जेडीए में पिछले साल फाइलें चोरी होने के दो प्रकरण दर्ज हुए थे। तब 100 से अधिक पत्रावलियां पार हो गई थी। इसके बाद पिछले माह भी एक प्रकरण रातानाडा थाने में दर्ज हुआ। जिसमें निर्माण शाखा से पत्रावली चोरी होना पाया गया। अब सूचना के अधिकार में प्रकरण जो सामने आया है वह फाइल कृषि भूमि से अकृषि भूमि में 90 ए रूपांतरण कीहै। पहले तो एक साल तक इन प्रकरणों का निस्तारण नहीं होता, जब फाइल घूमती है तो उस पर ऐसे रिमार्क आ रहे हैं जो जेडीए कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहे हैं।
घूमती फाइलों में ऐसी गड़बडिय़ां – एक बाबू ने लिखा कि रूपांतरण प्रकरण में प्रारूप एफ पीटी सर्वे संलग्न करना भूल गए। ऐसे में फाइल कई कमरों के चक्कर काटती रही।
– निदेशक वित्त ने लिखा कि ऐसी पत्रावली इस कार्यालय में टिप्पणी के लिए नहीं आती है। फिर भी भेजी जा रही है।
– पत्रावलियों के सुपर इम्पोज्ड मानचित्र संलग्न किए बिना आयोजन शाखा में भेजा गया। ऐसे में फिर कुछ दिन फाइल घूमती रही।
शिकायत की तो नए सिरे से चली फाइल इस प्रकरण में प्रार्थी और आरटीआइ से सूचना मांगने वाले मथानिया निवासी दाऊलाल बूब ने एक साल बाद भी 90 ए की फाइलों का निस्तारण नहीं हुआ तो पिछले एक साल में उनके साथ हुए पूरे घटनाक्रम का पुलिंदा जिला कलक्टर व जेडीए आयुक्त को थमाया। उन्होंने बताया कि 13 मार्च, 2018 को एकल खिडक़ी में फाइल जमा करवाने के बाद कैसे उनको चक्कर कटवाए गए। जेडीए आयुक्त गौरव अग्रवाल ने अब इस प्रकरण की नए सिरे से जांच के निर्देश दिए हैं।