scriptपहले हिचके, फिर दुश्मन पर काल बनकर बरस पड़े ‘हंटर’ | First hesitating, then 'Hunter' rained down on the enemy | Patrika News

पहले हिचके, फिर दुश्मन पर काल बनकर बरस पड़े ‘हंटर’

locationजोधपुरPublished: Dec 06, 2021 06:39:29 pm

-कृषक विमान बने थे लोंगेवाला में फॉरवर्ड एयर कंट्रोल

पहले हिचके, फिर दुश्मन पर काल बनकर बरस पड़े 'हंटर'

पहले हिचके, फिर दुश्मन पर काल बनकर बरस पड़े ‘हंटर’

सुरेश व्यास/लोंगेवाला (जैसलमेर)। निश्चित तौर पर वायुसेना के हंटर विमानों ने ही लोंगेवाला में पाकिस्तानी टैंकों का कब्रिस्तान बनाया, लेकिन इसमें एयर ऑबजर्वेशन पोस्ट के रूप में तैनात किए गए माइक्रोलाइट निगरानी विमान कृषक की भूमिका को भी नहीं भुलाया जा सकता। इन विमानों ने हंटर विमानों के लिए फॉरवर्ड एयर कंट्रोल का काम किया। इनसे मिल रही दुश्मन के टैंकों की सटीक जानकारी की बदौलत ही हंटर विमान दुश्मन को निशाना बनाते रहे। लगभग आठ घंटे के एयर ऑपरेशन के दौरान लगभग तीन दर्जन पाकिस्तानी टैंक और लगभग सवा सौ सैन्य वाहन नैस्तनाबूद हो गए। लोंगेवाला युद्ध को लेकर आम लोगों में रोमांच जगाने वाली जेपी दत्ता की फिल्म ‘बार्डर’ या अन्य माध्यमों से ये सच्चाई कम ही सामने आ सकी।
दरअसल, पूर्वी पाकिस्तान की गतिविधयों को भांप कर भारतीय सेना ने पश्चिम मोर्चे से पाकिस्तान पर आक्रामक धावा बोलने की रणनीति बनाई थी। इसके तहत जैसलमेर में तैनात 12वीं इंफेंट्री डिविजन को किशनगढ़ के रास्ते पाकिस्तान के रहिमयारखान इलाके पर कब्जा करना था और 1वीं डिविजन को बाड़मेर के रास्ते पाकिस्तान का कराची से रेल संपर्क काटना था। इसके अनुरूप ही अक्टूबर 1971 में सैन्य जमावड़ा किया गया। छह हंटर एमके- 56 विमान जैसलमेर में तैनात थे। नासिक से कृषक विमानों वाली 12-ओपी फ्लाइट यूनिट भी 22 अक्टूबर तक पहुंच गई। रनाऊ और किशनगढ़ में एडवांस लैंडिंग ग्राउंड बनाए गए। इसी दौरान पाकिस्तान ने 3 दिसम्बर को पश्चिम मोर्चे के 9 एयरफील्ड पर हवाई हमला कर युद्ध की शुरूआत कर दी, लेकिन 4-5 दिसम्बर की रात पाकिस्तान लोंगेवाला पर आक्रामक धावा बोलकर एक तरह से चौंका दिया, जबकि 5 दिसम्बर को रहिमयारखान पर हमले की तैयारी थी। इंफेंट्री डिविजन को प्लान बदलना पड़ा और लड़ाई लोंगेवाला में केंद्रीत हो गई।

यूं एक के बाद एक टैंक बनता गया आग का गोला
जंग की वक्त ओपी फ्लाइट के कैप्टन रहे पीएस नागा बताते हैं कि 5 दिसम्बर की सुबह पौ फटते ही फ्लाइट कमांडेंट मेजर आत्मासिंह ने उन्हें रनाऊ से हंटर विमानों की मदद के लिए भेजा। उन्होंने ऑब्जर्वर ऑपरेटर राजसिंह के साथ रनाऊ से कृषक विमान में उड़ान भरी। लगभग दस मिनट की उड़ान के बाद आकाश में धुआं उठता दिखाई दिया। इसी दौरान दो हंटर विमान भी लोंगेवाला पोस्ट के पास उड़ते नजर आ गए। इन विमानों ने दो पाकिस्तानी टैंक उड़ा दिए, लेकिन उन्हें संशय था कि ये टैंक दुश्मन के हैं या नहीं। ऐसे में हंटर ने हमला रोक दिया।
कैप्टन नागा ने हंटर पायलट से रेडियो कॉन्टेक्ट साधा। लोंगेवाला पहुंचे तो वहां दुश्मन के हमले से चौकी और कुछ वाहन जल रहे थे। कैप्टन नागा ने चौकी के चारों ओर चक्कर लगाए इसी दौरान दुश्मन ने विमानरोधी टैंक से फायर किया, लेकिन वे बच गए। उन्होंने टैंकों की कतार देखकर हंटर विमान को संदेश भेजा कि ये दुश्मन के टैंक ही हैं। कृषक विमान फॉर्वर्ड एयर कंट्रोल के रूप में दुश्मन की लोकेशन बताता रहा और हंटर दुश्मन के टैंक उड़ाते रहे। दो घंटे में सात टैंक बर्बाद होने के बाद कृषक विमान रिफ्यूलिंग आदि के लिए रनाऊ एएलजी पर लौटा।
मेजर आत्मासिंह दूसरे मिशन पर जाने को तैयार थे, लेकिन कैप्टन नागा ने ही दुबारा जाने की इच्छा व्यक्त की और पांच मिनट बाद ही दूसरा विमान लेकर निकल गए। उधर, दो और हंटर विमान आए और कृषक की मदद से टैंक उड़ाते रहे। दो घंटे 40 मिनट की उड़ान के दौरान दुश्मन के 6 टैंक बर्बाद कर दिए गए। एक टैंक पाकिस्तानी फौजी छोड़ भागे। इस तरह दो बार में पाकिस्तान के 13 टैंक बर्बाद हो गए। तब तक 17- राज रिफ की रीइन्फोर्समेंट टुकड़ी लोंगेवाला पहुंच चुकी थी। दुश्मन के टैंक भी पीठ दिखाकर पीछे जाने लगे थे।
तीसरे मिशन में मेजर आत्मा उड़े और हंटर ने फिर 7 टैंक बर्बाद कर दिए। इसी दौरान मेजर आत्मा के कृषक विमान की लोंगेवाला के पास हेलीपैड पर इमरजेंसी लैंडिंग करवानी पड़ी, लेकिन मिशन सफल हो चुका था। दोपहर 3 बजे तक महज आठ घंटे में दुश्मन के दो दर्जन से ज्याद टैंक बर्बाद हो चुके थे।
एयरफोर्स के मारक प्रहार, 23-पंजाब, बीएसएफ और अन्य सैन्य टुकड़ियों के हौंसले और थार के रेगिस्तान की विषम परिस्थितयों ने पाकिस्तान को हथियार डालने पर मजबूर कर दिया। अगले दिन यानी 6 दिसम्बर को बची-खुची पाकिस्तानी फौज भी पीछे हट गई। हवाई सर्वेक्षण के दौरान पता लगा कि पाकिस्तान के कुल 27 टैंक व 122 सैन्य वाहन बर्बाद हो चुके थे, बाद में हालांकि बर्बाद टैंक की संख्या 34 बताई गई। इस युद्ध में मेजर चांदपुरी को महावीर चक्र तथा कृषक विमानों से हंटर को सटीक जानकारी देने वाले मेजर आत्मा व कैप्टन नागा को वीर चक्र प्रदान किया गया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो