script662 साल पूर्व दूलंगजी ने रखी थी मेवाड़ के संस्थापक बप्पारावल के नाम पर बापिणी की नींव | Foundation of Bapini in the name of Bapparawal, the founder of Mewar | Patrika News

662 साल पूर्व दूलंगजी ने रखी थी मेवाड़ के संस्थापक बप्पारावल के नाम पर बापिणी की नींव

locationजोधपुरPublished: Aug 24, 2019 11:50:46 am

Submitted by:

pawan pareek

662 साल पूर्व दूलंगजी ने रखी थी मेवाड़ के संस्थापक बप्पारावल के नाम पर बापिणी की नींव
 

662 साल पूर्व दूलंगजी ने रखी थी मेवाड़ के संस्थापक बप्पारावल के नाम पर बापिणी की नींव

662 साल पूर्व दूलंगजी ने रखी थी मेवाड़ के संस्थापक बप्पारावल के नाम पर बापिणी की नींव

662 साल पूर्व दूलंगजी ने रखी थी मेवाड़ के संस्थापक बप्पारावल के नाम पर बापिणी की नींव

जोधपुर जिले का महत्वपूर्ण कस्बा बापिणी जिला मुख्यालय से 110 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कस्बे की नींव मांगलिया राजपूत जाति के दूलंगजी ने 662 वर्ष पहले रखी। कस्बे का नाम विक्रम संवत 14 14 में बप्पा रावल के नाम से बप्पा फिर बापिणी नाम हो गया। बापिणी के 12 गांव मांगलियावटी के केंद्रबिंदु हैं जो रियासत काल से अभेद्य रहे। वर्तमान में सभी समुदायों के लोग रह रहे हैं। मांगलिया वंशज के कुल राव व पूर्व प्रधानाध्यापक लखसिंह राव ने संरक्षित प्राचीन बही के अनुसार बताया कि तत्कालीन समय में दूलंगजी ने इसी क्षेत्र के आसपास पानी की किल्लत को देखते हुए मेहासर तालाब खुदवाया, जो दर्जनभर गांवों की प्यास बुझाता रहा है। भाद्रपद में कृष्ण सप्तमी से नवमी में इस तालाब के पास तीन दिवसीय मेला लगता है। वहीं इसी स्थान पर वर्ष का दूसरा मेला माघ कृष्ण नवमी को भरता है।
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आकर्षण का केन्द्र लोकदेवता मेहोजी मंदिर

ऐसी मान्यता है कि मेहासर तालाब के मध्य लोक देवता व पंचपीर मेहोजी महाराज के मंदिर में एक प्रतिमा भूमि से प्रकट हुई (निकली) जो सफेद चांदी जैसे चमकती है। वहीं इस भव्य मंदिर का निर्माण विक्रम संवत 1763 में जोधपुर के तत्कालीन महाराजा ने करवाया था। इसका प्रमाण आज भी मंदिर में लगे शिलालेख पर मौजूद है। इसी के साथ धार्मिक स्थल में ताटी मगरा स्थित गोसाई बाबा का मंदिर बाबा रामदेव जी का मंदिर जिसे हरजी भाटी का गुरुद्वारा भी कहा जाता है। ब्राह्मणों के बास में स्थित हरसिद्धि माता का मंदिर जो पंचारिया जाति के कुलदेवी का जिलेभर में दूसरा बड़ा मंदिर है। निर्माणाधीन बाण माता का भव्य मन्दिर दर्शनीय स्थल है। जो संभवतः राज्य में दूसरा बड़ा बाणमाता का मंदिर होगा।
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खुल सकते हैं पर्यटन के द्वार

प्राचीन मंदिरों, धार्मिक मेलों व आधुनिक सुविधाओं के साथ-साथ यहां के रेतीले धोरे की चमक पर्यटकों को आकर्षित कर सकती है। वहीं वर्तमान में बिजली की पहुंच तथा आधुनिकीकरण के कारण धोरों पर भी विभिन्न ऋतुओं में अलग-अलग फसलें बोई जाने लगी है, जिससे फसलों की हरियाली व मखमली बालू रेत मानो अपनी ओर आकर्षित करती हुई प्रतीत होती हैं सभी पहलुओं को देखते हुए यदि पर्यटन विभाग चाहे तो बापिणी में पर्यटन के द्वार खुल सकते हैं।
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समय के साथ हुआ विकास

आधुनिक बापिणी में समर्थन मूल्य खरीद केंद्र खुलने से क्षेत्र के किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए लंबी दूरी तय कर नहीं जाना पड़ रहा है, इसी के साथ कस्बे में तहसील कार्यालय, पंचायत समिति, मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के साथ साथ विद्युत सहायक अभियंता व सहायक कृषि अधिकारी कार्यालय व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा प्रथम श्रेणी का पशु चिकित्सालय सहित कार्यालय होने से उन्हें मिली है, इसी के साथ 10 बीघा जमीन पर खेलो इंडिया योजना के तहत बापिणी में इनडोर और आउटडोर स्टेडियम बनने से अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी ग्रामीण क्षेत्र से तैयार होंगे इसी के साथ आईटीआई का कार्य प्रगतिरत हैं।

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