रणकपुर घाटे में एक कार गहरी खाई में गिर कर आग लगने से जल गए। जसोल 49 वर्ष के थे और जोधपुर के एक राजस्थानी लेखक और विरासत संरक्षणवादी नाहरसिंह जसोल के पुत्र थे। हादसे की खबर से मारवाड़ में शोक की लहर दौड़ गई।
वे अपनी कार से रणकपुर घाटा स्थित रोपन माता मंदिर के दर्शन करने के लिए जा रहे थे. इससे पहले झाला के पास एक कार 150 फीट गहरी खाई में गिर गई। सूचना मिलने के बाद सादड़ी व सायरा थाने की पुलिस मौके पर पहुंची, जिसके बाद मौके पर पहुंची दमकल की गाड़ी ने आग पर काबू पाया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। उल्लेखनीय है कि करणीसिंह जसोल पुरातत्व और विरासत के विशेषज्ञ थे। उन्होंने बड़ौदा के महाराजा सायोजी राव विश्वविद्यालय से संग्रहालय अध्ययन में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। वे पूरे मेहरानगढ़ किले के रखरखाव के लिए जिम्मेदार थे। इसके अलावा वे मारवाड़ की प्राचीन वस्तुओं के संरक्षण से संबंधित कार्यों में निरंतर लगे रहते थे।
पुलिस के मुताबिक हादसा सुबह साढ़े पांच से साढ़े छह बजे के बीच हुआ। रणकपुर घाट में झाला छतरी के सामने 100 से 150 फीट गहरी खाई में उतरने के बाद एक पेड़ के सहारे खड़ी कार में भीषण आग लगी और वो कार में झुलस गए। जलती हुई कार में चार से पांच जोरदार धमाकों की आवाज पर ग्रामीण और वन अधिकारी मौके पर पहुंचे और पुलिस को सूचना दी। आग पर काबू पाने के लिए नगर निगम की दमकल को बुलाया गया। ग्रामीणों की मदद से कार का गेट तोड़ कर शव बाहर निकाला गया।

शव को सायरा अस्पताल में रखा गया और परिजनों ने शव की शिनाख्त की। जसोल की मौत की खबर मिलते ही मेहरानगढ़ संग्रहालय परिसर में शोक की लहर दौड़ गई। पूर्व सांसद गजसिंह ने भी उनके निधन पर दुख जताया है। मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट के निदेशक की सड़क दुर्घटना में मौत की खबर सुनते ही उनके परिवार समेत राजपूत समाज में शोक की लहर दौड़ गई। सोशल मीडिया पर राजपूत समुदाय के लोगों ने दुर्घटना की तस्वीरें राजपूत समुदाय के विभिन्न समूहों के साथ साझा कर उन्हें श्रद्धांजलि दी।