जबकि जेडीए अधिकारियों का कहना है कि इस योजना के तहत अभी तक जेडीए से न तो कोई ले-आउट जारी हुआ है और न ही टाउनशिप डवलपर के सरकार के साथ एमओयू हुआ है।
जेडीए के पास इसकी जानकारी भी नहीं है। एेसी स्थिति में शहर के लोगों को मुख्यमंत्री जन आवास योजना के नाम पर ठगा जा रहा है। शहर में धीरे-धीरे एेसे बिल्डरों के प्रोजेक्ट पांव पसार रहे हैं, लेकिन एेसे प्रोजेक्ट के नक्शे तक जेडीए से पास नहीं करवाए गए हैं।
जबकि इस संबंध में सरकार की गाइडलाइन के अनुसार नक्शा अनुमोदित करवाने के बाद ही आवेदन मांगे जा सकते हैं। लॉन्चिंग की घोषणा भी उसके बाद ही कर सकते हैं। जेडीए आयुक्त केसी मीणा के अनुसार जेडीए की ओर से एक भी योजना का 90-ए तक नहीं हुआ है।
इसके बाद भी कोई बिल्डर फर्जीवाड़े से योजना को लॉन्च कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। नगरीय विकास विभाग ने मांगा जवाब जेडीए आयुक्त मीणा ने बताया कि इस संबंध में नगरीय विकास विभाग ने भी जवाब के साथ ही यह जानकारी भी मांगी है कि जो लोग मुख्यमंत्री जन आवास योजना लॉन्च कर रहे हैं, उनके नक्शे, ले-आउट प्लान की जांच की जाए और अगर किसी के नक्शे पास नहीं हुए हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
यह है मुख्यमंत्री जन आवास योजना की नीति मुख्ख्यमंत्री जन आवास योजना की पॉलिसी के प्रावधान 3-ए के तहत बिल्डर अपनी भूमि पर आवास निर्माण करवा सकता है। जमीन का क्षेत्रफल एक हैक्टेयर होना आवश्यक है। इसमें भूतल सहित चार मंजिला निर्माण किया जा सकता है।
डवलपर को 1-ए प्रावधान की पालना करना जरूरी है। डवलपर नक्शा अनुमोदित करवाने के 60 दिन के भीतर ही आवेदन ले सकता है। यह हुआ नीति विरुद्ध कार्य जेडीए आयुक्त के अनुसार जोधपुर में मुख्यमंत्री जन आवास योजना की पॉलिसी के विरुद्ध डवलपर चार मंजिला के स्थान पर 21 मंजिल की योजना बनाने का दावा कर रहे हैं।
साथ ही डवलपर ने कोई ले-आउट प्लान तक पास नहीं करवाया तो वो इस योजना के तहत कार्य नहीं कर सकता। जनता को हो सकती हैं ये परेशानियां – 90-ए नहीं होने पर नहीं मिलेगा मालिकाना हक
– अगर जेडीए ने नक्शा पारित नहीं किया तो जेडीए बिल्डिंग हटा भी सकता है – निर्माण कार्य करवाना अवैध – जो पैसा योजना के नाम पर जाम होगा, वह धोखाधड़ी समझा जाएगा।
– रियल एस्टेट रेगुलेटरी कानून के तहत भ्रामक विज्ञापन करना या बिना स्वीकृति के बुकिंग करना गलत है।