खरीफ की फसलों और उपज के लिहाज से किसानों के लिए इस बार बीते कुछ बरसों के मुकाबले ‘जमानाÓ अच्छा नहीं कहा जा सकता है और इस कारण किसानों के यहां न केवल घर के लायक, बल्कि बाजारों में बेचकर जेब भारी करने लायक अनाज होने की तो उम्मीद ही नहीं है। हालत यह है, कि इस बार तो क्षेत्र के अधिकांश ग्रामीण इलाकों के किसानों के लिए अपनी उपज लेकर बाजारों में बेचने के लिए जाने का काम ही नहीं रहा और न ही बाजारों में ले जाने लायक उपज ही आई है। हां, यह बात जरुर है कि कुछेक गांवों में जरुर घर-गुजारे लायक अनाज हो जाएगा, लेकिन पशुओं के लिए चारे का संकट तो इस बार सभी जगहों पर नजर आ रहा है। इस बार उम्मीदों के मुताबिक अच्छी उपज नहीं आने से किसानों की तबियत भी नासाज हो गई है और उनकी त्यौंहारी सीजन भी फीकी रहती दिख रही है।
अच्छा नहीं रहा यह साल
इस बार क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में सावणी फसलों के उगाव से लेकर उपज आने तक देखा जाए, तो बारिश की कमी ने सारा खेल ही बिगाड़ दिया है। पिछले कुछ बरसों के मुकाबले इस बार ‘जमानाÓ बेहद खराब ही रहा है और उपज भी बेहद कम ही आ रही है। ऐसे में इस बार की खेती अधिकांश किसानों के लिए घाटे का सौदा ही साबित होगी। – चैनाराम गोदारा, किसान