उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट में पहली बार हुई वीसी से सुनवाई में 360 डिग्री घूमने वाला हाइटेक कैमरा और ध्वनि संवेदी माइक्रोफोन के साथ बड़ी स्क्रीन पर दोनों तरफ के लाइव दृश्य की व्यवस्था रही। गत शनिवार को समस्त परीक्षण पूरे करने के बाद हाईकोर्ट के प्रशासनिक अधिकारियों और अधिवक्ताओं ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई के दौरान संभावित हर तकनीकी दुविधा का हल निकालते हुए सिस्टम को परखा था।
इस मामले में चल रही है सुनवाई राज्य सरकार की ओर से राजस्थान पिछड़ा वर्ग संशोधन अधिनियम-2019 के तहत गुर्जर सहित पांच जातियों गाडिया लुहार, बंजारा, रेबारी व राइका को एमबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) में पांच प्रतिशत विशेष आरक्षण देने को चुनौती देते हुए जयपुर निवासी अरविंद शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी। इसकी सुनवाई जयपुर से जोधपुर मुख्यपीठ में स्थानांतरित कर दी गई। मुख्य न्यायाधीश एस. रविंद्र भट्ट की अगुवाई वाली खंडपीठ इस याचिका पर सुनवाई कर रही है। इससे पूर्व, तीन बार जोधपुर में याचिका की कोर्ट संख्या एक में सुनवाई हो चुकी है लेकिन याचिकाकर्ता के अधिवक्ता एवं राज्य सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे महाधिवक्ता की सोमवार को जोधपुर पीठ में उपस्थिति सुनिश्चित नहीं होने के मद्देनजर मुख्य न्यायाधीश भट्ट ने अभिनव पहल करते हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई करने के आदेश दिए थे।
इस तरह की थी तैयारियां इस मामले की वीडियो कॉन्फ्रेसिंग से सुनवाई के लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने पहले राष्ट्रीय सूचना केंद्र के सॉफ्टवेयर के आधार पर वीडियो कांफ्रेंसिंग हियरिंग का ट्रायल किया था लेकिन इसमें बहुआयामी दृश्य लाइव नहीं होने तथा ध्वनि संबंधी बाधाएं सामने आईं थीं। इसके बाद हाईटेक कैमरे के साथ दूसरी तकनीकी का इस्तेमाल करते हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग की गई तो अपेक्षित नतीजे मिले। जयपुर पीठ में सुनवाई के दौरान कुछ अधिवक्ता मौजूद थे, जबकि जोधपुर मुख्य पीठ में कोर्ट संख्या एक में हाईकोर्ट के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ महाधिवक्ता महेन्द्रसिंह सिंघवी तथा याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिनव शर्मा ने भी कांफ्रेंसिंग सिस्टम को सभी पहलुओं पर परखा और पाया था कि नियमित रूप से वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई करने में कोई तकनीकी बाधा नहीं आएगी। सुनवाई पूरी होने तक नियमित रूप से वीडियो कांफ्रेंसिंग होगी।