांवों का ही अध्ययन किया गया। महाधिवक्ता सिंघवी ने सरकार की ओर से सवाल उठाया कि याचिकाकर्ता ने 2017 के कानून को चुनौती नहीं दी है, जिस पर कोर्ट ने असहमति जाहिर की। अतिरिक्त महाधिवक्ता सत्येन्द्र सिंह राघव ने कहा कि अभी तो सरकार की बहस शुरू हुई है, बुधवार को सरकार का विस्तार से पक्ष रखा जाएगा। बुधवार को अपरान्ह साढ़े तीन बजे सुनवाई होगी, जो वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए ही होगी। सुनवाई करीब एक घंटे चलने की संभावना है।