लकड़ी का काम होल्ड पर नए निर्यातकों का आरा मशीनों के लाइसेंस के अभाव में काम अटका है। लाइसेंस नहीं होने से फैक्ट्रियों में आरा मशीन नहीं लगा कर पा रहे हैं। इससे उत्पादन पर असर पड़ रहा है, वहीं निर्यातक डरे हुए हैं कि लाइसेंस नवीनीकृत नहीं होने आरा मशीनें सीज नहीं कर ली जाए।
100 निर्यातकों के लाइसेंस अटके जोधपुर के करीब 100 हैण्डीक्राफ्ट निर्यातकों के आरा मशीन नवीनीकरण के लिए लाइसेंस अटके हुए हैं। नवीनीकरण लाइसेंस वन विभाग करता है। विभाग इसमें उदासीनता बरत रहा है। निर्यातक हरीश हासवानी ने बताया कि उन्होंने 23 फ रवरी 2017 में लाइसेंस नवीनीकरण के लिए फ ाइल शुल्क सहित जिला वन अधिकारी के कार्यालय में जमा करवाई थी। इस सम्बन्ध में विभाग के कई चक्कर काटे, लेकिन काम नहीं हुआ।
नए लाइसेंस भी नहीं बन रहे आरा मशीन के नए लाइसेंस कई वर्षों से नहीं बनाए गए है। जनवरी 2018 में आरा मशीन के लाइसेंस बनाने के लिए नई कमेटी का गठन किया गया था। इसमे गैर सरकारी सदस्यों के तौर पर जोधपुर हैण्डीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. भरत दिनेश को चेयरमैन पद पर नियुक्त किया गया था, लेकिन इस कमेटी की एक भी बैठक नहीं हुई।
24 इंच आरा मशीन की ही अनुमति देश में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को देखते हुए वर्ष 2003 में आरा मशीनों के उपयोग पर बैन लग गया था। वर्ष 2005-06 में बैन हटा। उस समय तय किया गया था कि लकड़़ी आधारित हैण्डीक्राफ्ट क्षेत्र में 24 इंच की आरा मशीन का लकड़ी काटने के लिए उपयोग किया जा सकता है। वन विभाग की गाइडलाइन के अनुसार आरा मशीन का लाइसेंस उसी को दिया जाएगा, जो किसी हैण्डीक्राफ्ट या औद्योगिक संगठन के सदस्य हो। तब से हैण्डीक्राफ्ट सहित अन्य क्षेत्रों में 24 इंच की आरा मशीनों का उपयोग किया जा रहा है।