पानी के घड़ों की लगती है कतार
भीषण गर्मी से लू के बीच तंदूर की माफिक तपी जमीन पर घंटों इंतजार करना महिलाओं के लिए नामुमकिन सा हो गया। ऐसे में हैंडपंप से पानी भरने की बारी के लिए महिलाएं अपने अपने घड़ों को कतार में लगाती हैं जिससे गर्मी से कुछ निजात मिल सके। हालांकि गर्मी में बढ़ी पीने के पानी की खपत से दिनभर तपे धोरों में पानी के लिए महिलाओं के साथ गांवो की बालिकाएं भी संघर्ष करती नजर आती हैं।
हैण्डपम्प से घंटों की मशक्क्त
45 डिग्री तापमान के बीच धोरा धरती आग उगल रही है तो दूसरी तरफ ढाणियों की महिलाएं हैंपपंप से पानी के लिए घंटो मशक्क्त करती दिखाई देती हैं। पत्रिका सवांददाता से बातचीत में महिलाओं ने बताया कि चुनावों के समय नेता गांव गली के विकास के वादे करते हैं गांव में पेयजल आपूर्ति के लिए बनाई गई जीएलआर खाली पड़ी हैं, जिससे तपिश में मवेशियों के लिए पीने का पानी भी नसीब नहीं हो पा रहा है।
महंगी दरों पर टैंकर ही सहारा
गांव में पेयजल संकट के चलते ग्रामीण महंगे दामों पर टैंकरों से पेयजलापूर्ति करवाने को मजबूर है। गांव में 500 से 700 रुपए में टैंकर से पानी की सप्लाई होती है। वही लोग अपने निजी वाहनों पिकअप गाडियों से भी दूर के निजी नलकूपों से पानी का परिवहन कर रहे हैं। ऐसे में आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों को दोहरी मार का सामना करना पड़ रहा है।
इनका कहना है
भालू लक्ष्मणगढ़ गांव की ढाणियों में पेयजल संकट के बारे में जानकारी मिली है, कर्मचारियों से पेयजल हालातों पर जानकारी लेकर प्रजापतों व अन्य अभावग्रस्त ढाणियों में विभाग द्वारा टैंकरों से जलापूर्ति करवाई जाएगी।हिमालय पेयजल पाइपलाइनों को भी दुरूस्त करवाकर पानी की सप्लाई सुचारु करवाई जाएगी।
चम्पालाल बैरवा, सहायक अभियंता
जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग बालेसर