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जोधपुर : सोने से लदकद रहने के कारण व्यवसायी बना था लॉरेंस का शिकार

locationजोधपुरPublished: Jan 05, 2018 11:14:18 pm

Submitted by:

Vikas Choudhary

रंगदारी के लिए मोबाइल व्यवसायी की गोली मार कर हत्या प्रकरण पुलिस ने सतरह आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में पेश की चार्जशीट

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गैंग सरगना लॉरेंस पर जांच लम्बित

जोधपुर/बासनी. सरदारपुरा सी रोड पर मोबाइल व्यवसायी की हत्या पंजाब के कुख्यात बदमाश लॉरेंस विश्नोई ने अपने गुर्गों से कराई थी। पुलिस की जांच में यह प्रमाणित होने पर गिरफ्त में आए सतरह आरोपियों के खिलाफ शनिवार को सीजेएम
कोर्ट में चालान पेश किया गया। इधर सरगना लॉरेंस विश्नोई के खिलाफ जांच लम्बित रखी गई है। उसे नए साल में गिरफ्तार करने की उम्मीद है। आठ सौ पेज का चालान मजिस्ट्रेट ने चेक लिस्ट में रखा है। वहीं ९९ दिन की जांच में
यह तथ्य सामने आया कि मोबाइल व्यवसायी वासुदेव इसरानी हर समय सोने से लदकद रहता था। यही रंगदारी वसूल करने के लिए उसके शोरूम में फायरिंग व हत्या का कारण बना। चिकित्सक व ट्रैवल्स मालिक के मकान पर गोलियां चला कर रंगदारी के लिए दहशत की शुरुआत कर चुके हरेंद्र को उसके गुर्गे ने वासुदेव के सोने से लदकद रहने और डरा-धमका कर उससे मोटी रकम एेंठने की जानकारी दी थी और फिर लॉरेंस के इशारे पर हरेंद्र ने १९ जून को पहले
शोरूम में गोलियां चलाईं व फिर रुपए की मांग की थी। रुपए न मिलने व धमकियों की खिल्ली उड़ाने से गुस्साए लॉरेंस विश्नोई ने उसकी हत्या करने की साजिश रची थी, जिसे हरेंद्र जाट, खिमांशु, भोमाराम व अन्य ने सतरह
सितम्बर की रात अंजाम दिया था।

जन्मदिन पर दी थी धमकी : अगला जन्मदिन नहीं देखेगा

यहां १९ जून को शोरूम में गोलियां चलाने व इंटरनेट कॉलिंग से धमकियां मिलने के बावजूद वासुदेव ने रुपए नहीं दिए थे। तब अगस्त में वासुदेव ने अपने जन्मदिन पर केक काटते ही व्हॉट्सअप पर बतौर प्रोफाइल फोटो लगाई थी।
यह देख हरेंद्र ने इंटरनेट कॉल कर के धमकाया था कि वो अगला जन्मदिन नहीं देख पाएगा।

खिमांशु व जग्गा में सम्पर्क के बाद जुड़े अन्य आरोपी

लॉरेंस व हरेंद्र ने वासुदेव को मारने का षडयंत्र रचा था। लॉरेंस ने अपने भाई अनमोल व जोधपुर जेल में बंद जगदीप उर्फ जग्गा को सूचित कराया थी। जग्गा ने जेल में साथ बंद रहे खिमांशु गहलोत को चुना और इस षडयंत्र के
बारे में बताया था, फिर हरेंद्र ने खिमांशु से इंटरनेट कॉल किया था। इसके बाद खिमांशु २० अगस्त को जोधपुर जेल गया, जहां बंद जग्गा से बात कर साजिश रची थी, फिर खिमांशु ने पड़ोसी विनोद व श्यामसुंदर को लालच देकर साथ
मिलाया और भोमाराम को हत्या के लिए तैयार किया था। खिमांशु से पहले से परिचित होने के कारण भोमाराम तैयार हो गया था।

हत्या के लिए हरेंद्र ने सौंपा था हथियारों का बैग

साजिश बनने के बाद हरेंद्र ने भोमाराम, खिमांशु व श्यामसुंदर को चंडीगढ़ बुलाया था, अमन के साथ हरेंद्र उनसे मिला था। फिर तीनों बीकानेर पहुंचे, जहां उन्हें भैरूसिंह व अर्पित मिले। दूसरे दिन हरेंद्र भी वहां पहुंचा
और भैरू सिंह को हथियारों का बैग सौंपा था, जिसमें पिस्टल, रिवॉल्वर व कई जिंदा कारतूस थे। उधर १४ सितम्बर को खिमांशु, भैरूसिंह व अर्पित जोधपुर आ गए थे।

