जोधपुर

खोखली हो रही शिक्षा की जमीन, स्कूलों में हैड मास्टर की कमी…..

– प्रारंभिक शिक्षा विभाग हो रहा शक्तिहीन
 

जोधपुरNov 01, 2017 / 03:35 pm

Abhishek Bissa

elementary education is suffering

जिले के गांवों के प्रारंभिक स्कूलों में प्रधानाध्यापक कम हो रहे हैं। आलम यह है कि काउंसलिंग और पदस्थापन प्रक्रियाओं के बीच प्रारंभिक शिक्षा विभाग की स्कूलों में द्वितीय श्रेणी के शिक्षक कम होते जा रहे हैं। वर्तमान आंकड़ों पर नजर डालें तो प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अधीनस्थ जिले की ८६८ राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में महज ४४९ स्कूलों में ही हैड मास्टर कार्यरत हैं। इन स्कूलों में ४१९ विद्यालय संस्था प्रधान के लिए तरस रहे हैं।
 

 

काउंसलिंग: विषयाध्यापक भी गया, प्रधानाध्यापक नहीं
दरअसल, शिक्षा विभाग के प्रारंभिक शिक्षा विभाग सैटअप में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में द्वितीय श्रेणी के शिक्षक को प्रधानाध्यापक लगाया जाता है। काउंसलिंग कर पदस्थापन का कार्य माध्यमिक शिक्षा विभाग करता है। इसमें से राउप्रावि में प्रधानाध्यापक योग्य ज्यादातर द्वितीय श्रेणी के शिक्षक माध्यमिक शिक्षा विभाग की कक्षा ९,१० व ११-१२वीं तक की स्कूल में पदस्थापित होते हैं। इस प्रक्रिया में राउप्रा विद्यालयों के बहुत कम विकल्प होते हैं। इस पॉलिसी में विद्यालय से विषयाध्यापक के साथ एक संस्था प्रधान भी पदोन्नत होकर चला जाता है। हालांकि काउंसलिंग व शिक्षा विभाग की पॉलिसी प्रक्रियाओं में कई जटिलताओं के बीच विद्यार्थियों को नुकसान होता है।
 

 

 

प्रारंभिक शिक्षा उप निदेशक शक्तिहीन
प्रारंभिक शिक्षा विभाग में एसीपी (९,१८,२७ का लाभ) के आवेदन प्रारंभिक शिक्षा के अध्यापक बीईईओ से डीईओ प्रारंभिक, वहां से डीडी प्रारंभिक से डीडी माध्यमिक भेजते हैं। वहां से लाभ की स्वीकृति होती है, जबकि प्रारंभिक उप निदेशक व माध्यमिक उप निदेशक का पद एक ही है। इसके बावजूद प्रारंभिक उप निदेशक, माध्यमिक उप निदेशक से शक्तियों के मामले में कमजोर होता है। खुद के विभाग में अधीनस्थ चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी और लिपिक लगाने का अधिकार भी प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास नहीं है। सरकार प्रारंभिक शिक्षा विभाग के ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों की भी शक्ति कम कर के सारी पॉवर पीईईओ को दे रही है।
 

 


कार्यों का सरलीकरण

पीईईओ होने से मॉनिटरिंग हो रही है। बीईईओ के जरिये पीईईओ की मॉनिटरिंग हो रही थी। कार्यों का सरलीकरण हो रहा है।
– नूतनबाला कपिला,

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