कायलाना की पहाडिय़ां एक बार फिर चर्चा में हैं। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटन के रूप में लोगों के सामने लाने के लिए एक बार फिर प्रयास किए जा रहे हैं। दो ईको पाथ का सर्वे कार्य शुरू करवाया जा रहा है। लोगों के लिए किस प्रकार मार्ग सुगम होगा इसकी रिपोर्ट बनेगी। यदि दोनों पाथ की सकारात्मक रिपोर्ट आती है तो इसके बाद डीपीआर के लिए काम होगा। फिलहाल यह रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जाएगी। इसके बाद आगे बजट दिया जाएगा।
इन दो पथ का सर्वे 1. कायलाना पार्क से भीमभडक़ जाने वाले मार्ग होते हुए सिद्धनाथ मंदिर तक कायलाना झील के पास तक सर्वे। इसके लिए 20 हजार 300 रुपए का बजट रखा गया है।
2. कायलाना से सिद्धनाथ होते हुए चौपासनी रोड तक सर्वे। 31 हजार 900 रुपए का बजट रखा गया है।
2. कायलाना से सिद्धनाथ होते हुए चौपासनी रोड तक सर्वे। 31 हजार 900 रुपए का बजट रखा गया है।
टोटल स्टेशन सर्वे
टोटल स्टेशन सर्वे में इन दोनों पाथ का इलेक्ट्रोनिक डिस्टेंस मेजरमेंट से नाप लिया जाएगा। होरिजेंटल व वर्टिकल एंगल के साथ स्लोब का भी अध्ययन किया जाएगा। जिससे सडक़ किनारे नए पर्यटन केन्द्र विकसित किए जा सके।
टोटल स्टेशन सर्वे में इन दोनों पाथ का इलेक्ट्रोनिक डिस्टेंस मेजरमेंट से नाप लिया जाएगा। होरिजेंटल व वर्टिकल एंगल के साथ स्लोब का भी अध्ययन किया जाएगा। जिससे सडक़ किनारे नए पर्यटन केन्द्र विकसित किए जा सके।
डीपीआर सकारात्मक रही तो बनेंगे जॉगिंग व साइकिलिंग टे्रक
यदि कायलाना के आस-पास इन पाथ की सर्वे रिपोर्ट और फिर डीपीआर सकारात्मक आती है तो जॉगिंग व साइकिलिंग ट्रेक विकसित किए जाएंगे। इनको सेहत के साथ ही ईको-टूरिज्म के लिहाज से भी विकसित किया जाएगा।
यदि कायलाना के आस-पास इन पाथ की सर्वे रिपोर्ट और फिर डीपीआर सकारात्मक आती है तो जॉगिंग व साइकिलिंग ट्रेक विकसित किए जाएंगे। इनको सेहत के साथ ही ईको-टूरिज्म के लिहाज से भी विकसित किया जाएगा।
पहले से अटका है एक प्रोजेक्ट
सिद्धनाथ मंदिर के समीप कायलाना की पहाडिय़ों में एक प्रोजेक्ट पहले से ही अटका हुआ है। रोप-वे का यह प्रोजेक्ट पीपीपी मोड पर बनना था। लेकिन वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति नहीं मिलने से काम अटका हुआ है। यदि ईको-टूरिज्म व साइकलिंग-जॉगिंग टे्रक को हरी झंडी मिलती है तो रोप-वे को भी सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी।
सिद्धनाथ मंदिर के समीप कायलाना की पहाडिय़ों में एक प्रोजेक्ट पहले से ही अटका हुआ है। रोप-वे का यह प्रोजेक्ट पीपीपी मोड पर बनना था। लेकिन वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की स्वीकृति नहीं मिलने से काम अटका हुआ है। यदि ईको-टूरिज्म व साइकलिंग-जॉगिंग टे्रक को हरी झंडी मिलती है तो रोप-वे को भी सकारात्मक ऊर्जा मिलेगी।
इनका कहना है
कायलाना के आस-पास अभी सर्वे करवा रहे हैं। इसके बाद डीपीआर तैयार की जाएगी। यहां प्राकृतिक वातावरण में लोग जॉगिंग व साइकिलिंग का लुत्फ ले सकेंगे।
– गौरव अग्रवाल, आयुक्त, जेडीए जोधपुर
कायलाना के आस-पास अभी सर्वे करवा रहे हैं। इसके बाद डीपीआर तैयार की जाएगी। यहां प्राकृतिक वातावरण में लोग जॉगिंग व साइकिलिंग का लुत्फ ले सकेंगे।
– गौरव अग्रवाल, आयुक्त, जेडीए जोधपुर