भीतरी शहर की सौ साल पुरानी राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय फतेहपोल लगभग डेढ़ दशक से जर्जर हाल में है। अक्सर यहां बारिश के दिनों में झरोखे के छज्जे गिरते हैं। यहां की कक्षाओं में भी सीलन आती है। बारिश के दिनों में कई बार छात्राओं का अवकाश तक करना पड़ जाता है। किसी जमाने में स्कूल का अच्छा नामांकन रहता था।
राजमहल स्कूल की हालत भी सही नहीं
गुलाबसागर के बच्चे के पास स्थित राजकीय बालिका राजमहल स्कूल भी वर्षों पुरानी है। विद्यालय के प्रवेश द्वार भी जर्जर हालत में है। इनके कक्षा कक्षों की भी हालत कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है। विधायक कोष से पहले कुछ काम हुए, लेकिन ये राशि स्कूल मरम्मत के लिहाज से नाकाफी है। मरम्मत के अभाव में पूरा विद्यालय दुर्दशा का शिकार बना हुआ है। स्कूल का प्रवेश द्वार भी दुर्दशा की कहानी स्वयं बयां कर रहा है।
गुलाबसागर के बच्चे के पास स्थित राजकीय बालिका राजमहल स्कूल भी वर्षों पुरानी है। विद्यालय के प्रवेश द्वार भी जर्जर हालत में है। इनके कक्षा कक्षों की भी हालत कुछ ज्यादा अच्छी नहीं है। विधायक कोष से पहले कुछ काम हुए, लेकिन ये राशि स्कूल मरम्मत के लिहाज से नाकाफी है। मरम्मत के अभाव में पूरा विद्यालय दुर्दशा का शिकार बना हुआ है। स्कूल का प्रवेश द्वार भी दुर्दशा की कहानी स्वयं बयां कर रहा है।
झरोखे कभी भी नीचे गिर सकते हैं जूनी मंडी स्थित राजकीय बालिका ह्यूसन मंडी स्कूल की हालत भी ज्यादा ठीक नहीं है। ये बालिका विद्यालय पूरी तरह से जर्जर अवस्था में है। इस विद्यालय के प्रवेश द्वार से लेकर नीचली जूनी मंडी तक का क्षेत्र पूरी तरह से जर्जर है। झरोखे इतने जर्जर अवस्था में है कि यहां स्कूल विद्यार्थी तक खड़े होने से डरते है। यहां भी बारिश के दिनों में अनहोनी का अंदेशा रहता है।
स्कूल बालिका, लेकिन पढ़ते सभी
सरकारी आंकड़ों के अनुसार जोधपुर जिले में माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधीन 36 बालिका सीनियर सैकंडरी स्कूल हैं तो 17 बालिका माध्यमिक विद्यालय हैं। प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अधीन करीब 50 बालिका प्राथमिक-उच्च प्राथमिक स्कूल हैं। इनमें भी कक्षा 1 से 5 तक बालक-बालिका दोनों ही एक साथ शिक्षा लेते हैं।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार जोधपुर जिले में माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधीन 36 बालिका सीनियर सैकंडरी स्कूल हैं तो 17 बालिका माध्यमिक विद्यालय हैं। प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अधीन करीब 50 बालिका प्राथमिक-उच्च प्राथमिक स्कूल हैं। इनमें भी कक्षा 1 से 5 तक बालक-बालिका दोनों ही एक साथ शिक्षा लेते हैं।
इनका कहना ज्यादा विकट स्थितियां हो तो रिपेयरिंग के प्रस्ताव बीकानेर निदेशालय को भेजे जाते हैं। वैसे बालिका शिक्षा वाले स्कूलों के लिए अलग से बजट का कोई प्रावधान नहीं है। – बंशीधर गुर्जर, संयुक्त निदेशक, शिक्षा विभाग, जोधपुर मंडल