हत्या से पहले दो बार मारने की कोशिश

आरोपियों ने १५ सितम्बर को वासुदेव की दुकान व घर की रैकी कर न सिर्फ
फोटो खींचे थे, बल्कि अर्पित ने रेलवे से वासु की दुकान तक का नक्शा भी
बनाया था। उसी दिन वासु को मारने के लिए मौका तलाश किया, लेकिन
सुरक्षाकर्मियों के कारण असफल रहे थे। उन्होंने दूसरे दिन भी रैकी की थी।
आखिरकार १७ सितम्बर की रात १०.४५ बजे भोमाराम ने दुकान ड्योढ़ी करवा रहे
वासु को गोली मार दी थी।

नागौर-नोखा में कई और धनाढ्य थे निशाने पर

थानाधिकारी भूपेंद्रसिंह ने बताया कि आरोपियों से पूछताछ में कई खुलासे
हुए। जोधपुर में रंगदारी की दहशत जमाने के बाद लॉरेंस गैंग नागौर व
बीकानेर के नोखा में फायरिंग करने वाली थी। इन जगहों के धनाढ्य सेठ उनके
निशाने पर थे, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए।

लालच दस-दस लाख का, एक को मिले सिर्फ दस हजार

पुलिस का कहना है कि वासुदेव की हत्या की साजिश में शामिल आरोपियों को
दस-दस लाख रुपए का लालच दिया गया था। गत सतरह सितम्बर की रात वासुदेव की
हत्या के बाद भोमाराम, भैरूसिंह, विनोद उर्फ विक्की व श्यामसुंदर भीमसागर
में भोमाराम के गांव रुके थे। उधर १८ सितम्बर की सुबह चारों बीकानेर
पहुंचे, जहां विनोद ने खर्चे की मांग की थी। भैरूसिंह ने व्हॉट्सअप
कॉलिंग के जरिये हरेंद्र से बात की थी। हरेंद्र व अमनप्रीत उर्फ पटवारी
ने मोगा स्थित एसबीआई बैंक से विनोद के एसबीआई बैंक खाते में दस हजार
रुपए जमा कराए थे। इसमें ९५०० रुपए विनोद ने बीकानेर में एटीएम से ही
निकाल लिए थे।
हरेंद्र व भोमाराम सहित सतरह के खिलाफ चालान पेश, लॉरेंस बाकी
– हरेंद्र उर्फ हीराराम पुत्र जेठाराम जाट निवासी डाडे की बेरी दासानिया शेरगढ़।

-आईपीसी की धारा ३०२, १२०बी और आम्र्स एक्ट।
-भोमाराम पुत्र हजारीराम विश्नोई निवासी भीमसागर लोहावट।
आईपीसी की धारा ३०२/३४ व आम्र्स एक्ट।
– विक्की उर्फ विनोद पुत्र रामगोपाल प्रजापत निवासी हनुमान भाखरी नई सड़क जोधपुर।

आईपीसी की धारा ३०२/३४, १२०बी व आम्र्स एक्ट।
– हरीश पुत्र मदनलाल प्रजापत निवासी भोजावतों का बास सूरसागर।
आईपीसी की धारा ३०२, १२०बी व आम्र्स एक्ट।
– फारूक पुत्र इदरीस निवासी जनता कॉलोनी मण्डोर

आईपीसी की धारा ३०२ व १२०बी
– नाथूराम पुत्र गोकलराम देवासी निवासी देवासियों की ढाणी पीपाड़ रोड

आईपीसी की धारा ३०२ व १२०बी।
– नरपतलाल उर्फ नरेश पुत्र पारसमल जोशी निवासी चामूं देचू।
आईपीसी की धारा ३०२ व १२०बी।
– श्यामसुंदर पुत्र दौलतराम प्रजापत निवासी हनुमान भाखरी नई सड़क

आईपीसी की धारा ३०२ व १२०बी।
– भैरूसिंह पुत्र भोम सिंह राजपूत निवासी पेमासर पुलिस स्टेशन बिछवाल
बीकानेर हाल हनुमानगढ़
आईपीसी की धारा ३०२ व १२०बी।
– समुंद्रसिंह पुत्र राजू सिंह राजपूत निवासी पण्डितों का बास देचू

आईपीसी की धारा ३०२ व १२०बी।
– खिमांशु गहलोत पुत्र धर्मेन्द्र निवासी हनुमान भाखरी नई सड़क

