जोधपुर

सरकार खुद उड़ा रही खाद्य प्रसंस्करण मिशन योजना की खिल्ली, उद्यमियों को हो रहा करोड़ों का घाटा

योजना के तहत प्रदेश में करीब 176 उद्यमियों को 65 करोड़ का अनुदान मिलना है
 

जोधपुरAug 02, 2018 / 12:22 pm

Harshwardhan bhati

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जोधपुर. केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना को लेकर राज्य सरकार को सब्सिडी देनी थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रदेश के सैकड़ों लोगों ने करोड़ों का कारोबार शुरू कर दिया, लेकिन सब्सिडी हाथ नहीं लगने की वजह से वे कंगाल घोषित होने के कगार पर पहुंच गए हैं। केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2011-12 में खाद्य प्रसंस्करण योजना शुरू की थी, ताकि लोगों को रोजगार मिल सके व स्थानीय स्तर पर भी कच्चे माल का उत्पादन और बाजार की खरीद बिक्री प्रक्रिया में सुधार आ सके। योजना की शर्तों के अनुसार उद्योग की कुल लागत का 35 प्रतिशत सब्सिडी उद्यमी को मिलने का प्रावधान रखा गया। इसमें 75 प्रतिशत हिस्सा केन्द्र व शेष 25 प्रतिशत हिस्सा राज्य सरकार था।
176 उद्यमी लगा चुके उद्योग


राजस्थान में करीब 176 लोगों ने करोड़ों रुपए खर्च कर उद्योग लगाए और इस योजना के तहत विभिन्न प्रकार के कामों का विधिवत संचालन शुरू किया। योजना में जोधपुर से 15 उद्यमियों ने करोड़ों रुपए लगाकर अलग-अलग उद्योग शुरू किए। योजना में आवेदन किए उद्यमियों को करीब 65 करोड़ रुपए का अनुदान मिलना है।
केन्द्र व राज्य सरकार के बीच घूम रहे उद्यमी

योजना में आवेदन कर चुके मैसर्स दरियाव इंडस्ट्रीज के मगराज टावरी ने बताया कि समस्या तब पैदा हुई, जब करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद में उद्योगपतियों ने सब्सिडी प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार के यहां आवेदन किया। इस पर राज्य सरकार से जवाब मिला कि केन्द्र से राशि नहीं आ रही है। उन्होंने बताया कि जब दिल्ली में योजना से जुड़े विभाग व वित्त विभाग के अधिकारियों से मिले तो उन्होंने बताया कि योजना वर्ष 2015 मे बंद की जा चुकी है। योजना शुरू होने के वर्ष से बंद होने तक की अनुदान राशि का हिस्सा राज्य सरकार को दिया जा चुका है।
मंत्री-विधायक तक पहुंचाई बात


एक अन्य आवेदक रोशन राठी ने बताया कि पिछले दिनों जोधपुर सहित प्रदेश के कई जिलों के व्यापारियों ने मुख्यमंत्री, उद्योग मंत्री सहित अन्य मंत्रियों को पत्र लिखकर इस समस्या से अवगत करवाया। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की योजना पर उन्होंने करोड़ों रुपए खर्च करके मशीनरी, अन्य सामान, संसाधन खरीद उद्योग तो लगा दिए। सब्सिडी प्राप्त करने की बारी आई तो राज्य सरकार हाथ खींच रही है। ऐसे में आवेदन करने वाले प्रदेश के करीब 176 उद्यमियों के साथ धोखा है।

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