कुछ छुटना चाहते हैं और कुछ नहीं जोधपुर जिले में कोरोना की द्वितीय वेव में कई शिक्षकों की ड्यूटी रेलवे स्टेशन पर लगाई गई थी। इनमें कई शिक्षकों को दूरदराज ग्रामीण इलाकों से शहर में प्रतिनियुक्त किया गया, कोरोना में इन्होंने कार्य किया, लेकिन ज्यादा कार्य महज मई-जून तक रहा। अब चार माह से इनके पास कोई विशेष कार्य नहीं है, लेकिन डेपुटेशन शहर में है। कुछ शिक्षक तो पुन: स्कूल लौटना चाहते हैं और कुछ शिक्षक डेपुटेशन पर रहना चाहते हैं, ताकि उन्हें गांव न जाना पड़े। सूत्रों के अनुसार शिकायतें आ रही हैं कि कुछ शिक्षक अधिकारियों के बच्चों को घर में पढ़ा रहे हैं, इस मोह में कई अधिकारी गुरुजी को गांव नहीं भेज रहे।
बिना काम उठा रहे सैलेरी
शिक्षा विभाग खुद नहीं जानता हैं कि उनके शिक्षक कहां-कहां हैं, इन शिक्षकों को पांच माह पूर्व जेडीए के अधिकारियों के अधीनस्थ रेलवे स्टेशन पर कोरोना ड्यूटी पर लगाया गया था। ये शिक्षक स्कूलों में पढ़ा नहीं रहे हैं और लंबे समय से विभाग इन्हें सैलेरी भी दे रहा है।
शिक्षा विभाग खुद नहीं जानता हैं कि उनके शिक्षक कहां-कहां हैं, इन शिक्षकों को पांच माह पूर्व जेडीए के अधिकारियों के अधीनस्थ रेलवे स्टेशन पर कोरोना ड्यूटी पर लगाया गया था। ये शिक्षक स्कूलों में पढ़ा नहीं रहे हैं और लंबे समय से विभाग इन्हें सैलेरी भी दे रहा है।
अधिकारियों के गोल-मोल जवाब जेडीए सचिव हरभान मीणा ने कहा कि उनके अधीनस्थ अब कोई शिक्षक नहीं है। इस मामले में फिर पत्रिका ने एडीएम मदन नेहरा से बातचीत की, उन्होंने कहा कि यदि ऐसी बात हैं तो वे पता करवाएंगे। स्कूल शिक्षा के संयुक्त निदेशक प्रेमचंद सांखला ने कहा कि इस बारे में प्रशासन को अवगत करवा दिया गया है, ताकि स्कूलों में पढ़ाई बाधित न हो। उन्होंने पूछने पर माना कि कई शिक्षक अभी तक प्रतिनियुक्तियों पर चल रहे हैं।