कोटा के अस्पताल की पर्ची व लोकेशन से आरोपी बना बनाड़ व डांगियावास थाना पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई कर जून 2015 में लग्जरी कार से बड़ी मात्रा में अफीम का दूध जब्त किया था। कोटा शहर पुलिस का कांस्टेबल भवाद गांव निवासी रावलराम जाणी कार में यह मादक पदार्थ लेकर आ रहा था, लेकिन वो पुलिस को देख कार भगाने के बाद लावारिस छोड़ भाग निकला था। डांगियावास थाने में मामला दर्ज करने के बाद बनाड़ थानाधिकारी को जांच सौंपी गई, लेकिन पत्रावली सुपुर्दगी से पूर्व डांगियावास थाना पुलिस ने तस्कर को नामजद करने के लिए कार की सघन तलाशी ली। कार की सीटें, डिक्की व म्युजिक सिस्टम खोल कर जांच की गई। म्युजिक सिस्टम में सीडी डालने वाली जगह पर कोटा के एक अस्पताल की पर्ची मिली। एक दिन पहले की पर्ची पर बतौर मरीज रावलराम जाणी का नाम लिखा था। पुलिस ने कोटा शहर पुलिस लाइन से उसके मोबाइल नम्बर लिए और कॉल डिटेल निकलवाई। जिसमें उसकी लोकेशन अफीम का दूध जब्त करने वाले समय पर वारदातस्थल आई। इससे स्पष्ट हो गया कि कार में अफीम लेकर वही आ रहा था।
गिरफ्तारी से बचने को निकाली कानूनी गलियां कांस्टेबल होने के नाते आरोपी ने खुद को बचाने के लिए हर दांव पेंच काम लिए। उसने कार में खुद की की बजाय कार मालिक श्रवणसिंह की मौजूदगी दिखाने के प्रयास किए। इसके लिए उसने कोटा के दादाबाड़ी थाने में एफआइआर दर्ज करा दी थी। जिसमें उसने अपना मोबाइल श्रवणसिंह को देने और वापस न लौटाने का आरोप लगाया था। ताकि मोबाइल श्रवण के पास होने की पुष्टि हो जाती है तो लोकेशन से उसकी जगह श्रवण सिंह आरोपी बनेगा। जांच कर रहे एएसआई ने भी आरोप सही मान श्रवणसिंह को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया था।
तीन स्तर पर जांच : कोटा की एफआइआर को फर्जी माना डांगियावास थाना पुलिस ने रावलराम को आरोपी मान पत्रावली बनाड़ थानाधिकारी को सौंपी थी, लेकिन जांच में उस पर मेहरबानी बरती गई। उसे न तो गिरफ्तार किया गया और न ही कोटा शहर पुलिस को कार्रवाई के लिए पत्र भेजे गए। उधर, जांच सीआइडी सीबी को दे दी गई, लेकिन उसमें भी कांस्टेबल को आरोपी माना गया। वहीं, पुलिस विभाग की सतर्कता जांच में कोटा के दादाबाड़ी थाने में दर्ज एफआइआर को फर्जी मान लिया गया।
कार मालिक गिरफ्तार, चंद दिन में चालान एनडीपीएस एक्ट के प्रावधानों के तहत वाहन चालक के साथ-साथ मालिक भी आरोपी माना जाता है। लग्जरी कार का मालिक होने के नाते श्रवणसिंह ने समर्पण किया था। उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस ढिलाई कहें या मिलीभगत कि उसकी भूमिका के बारे में बनाड़ व दादाबाड़ी थाना पुलिस ने एक-दूसरे को कोई सूचना तक नहीं दी। फलस्वरूप वह मोबाइल के मामले में कोटा जेल से जमानत पर छूट गया था और फिर बनाड़ थाने में पेश हो गया था। एनडीपीएस एक्ट जैसे संगीन मामले में चंद दिन में जांच पूरी कर चालान भी पेश कर दिया गया था। फिर श्रवणसिंह को सजा हुई थी।
‘मादक पदार्थ तस्करी के आरोपी कांस्टेबल रावलराम जाणी को शिनाख्त परेड कराने के लिए न्यायिक अभिरक्षा में भेजा था। अनुसंधान के लिए उसे प्रोडक्शन वारंट पर दुबारा गिरफ्तार किया जाएगा। मामले में एक अन्य आरोपी श्रवण सिंह को इस मामले में सजा हो चुकी है।’