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पंचायत चुनाव : गांवों में जातीय तनाव की आशंका ने उड़ाई सरकार की नींद

locationजोधपुरPublished: Oct 07, 2020 12:23:09 am

Submitted by:

pawan pareek

पीपाड़सिटी. जोधपुर जिले में चौथे चरण में पीपाड़सिटी पंचायत समिति में 10 अक्टूबर को मतदान के दिन जातीय तनाव की आशंका को देखते बाईस पंचायतों को कानून व्यवस्था की दृष्टि से अति संवेदनशील घोषित किया गया है जबकि दस को संवेदनशील माना गया हैं।

गांवों में जातीय तनाव की आशंका ने उड़ाई सरकार की नींद

पीपाड़सिटी पंचायत समिति के एक गांव में रूटमार्च करती पुलिस।

पीपाड़सिटी. जोधपुर जिले में चौथे चरण में पीपाड़सिटी पंचायत समिति में 10 अक्टूबर को मतदान के दिन जातीय तनाव की आशंका को देखते बाईस पंचायतों को कानून व्यवस्था की दृष्टि से अति संवेदनशील घोषित किया गया है जबकि दस को संवेदनशील माना गया हैं।
सूत्रों के अनुसार पंचायतों के अंतिम चरण के चुनावों में राजनीतिक दलों के दिग्गजों की सक्रियता के साथ जातीय बहुलता के चलते गांवों की सरकार पर कब्जा करने को लेकर संभावित जातीय तनाव की सूचना ने प्रशासन के कान खड़े कर दिए हैं। क्षेत्र की 32 पंचायतों को अति संवेदनशील और संवेदनशील माना गया है। कारण कि पंचायत चुनावों में तीसरी ताकत के कारण एक-एक वोट कीमती होने को देखते हुए जातीय संघर्ष की आशंका व्यक्त की जा रही है। ऐसे में एहतियात के तौर पर भारी पुलिस तैनात की जाएगी।

ये पंचायतें हैं अति संवेदनशील

पंचायत समिति क्षेत्र में रामड़ावास कलां, रियां, सिलारी, चिरढाणी, तिलवासनी, रावनियाना, सियारा, कोसाणा, रतकुडिय़ा, खारिया खंगार, खांगटा, मादलिया, बोरुंदा, चौढा, बुचकलां, सालवा खुर्द, कागल, खवासपुरा, भुंडाना, मलार, बोयल, साथीन गांवों को अति संवेदनशील और कूड़, चौढा, जसपाली, जवासिया, मलार, खारिया अनावास, पालड़ीसिद्धा, चौकड़ीकलां, बेनण व नानण को संवेदनशील घोषित किया गया। शेखनगर, बाड़ाकलां व सिंधीपुरा में पहले ही निर्विरोध सरपंच निर्वाचित हो चुके हैं। पंचायत चुनावों में राजनीतिक दिग्गजों के साथ उद्योगपतियों के परिजनों के चुनावी दंगल में उतरने से कोई भी गांव चुनाव की दृष्टि से सामान्य नहीं रहा है।

क्षत्रपों की अग्नि परीक्षा
पंचायत चुनाव में राज्य के साथ जिले की राजनीति के क्षत्रपों के निकट परिजनों के सरपंच चुनावों में ताल ठोकने से दिग्गजों की अग्नि परीक्षा बन गए हैं दस अक्टूबर के चुनाव। इनमें राज्यसभा के पूर्व सांसद रामनारायण डूडी,पूर्व उपजिला प्रमुख हीरालाल मुंडेल, लूणी विधायक महेंद्र बिश्नोई, पूर्व प्रधान कमलेश जाखड़ और चुन्नीदेवी बडियार के निकट परिजन अपने गांवों की पंचायतों में सरपंच पद पर भाग्य आजमा रहे हैं। उनको प्रतिद्वंद्वी से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि पंचायतों के परिसीमन के बाद सात नव सृजित पंचायतों के सृजन के कारण जातीय समीकरण गड़बड़ा गए हैं। इसके साथ पूर्व राज्य मंत्री कमसा मेघवाल, अर्जुनलाल गर्ग, विधायक हीराराम मेघवाल(बिलाड़ा) आरएलपी प्रदेशाध्यक्ष एंव विधायक पुखराज गर्ग के समर्थकों के पंचायत चुनावों में उतरने से कई जगह मुकाबले त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय बनने लगे हैं। कहने को सरपंच चुनाव गैरदलीय आधार पर लड़े जा रहे हैं लेकिन मुकाबला प्रतिष्ठा से जुड़ गया है।
इनका कहना है

क्षेत्र में कई पंचायतों में कांटे का मुकाबला होने से जातीय तनाव की आशंका को देखते हुए पूरे ब्लॉक के मतदान केंद्रों को संवेदनशील और अति संवेदनशील घोषित किया गया है।
-शैतान सिंह राजपुरोहित,
रिटर्निंग अधिकारी, पंचायत चुनाव,पीपाड़सिटी।

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