आईपीसी की धारा ३०२ व १२०बी।
– अमनप्रीत सिंह उर्फ पटवारी पुत्र तजेन्द्र सिंह निवासी निहालसिंह वाला
मोंगा पंजाब
आईपीसी की धारा ३०२ व १२०बी।
– अर्पित पुत्र राकेश कुमार जाट निवासी पंचकोशी फाजिल्का पंजाब

आईपीसी की धारा ३०२, १२०बी व आम्र्स एक्ट।
– पुनीत काजला पुत्र भीमसेन जाट निवासी रावतसर हनुमानगढ़

आईपीसी की धारा ३०२, १२०बी, २१२ और आम्र्स एक्ट।
– अनमोल विश्नोई पुत्र लविन्द्र निवासी दातारावाली फाजिल्का पंजाब
आईपीसी की धारा ३०२ व १२०बी।
– जगदीप उर्फ जग्गा उर्फ दीपा पुत्र जतिन्द्र सिंह जट सिख निवासी धूलकोट
राण सिंह निहाल सिंह वाला पंजाब

आईपीसी की धारा ३०२ व १२०बी।

गनमैन देने के बावजूद व्यापारी को गोली मारी
सरदारपुरा सी रोड पर पदमराज डिपार्टमेंटल स्टोर नामक मोबाइल शोरूम के
मालिक वासुदेव इसरानी को सोने से लदकद रहना जानलेवा साबित हो गया। लॉरेंस
के गुर्गों ने उसको दहशत में लाकर मोटी राशि एेंठने की ठानी। इसके लिए १९
जून को शोरूम में गोलियां भी चलाईं थी, लेकिन वासुदेव दहशत में नहीं आया।
उलटा गुर्गों की ही खिल्ली उड़ाने लगा था। यही वजह रही कि लॉरेंस व उसके
गुर्गों ने उसकी हत्या का निर्णय किया। जिसके लिए बदमाशों की नई गैंग
तैयार की गई और उन्हें पंजाब से हथियार मुहैया करवाए गए। परिणामस्वरूप १७
सितम्बर की रात १०.४५ बजे दुकान ड्योढ़ी करवा रहे वासुदेव को मोटरसाइकिल
पर आए लॉरेंस के गुर्गे गोली मारकर भाग गए। महात्मा गांधी अस्पताल में
उसकी मृत्यु हो गई थी।
४ मार्च को फायरिंग शुरू, व्यापारी की मौत पर रूकी
रंगदारी के लिए लॉरेंस विश्नोई के इशारे पर हरेन्द्र उर्फ हीरा जाट व
साथी सबसे पहले चार मार्च को कल्पतरू के पास स्थित जैन ट्रैवल्स में
हथियार लेकर घुसे थे, लेकिन तकनीकी खामी के चलते हथियार से गोली नहीं चल
पाई। फलस्वरूप हथियार लेकर हरेन्द्र खाली हाथ लौट आया था। सत्रह मार्च को
आधे घंटे में समन्वय नगर स्थित डॉ सुनील चाण्डक व सेक्टर सात स्थित
ट्रैवल्स मालिक मनीष जैन के बंगले पर दहशत जगाने को अंधाधुंध फायरिंग की
गई। जैन की मर्सडीज को भी फूंक दिया गया था। कुछ दिन शांति के बाद १९ जून
को सरदारपुरा सी रोड वासुदेव इसरानी के शोरूम में गोलियां चला दी गई।
दूसरे ही दिन २० जून को शास्त्रीनगर सेक्टर सी स्थित हैण्डीक्राफ्ट
निर्यातक के बंगले को गोलियों ने निशाना बनाया। इन पर लगाम कसने में
नाकामी के चलते ही १७ सितम्बर को वासुदेव की हत्या कर दी गई थी।
सेन्ट्रल जेल में बुना रंगदारी का ताना-बाना
लॉरेंस विश्नोई दो साल से अधिक समय से पंजाब जेल में बंद है। उसके कुछ
गुर्गों को पंजाब से जोधपुर जेल ट्रांसफर किया गया था, जहां उनका सम्पर्क
हरेन्द्र उर्फ हीरा जाट व खुडाला निवासी विष्णु विश्नोई से हुआ था।
लॉरेंस विश्नोई से बात करके इन्होंने जोधपुर के नामचीन लोगों से दहशत में
लाकर अवैध वसूली करने की साजिश रच डाली थी। यहीं से रंगदारी ने जोधपुर
में एेसे पांव पसारे कि वो नासूर बनने की कगार तक पहुंच गया।
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