मुख्यमंत्री ने सन 2021 की बजट घोषणा में ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों की ओर से वर्षों से की जा रही मांग को पूरा करते हुए इसे दूसरे घर के लिए तोहफे की संज्ञा दी। शहर में सन 1997 से राजकीय कन्या महाविद्यालय चल रहा हैं, लेकिन अलग से सह शिक्षा के सरकारी कॉलेज नही होने से छात्रों के साथ ऐसी छात्राएं जिनको कन्या महाविद्यालय में प्रवेश नही मिलने से बिलाड़ा या भोपालगढ़ जाना पड़ता था।
इस पर छात्रों के साथ अन्य छात्र संगठनों ने भी अभियान चलाया, सीएम से लेकर मंत्री, विधायक के साथ प्रशासन व उच्च शिक्षा निदेशालय को ज्ञापन भेजे, आंदोलन चलाया तो मुख्यमंत्री ने राजकीय कॉलेज की घोषणा की तो छात्रों की खुशी सातवें आसमान पर जा पहुंची, लेकिन गत एक वर्ष से यह महाविद्यालय सिर्फ नाम का ही बनकर रह गया हैं। ऐसे में अध्ययनरत छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होने से उनमे आक्रोश फैलने लगा है।
नही भरे पद मुख्यमंत्री की घोषणा को कागजों में पूरा करते हुए उच्च शिक्षा निदेशालय ने शहर के एक पुराने स्कूल भवन में कॉलेज खोलकर एक सह आचार्य की नियुक्ति कर दी, जिसे कन्या महाविद्यालय से तबादला कर भेजने के साथ प्राचार्य को अतिरिक्त कार्यभार देकर इति श्री कर ली गई।
कहने को राज्य सरकार के मानदंड के अनुसार प्राचार्य, सह आचार्य, पीटीआई, लाइब्रेरियन, लेखाकार,कम्प्यूटर प्रोग्रामर, वरिष्ठ सहायक,कनिष्ठ सहायक,चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सहित कुल इक्कीस पद स्वीकृत हैं, लेकिन स्थाई नियुक्ति सिर्फ एक सह आचार्य को अन्यों नियुक्ति को उच्च शिक्षा निदेशालय भूल हैं।ऐसे में ना तो छात्रों का पाठ्यक्रम पूरा हो सका और न ही अन्य सुविधाएं मिल सकी।
कॉलेज में तालाबंदी
कॉलेज छात्रों के अनुसार एक मात्र सह आचार्य जिनका यहां तबादला किया गया हैं, वे अपने पूर्व के राजकीय कन्या महाविद्यालय में ज्यादा समय बिताते हैं, जबकि पदस्थापना राजकीय कॉलेज की है, उनके कॉलेज खुलने के निर्धारित समय तक यहाँ उपस्थित नहीं रहने से छात्रों को अपनी विभिन्न समस्याओं के लिए कन्या महाविद्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
कॉलेज छात्रों के अनुसार एक मात्र सह आचार्य जिनका यहां तबादला किया गया हैं, वे अपने पूर्व के राजकीय कन्या महाविद्यालय में ज्यादा समय बिताते हैं, जबकि पदस्थापना राजकीय कॉलेज की है, उनके कॉलेज खुलने के निर्धारित समय तक यहाँ उपस्थित नहीं रहने से छात्रों को अपनी विभिन्न समस्याओं के लिए कन्या महाविद्यालय के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
कॉलेज खुलने का समय प्रातः 9 से 3 बजे का हैं, लेकिन सह आचार्य दो घण्टे बाद ताला लगाकर कन्या महाविद्यालय चले जाते हैं। ऐसे में छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ता हैं। इसको लेकर कई बार ज्ञापन दिए गए लेकिन कहीं पर भी सुनवाई नही हो रही। राज्य सरकार ने विद्या सम्बल योजना में पदों को भरने के निर्देश दिए,लेकिन कॉलेज प्रबंधन ने इसके लिए कोई विशेष प्रयास नही किए, इसका खमियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा हैं।
इन्होंने कहा
कॉलेज खोलकर उसमे पर्याप्त स्टाफ व सुविधाएं उपलब्ध नही कराना यह दर्शाता हैं कि राज्य सरकार वाहवाही के नाम पर छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही हैं।
-अर्जुनलाल गर्ग, पूर्व राज्यमंत्री, बिलाड़ा।
कॉलेज के नियमित और पूरे समय नही खुलने से छात्र अपनी समस्याओं से परेशान हैं, ना पाठ्यक्रम पूरा हुआ और न ही रिक्त पदों पर सरकार की योजना से पदों को भरने की वैकल्पिक व्यवस्था नही की गई।
-सीताराम टाक,नगर मंत्री,एबीवीपी,पीपाड़सिटी।
रिक्त पदों को भरने की नियमित सूचना निदेशालय को दी जाती हैं, इसके साथ छात्रों की समस्या का समाधान गर्ल्स कॉलेज से किया जाता हैं।
डॉ. नीना जैन, कार्यवाहक प्राचार्य,राजकीय महाविद्यालय, पीपाड़सिटी।