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सेंसर नहीं लगने से ‘सेंस-लेसÓ हो गया ड्राइविंग ट्रेक

locationजोधपुरPublished: Jun 04, 2019 05:23:34 pm

Submitted by:

Amit Dave

– जनता के लिए अब तक नहीं खुला ऑटोमेटेड कंप्यूटर ड्राइविंग ट्रैक
– तकनीकी उपकरण नहीं लग पाए

jodhpur

सेंसर नहीं लगने से ‘सेंस-लेसÓ हो गया ड्राइविंग ट्रेक

जोधपुर।

चुनावी आचार संहिता के कारण परिवहन विभाग में बनाया गया नया ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रेक मूर्तरूप नहीं ले पाया है। नई प्रणाली से ट्रायल लेने के लिए तैयार ट्रेक पर सेंसर, कम्प्यूटर सिस्टम, सॉफ्टवेयर सहित तकनीकी काम अटक गए है। इस वजह से, जनता के लिए ट्रेक सेंस-लेस बन गया है। लोगों को अपने वाहनों के लाइसेंस के लिए कतारों में लगकर ही ट्रायल देनी पड़ रही है और ट्रायल के परिणामों के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। परिवहन कार्यालय में बने ट्रेक की निर्माण एजेन्सी राजस्थान राज्य सड़क विकास एवं निर्माण निगम (आरएसआरडीसी ) ने इन्फ्रास्ट्रक्चर का कार्य पूरा कर लिया है। राज्य में ऐसे 13 ट्रेक परिवहन कार्यालयों में बनाए गए है । परिवहन विभाग की ओर से यातायात नियमों की पालना नहीं करके भी ड्राइविंग लाइसेंस लेने की व्यवस्था पर रोक लगाने व पारदर्शिता से ट्रायल कराने के लिए तकनीकी प्रक्रिया अपनाई जाएगी। जिसमें ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रायल टे्रक पर ट्रायल के बाद परिणाम जारी करने और अन्य तकनीकी कार्य कंप्यूटर के माध्यम से होंगे क्योंकि ट्रायल परिवहन निरीक्षक द्वारा नहीं बल्कि कम्प्यूटर से लिया जाएगा। ऐसे में ट्रायल के दौरान नियमों की पालना करने पर ही लर्निंग लाइसेंस मिल पाएगा।

कैमरों से मॉनिटरिंग

विभाग ने लर्निंग लाइसेंस और परमानेंट लाइसेंस में आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन करने के बाद ड्राइविंग ट्रायल लेने की प्रक्रिया में भी बदलाव किया है। ऑटोमेटेड ड्राइविंग ट्रेक से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी हो जाएगी। ट्रेक पर कैमरों से मॉनीटरिंग की जाएगी और सभी टेस्ट के बाद आवेदक के पास-फेल का रिजल्ट निकाला जाएगा।

यह होगा नई प्रक्रिया में

-45 मिनट पहले पहुंचना होगा आरटीओ कार्यालय

-20 मिनट की क्लास होगी ट्रायल से पहले

-02 ड्राइविंग ट्रेक बनाए गए है कार्यालय में

-04 प्रकार के ड्राइविंग टेस्ट देने होंगे चालक को
-01 दुपहिया, 1 ट्रेक होगा चौपहिया लाइसेंस के लिए

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4 प्रकार के टेस्ट होंगे

-पहले टेस्ट में यातायात नियमों की पालना करते हुए 8 का अंक बनाना जरूरी होगा

-दूसरे टेस्ट में अंग्रेजी के एच अक्षर की तरह गाड़ी चलानी पडेगी
-तीसरे टेस्ट में गाड़ी पार्क करके दिखानी होगी

-चौथे टेस्ट में गाड़ी चढ़ाते समय पीछे नहीं खिसकनी चाहिए।

ट्रेक का सिविल कार्य पूरा हो चुका है। अब सेंसर लगाने सहित कम्प्यूटराइज्ड काम बाकी है, जो मुख्यालय से निर्देशानुसार ही होगा।
विनोदकुमार लेगा

जिला परिवहन अधिकारी जोधपुर

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