विलुप्त हो रहे गोडावण को बचाने के लिए राज्य वन विभाग और वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) साझा प्रयास कर रहे हैं। वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश विनीतकुुमार माथुर की खंडपीठ में स्वप्रसंज्ञान के आधार पर दर्ज जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने डब्ल्यूआइआइ को गोडावण के दस अंडे एकत्र करने की अनुमति प्रदान की थी। विशेषज्ञों ने सात अंडे एकत्र किए, जिनमें कृत्रिम इन्क्युबेटर के माध्यम पांच गोडावण की हैचिंग (पक्षी द्वारा अंडों पर बैठकर उनको सेकने की प्रक्रिया) सफल रही है। दो अंडों की हैचिंग के प्रयास चल रहे हैं। शाह ने कोर्ट से कुछ अन्य जानकारियां साझा करने के लिए समय मांगा, जिस पर कोर्ट ने अगली सुनवाई 19 अगस्त को मुकर्रर की है।
चौैंकाने वाली तस्वीर
-गोडावण की संख्या पूरे विश्व में अब 150 से भी कम रह गई है। इसके संरक्षण की तत्काल आवश्यकता है।
-डब्ल्यूआइआइ सर्वे के नतीजे बताते हैं कि पिछले 30 सालों में गोडावण की संख्या में 75 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है।
-गोडावण का मुख्य आश्रय स्थल डेजर्ट नेशनल पार्क हैं, लेकिन 1980 में बाड़मेर-जैसलमेर जिलों में स्थापित इस पार्क में रहने वाले लोगों के भूमि अधिकार, 88 बस्तियों के आवास जैसी चुनौतियों का हल नहीं निकाला गया। नतीजतन, जनसंख्या और भूमि की मांग बढ़ गई। वर्तमान में, पार्क में और उसके आसपास 13,000 घरों सहित 88 गांव हैं। जबकि वन विभाग केवल 5 प्रतिशत पार्क क्षेत्र को ही नियंत्रित करता है। शेष 95 प्रतिशत भाग निजी और राजस्व भूमि है। इस भूमि पर बड़े पैमाने पर ग्रामीणों ने खेती के लिए अतिक्रमण कर लिया है।
-एक फसली इलाके के लोग अब कई फसलें लेने लगे हैं, जिससे चारागाह कम होने से क्षेत्र की जैव विविधता पर खतरा मंडराने लगा है।