जन्मदिन पर दी थी धमकी : अगला जन्मदिन नहीं देखेगा यहां १९ जून को शोरूम में गोलियां चलाने व इंटरनेट कॉलिंग से धमकियां
मिलने के बावजूद वासुदेव ने रुपए नहीं दिए थे। तब अगस्त में वासुदेव ने
अपने जन्मदिन पर केक काटते ही व्हॉट्सअप पर बतौर प्रोफाइल फोटो लगाई थी।
यह देख हरेंद्र ने इंटरनेट कॉल कर के धमकाया था कि वो अगला जन्मदिन नहीं
देख पाएगा।
खिमांशु व जग्गा में सम्पर्क के बाद जुड़े अन्य आरोपी लॉरेंस व हरेंद्र ने वासुदेव को मारने का षडयंत्र रचा था। लॉरेंस ने अपने
भाई अनमोल व जोधपुर जेल में बंद जगदीप उर्फ जग्गा को सूचित कराया थी।
जग्गा ने जेल में साथ बंद रहे खिमांशु गहलोत को चुना और इस षडयंत्र के
बारे में बताया था, फिर हरेंद्र ने खिमांशु से इंटरनेट कॉल किया था। इसके
बाद खिमांशु २० अगस्त को जोधपुर जेल गया, जहां बंद जग्गा से बात कर साजिश
रची थी, फिर खिमांशु ने पड़ोसी विनोद व श्यामसुंदर को लालच देकर साथ
मिलाया और भोमाराम को हत्या के लिए तैयार किया था। खिमांशु से पहले से
परिचित होने के कारण भोमाराम तैयार हो गया था।
हत्या के लिए हरेंद्र ने सौंपा था हथियारों का बैग साजिश बनने के बाद हरेंद्र ने भोमाराम, खिमांशु व श्यामसुंदर को चंडीगढ़
बुलाया था, अमन के साथ हरेंद्र उनसे मिला था। फिर तीनों बीकानेर पहुंचे,
जहां उन्हें भैरूसिंह व अर्पित मिले। दूसरे दिन हरेंद्र भी वहां पहुंचा
और भैरू सिंह को हथियारों का बैग सौंपा था, जिसमें पिस्टल, रिवॉल्वर व कई
जिंदा कारतूस थे। उधर १४ सितम्बर को खिमांशु, भैरूसिंह व अर्पित जोधपुर आ
गए थे।
हत्या से पहले दो बार मारने की कोशिश आरोपियों ने १५ सितम्बर को वासुदेव की दुकान व घर की रैकी कर न सिर्फ
फोटो खींचे थे, बल्कि अर्पित ने रेलवे से वासु की दुकान तक का नक्शा भी
बनाया था। उसी दिन वासु को मारने के लिए मौका तलाश किया, लेकिन
सुरक्षाकर्मियों के कारण असफल रहे थे। उन्होंने दूसरे दिन भी रैकी की थी।
आखिरकार १७ सितम्बर की रात १०.४५ बजे भोमाराम ने दुकान ड्योढ़ी करवा रहे
वासु को गोली मार दी थी।
नागौर-नोखा में कई और धनाढ्य थे निशाने पर थानाधिकारी भूपेंद्रसिंह ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ में कई खुलासे
हुए। जोधपुर में रंगदारी की दहशत जमाने के बाद लॉरेंस गैंग नागौर व
बीकानेर के नोखा में फायरिंग करने वाली थी। इन जगहों के धनाढ्य सेठ उनके
निशाने पर थे, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए।
लालच दस-दस लाख का, एक को मिले सिर्फ दस हजार पुलिस का कहना है कि वासुदेव की हत्या की साजिश में शामिल आरोपियों को
दस-दस लाख रुपए का लालच दिया गया था। गत सतरह सितम्बर की रात वासुदेव की
हत्या के बाद भोमाराम, भैरूसिंह, विनोद उर्फ विक्की व श्यामसुंदर भीमसागर
में भोमाराम के गांव रुके थे। उधर १८ सितम्बर की सुबह चारों बीकानेर
पहुंचे, जहां विनोद ने खर्चे की मांग की थी। भैरूसिंह ने व्हॉट्सअप
कॉलिंग के जरिये हरेंद्र से बात की थी। हरेंद्र व अमनप्रीत उर्फ पटवारी
ने मोगा स्थित एसबीआई बैंक से विनोद के एसबीआई बैंक खाते में दस हजार
रुपए जमा कराए थे। इसमें ९५०० रुपए विनोद ने बीकानेर में एटीएम से ही
निकाल लिए थे।
लॉरेंस को लगेगी हथकड़ी
सुरक्षा के नजरिए से पुलिस ने लॉरेंस को हथकड़ी लगाने के लिए अदालत में
लिखित में आवेदन किया। जिस पर कोर्ट ने शाम को लॉरेंस को हथकड़ी लगाने के
लिए इजाजत दे दी। अब पुलिस जांच के लिए ले जाए जाने के दौरान हथकड़ी लगा
कर ले जाएगी।
सुरक्षा के नजरिए से पुलिस ने लॉरेंस को हथकड़ी लगाने के लिए अदालत में
लिखित में आवेदन किया। जिस पर कोर्ट ने शाम को लॉरेंस को हथकड़ी लगाने के
लिए इजाजत दे दी। अब पुलिस जांच के लिए ले जाए जाने के दौरान हथकड़ी लगा
कर ले जाएगी।
हत्याकाण्ड के बाद हाई सिक्योरिटी जेल भेजा था
फायरिंग के मामले में भूमिका सामने आने के बाद पुलिस ने २९ मार्च को
पंजाब की पटियाला जेल से लॉरेंस विश्नोई को गिरफ्तार कर जोधपुर लाई थी।
फायरिंग के तीन मामलों में गिरफ्तारी के बाद साढ़े पांच महीने तक वह
जोधपुर जेल में ही बंद था। १७ सितम्बर को वासुदेव इसरानी की हत्या के बाद
एक बार फिर उसकी व गैंग की भूमिका सामने आई थी। तब जोधपुर पुलिस के आग्रह
पर उसे २० सितम्बर को अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल भेजा गया था, जहां
उसने आनंदपाल की गैंग से हाथ मिला लिया था। जेल में बंद रहते ही उसने
सीकर में पूर्व सरपंच सरदार राव की हत्या करवाई थी। इसके बाद उसे पंजाब
जेल भिजवा दिया गया था।