उधर राज्य सचिव बलवंत मंडा ने कहा कि अस्पताल में एेसे चिकित्सक लगाए जा रहे है, जिन्होंने अभी तक एमबीबीएस पूरी नहीं की है। एेसे में प्रशासन स्वयं मरीजों की जान जोखिम में डालेगा। सेवारत चिकित्सक कई महीनों से सऩ २०११ की लंबित ३३ सूत्री मांगों को लेकर आंदोलनरत हैं, लेकिन सरकार की ओर से आंदोलन खत्म करने के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है। जिस स्वास्थ्य प्रबंधन को लेकर राजस्थान के सेवारत चिकित्सक पिछले तीन माह से आंदोलनरत हैं।
वहीं अब हमारे सामूहिक अवकाश के समाधान के रूप में सरकार एेसे चिकित्सकों को लगा रही है, जिन्हें अभी तक डिग्री तक नहीं मिली है। सवाल यह है कि जनकल्याणकारी सरकार इस तरह का स्वास्थ्य प्रबंधन कर मरीजों की जान सांसत में डाल रही है। उधर, चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवाओं के संयुक्त निदेशक डॉ. संजीव जैन ने कहा कि हमें जो आदेश मिले हैं, हमें सिर्फ उनकी पालना करनी है। वहीं सूत्र बता रहे हैं कि मेडिकल कॉलेज के रेजीडेंट चिकित्सक भी इस हड़ताल के समर्थन में उतर सकते हैं।
घर-घर में बीमार, ऊपर से हड़ताल जोधपुर जिले में इन दिनों मौसमी बीमारियों का दौर चल रहा है। हर घर में कोई न कोई बीमार चल रहा है। लोग डेंगू, चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू और वायरल जैसी बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। मेडिकल अस्पतालों के अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सैटेलाइट व जिला अस्पतालों की आउटडोर में मरीजों की भीड़ उमड़ रही है। एेसे में काफी हद तक स्वास्थ्य विभाग के अस्पताल मेडिसिन मरीजों का इलाज कर रहे है। एेसे में चिकित्सकों का इस समय हड़ताल पर जाना और प्रशासन का इस चुनौती से निबटना मुश्किल होगा।
जिला कलक्टर का कहना
हमने अपने स्तर पर तैयारी पूरी कर ली है, ताकि मरीजों को कोई परेशानी न हो। प्रिंसिपल, संयुक्त निदेशक व सीएमएचओ के मध्य एक समन्वय स्थापित कर इंटन्र्स व फाइनल इयर स्टूडेंट से सेवाएं लेंगे। उम्मीद है कि वार्ता के बाद हड़ताल जल्द टूट जाएगी।
– डॉ. रविकुमार सुरपुर, जिला कलक्टर