जेडीए में जोन के हिसाब से उपायुक्त और तहसीलदार, पटवारी सहित अन्य कार्मिक भी हैं। लेकिन शहर के विस्तार को देखते हुए प्रवर्तन शाखा काफी कमजोर है। न तो जोन-वार प्रर्वतन अधिकारी है और न निरीक्षक। इसके बाद भी जेडीए प्रशासन प्रवर्तन शाखा में लगे कर्मचारियों को दूसरे काम में लगा देता है। इससे अवैध निर्माण और अतिक्रमण पर निगरानी का तत्र चरमरा रहा है।
जेडीए क्षेत्र में एक माह में अवैध निर्माण और अतिक्रमण की 50 से अधिक शिकायतें आती हैं। लेकिन कार्मिकों की कमी से 8-10 शिकायतों पर कार्रवाई होती है। इनमें भी अवैध निर्माण ध्वस्त करने जैसी कार्रवाइयां एक-दो होती हैं। अधिकांश मामलों में काम रुकवा कर या औजार जब्त कर इतिश्री कर ली जाती है। काम रुकवाने में भी पूर्व जोन सबसे आगे है।
यह है स्थिति जेडीए का क्षेत्र चार जोन में विभक्त है। प्रवर्तन दस्ते में एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक है। इनके पास टीम के नाम पर सहायक प्रवर्तन अधिकारी और दो प्रर्वतन निरीक्षक हैं। प्रर्वतन शाखा में एक ही कर्मचारी नियुक्त है। जब बड़ी कार्रवाई को अंजाम देना होता है तो सुरक्षाकर्मियों की आवश्यकता होती है। होमगार्ड के जवान साथ ले जाते हैं। संबंधित थाने से भी इमदाद मांगी जाती है।
जयपुर जेडीए जैसी व्यवस्था हो तो रुके अवैध निर्माण जयपुर जेडीए में अवैध निर्माण रोकने के लिए आइपीएस अधिकारी के अलावा अतिरिक्त अधीक्षक, उपाधीक्षक और सर्किल इंस्पेक्टर के साथ पुलिस का पूरा जाप्ता उपलब्ध है। जोनवार प्रवर्तन अधिकारी के साथ भी पूरी टीम मुहैया करवाई जाती है।
केस स्टडीज से जानिए क्या हैं हाल केस 1
चौखा क्षेत्र में जोधपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) की योजना के समीप अवैध निर्माण कर लिया गया। लम्बे समय तक तो जानकारी ही नहीं मिली। दो दिन पहले ही जेडीए टीम ने कार्रवाई की।
केस 2
डिगाड़ी क्षेत्र और नान्दड़ी बनाड़ रोड पर दुकानों का अवैध निर्माण किया जा रहा था। प्रेम नगर में भी अवैध निर्माण हुए। जेडीए की टीम पहुंची और काम रुकवा कर औजार ले आई।
केस 3 झालामंड क्षेत्र में पुराने पाली रोड पर अवैध दुकानों व भवनों और झालामंड से गुढ़ा गांव मार्ग पर भी छप्पर लगाकर अवैध निर्माण की शिकायतें मिल रही थी। यह निर्माण भी जेडीए टीम ने रुकवाए।