यह आदेश ओमप्रकाश प्रजापत की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए दिए। याचिका में जोधपुर शहर में संचालित सैंकडों अवैध औद्योगिक इकाईयों से उत्सर्जित धुंए, तेजाबी पानी और पत्थर कटिंग मलबे से शहर के पर्यावरण पर हो रहे प्रतिकूल असर और शहर के नागरिकों के स्वास्थ्य पर खतरे को मुद्दा बनाया गया है।
याचिकाकर्ता ओर से अशोक कुमार चौधरी ने कहा कि शहर के रिहायशी इलाकों में ही नहीं, कृषि भूमि, ग्रीनबेल्ट जोन और रेलवे लाइन के एक ओर रिहायशी कॉलोनियों तथा दूसरी ओर औद्योगिक इकाइंयों के संचालन से शहर का पर्यावरण दूषित हो रहा है जिससे नागरिकों के स्वास्थ्य पर बडा खतरा मंडरा रहा है।
उन्होंने कहा कि शहर के नजदीक ही पत्थर कटिंग इकाइयों से उडऩे वाली डस्ट उड़ कर हवा में मिल रही है। मुख्य शहर के कई मोहल्लों में भी अवैध फैक्ट्रियां संचालित हो रही हैं।
कृषि भूमि में बिना भू परिवर्तन के, यहां तक कि ग्रीन बेल्ट में तनावड़ा के पास जेडीए व रिको की ओर से निजी औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने की इजाजत देकर जन स्वास्थ्य से खिलवाड किया जा रहा है।