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सूखी नदियां बदल सकती है किस्मत

locationजोधपुरPublished: Oct 27, 2020 11:59:11 pm

Submitted by:

pawan pareek

बिलाड़ा (जोधपुर). मारवाड़ क्षेत्र की सूखी पड़ी नदियों में फिर से जल प्रवाहित करने के लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड एवं भूगोलवेत्ता वैज्ञानिकों की ओर से तैयार किए गए। ग्रीन राजस्थान प्रोजेक्ट पर राज्य सरकार ने अमल किया होता तो न सिर्फ रेगिस्तान के विस्तार पर रोक लगती बल्कि यह क्षेत्र हरी-भरी फसलों से लहलहा रहा होता।

सूखी नदियां बदल सकती है किस्मत

सूखी नदियां बदल सकती है किस्मत

बिलाड़ा (जोधपुर). मारवाड़ क्षेत्र की सूखी पड़ी नदियों में फिर से जल प्रवाहित करने के लिए केंद्रीय भूजल बोर्ड एवं भूगोलवेत्ता वैज्ञानिकों की ओर से तैयार किए गए। ग्रीन राजस्थान प्रोजेक्ट पर राज्य सरकार ने अमल किया होता तो न सिर्फ रेगिस्तान के विस्तार पर रोक लगती बल्कि यह क्षेत्र हरी-भरी फसलों से लहलहा रहा होता। लेकिन न तो इस क्षेत्र के सांसदों ने रुचि ली और न ही राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट को गंभीरता से लिया।

भूगोलवेत्ता नरपत सिंह राठौड़ बताया कि भूजल बोर्ड के वैज्ञानिकों की ओर से गत वर्षों में किए गए अध्ययन एवं सर्वेक्षणों में यह स्पष्ट हो गया कि पश्चिमी राजस्थान में कम बारिश अधिक वाष्पन तथा भू-जल स्तर गहरा होने के कारण क्षेत्र में भूजल का पुनर्भरण नहीं हो पाता और भूजल स्तर लगातार गिर रहा है।
पुनर्भरण की है संभावना
उन्होंने बताया कि भूजल पुनर्भरण की कृत्रिम विधियों को क्षेत्र में भू- जल धारण करने वाली चट्टानों के प्रकार के हिसाब से अपनाए जाने के लक्ष्य को लेकर इस प्रोजेक्ट के तहत भूगर्भीय अध्ययन किए गए। थार के भूगर्भ में स्थित एक्वीफर (भू जल धारण करने वाली चट्ट) की विभिन्न स्थितियों व ज्यामितीय विचारों के अध्ययन के बाद यह बात सामने आई कि पश्चिमी क्षेत्र से भू-जल स्तर अधिक गहराई पर है। वैज्ञानिकों का मानना है कि भूजल जितना अधिक गहराई पर होगा, कृत्रिम पुनर्भरण तकनीक उतनी ही अच्छी तरह कार्य करेगी।
वैज्ञानिकों की राय
राठौड़ ने बताया कि लाठी बेसिन (बाड़मेर- जैसलमेर) 14 हजार 700 एमसीएम, पलाना नागौर सेंड स्टोन बेसिन में 14 हजार 500 एमसीएम पानी का अतिरिक्त संवर्धन भूजल कृत्रिम पुनर्भरण प्रक्रिया से किया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार पश्चिमी राजस्थान के 13 जिलों में 71 हजार 318 एमसीएम अतिरिक्त पानी भूमिगत किया जा सकता है। रिपोर्ट के माध्यम से सलाह दी गई कि भूजल पुनर्भरण के लिए आवश्यक पानी इंदिरा गांधी नहर की विभिन्न लिफ्ट परियोजनाओं नर्मदा, माही, चंबल एवं यमुना नदी के अलावा बाढ़ के पानी तथा पड़ोसी राज्यों से पानी खरीदा जा सकता है।

गजब क्षमता है जल धारण की
रेगिस्तान में आने वाली भूमि का कुल क्षेत्र हरियाणा और पंजाब से भी बड़ा है। जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर जिलों में फैले लाठी व भाड़का का सेंड स्टोन थार मरुस्थल में सबसे आदर्श एक्वीफर बनाते हैं। क्षेत्र में बारिश कम मात्रा में होती है, नदी-नालों का भी अभाव है। रिपोर्ट के अनुसार यहां कोलायत, फलोदी को पोकरण लिफ्ट परियोजना से पुनर्भरण किया जा सकता है। बोरुंदा, रणसीगांव, बिलाड़ा, तिंवरी, मथानियां, पाल, डोली, झंवर आदि इलाकों में भूजल पुनर्भरण किया जा सकता है। भूजल बोर्ड के वैज्ञानिकों के अनुसार प्रोजेक्ट रिपोर्ट राज्य सरकार को एवं विश्व बैंक को सुपुर्द किए अरसा हो चुका है ।
इच्छा शक्ति में है कमी
भूगोलवेत्ता राठौड़ स्पष्ट कहते हैं कि वर्तमान में जोधपुर सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत जलशक्ति मंत्री है। वहीं बाड़मेर के सांसद कैलाश चौधरी कृषि मंत्री है। पाली सांसद पीपी चौधरी यदि सशक्त पैरवी करें तो पश्चिमी राजस्थान फिर से पानी के मामले में मालामाल हो जाएगा।
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