शहर की सडक़ों-गलियों में पोस्टरों से लदी दीवारों के साथ अब हाइटेक प्रचार चरम पर है। अभी किसी भी छात्र संगठन की ओर से अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है। लेकिन दावेदारी जताने वाले लोग डिजिटल माध्यम से ताकत झोंकने में लगे हैं। छात्रांे तक सिर्फ आवेदन की तिथियां, फीस जमा करवाने की जानकारी व काउंसलिंग संबंधित तारीखे पहुंचा रहे हैं। दरअसल इन तरीकों से वे छात्रों के बीच अपनी दावेदारी मजबूत कर रहे हैं।
डेटा के लिए फर्म से सहायता छात्र-छात्राओं के डेटा जुटाने की जुगत की जा रही है। टेलीकॉम कंपनियों के साथ ई-मित्र संचालकों से डेटा जुटाया जाता है। इसके अलावा कई मार्केटिंग पब्लिशिंग फर्म भी है जो डेटा उपलब्ध करवाती है।
डिजिटल दुनिया का गणित बल्क मैसेज – कई छात्रों को एक साथ संदेश भेजे जाते हैं। इनमें कॉलेज व विश्वविद्यालय की जरूरी सूचनाओं के साथ त्योहारों के बधाई संदेश भी दिए जा रहे हैं। इसके लिए ७ पैसे से लेकर १५ पैसे तक एक संदेश को फॉरवर्ड करने का खर्च आता है।
वॉट्स एप मैसेज – हालांकि वॉटस एप में बल्क मैसेज प्रतिबंध है। लेकिन फिर भी इनका उपयोग किया जा रहा है। वॉयस मैसेज – छात्रों के नम्बर पर वॉयस कॉल मैसेज भी भेजे जाते हैं। इसके लिए १२ पैसे से लेकर २२ पैसे तक की राशि खर्च की जा रही है। इसमें २६ सैकंड तक का ऑडियो रिकॉर्ड किया जा रहा है।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट ::
फोटो ::: मोटा बजट रखते हैं पंकज व्यास जो कि एक साइबर एक्सपर्ट है बताते हैं कि चुनावों में डिजिटल प्रचार का अपना महत्व होता है। डेटा बेचने वाली कंपनियां भी कमाती है। छात्रसंघ चुनाव में भी यह प्रचलन बढ़ा है। बल्क मैसेज व वॉयस मैसेज के साथ ही अन्य प्रकार से हाइटेक प्रचार शुरू हो चुके हैं। मोटी राशि इसके लिए छात्र नेता खर्च करते हैं। अधिकांश युवा मोबाइल प्रचार से डायवर्ट किया जा सकता है। कई महत्वपूर्ण जानकारियां और यूनिवर्सिटी के अपडेट छात्रों को सीधे मोबाइल पर मिलने लगे हैं।
फोटो :::: बहुत कुछ है डिजिटल दुनिया पर निर्भर
मोहित वैष्णव जो कि डिजिटल प्लेटफार्म पर पिछले लम्बे समय से काम कर रहे हैं बताते हैं कि डिजिटल दुनिया पर कम मेहनत में अधिकतम लोगों तक पहुंच रहे हैं। जब विधानसभा व लोकसभा चुनाव हुए तो यह निश्चित था कि शत-प्रतिशत लोगों तक डिजिटल प्रचार नहीं पहुंच रहा है। लेकिन अब युवाओं के चुनावों में तो शत-प्रतिशत मोबाइल उपयोगकर्ता है। एक फेसबुक पोस्ट को बूस्ट लगाकर हजारों लोगों तक पहुंचते हैं। इसके लिए छात्र नेता राशि खर्च करने से भी पीछे नहीं हटते।