हालांकि शिक्षा विभाग की ओर से बंद के दौरान स्कूलों में अवकाश को लेकर किसी प्रकार के निर्देश नहीं दिए गए थे। जिला शिक्षा अधिकारी प्रारम्भिक योगेश कुमार शर्मा व जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक अरुणेश सिन्हा का कहना है कि मंगलवार को स्कूल बंद करने को लेकर कोई निर्देश नहीं दिए गए थे, लेकिन प्राइवेट स्कूलों ने अपनी मर्जी से ही स्कूलें बंद रखी।
ये स्कूल रहे बंद अलवर पब्लिक स्कूल, चिनार, सेंट एंसलम स्कूल, स्टेप बाई स्टेप, आदिनाथ पब्लिक स्कूल, ज्ञानदान, किड्जी, माउंट लिट्रा सहित अन्य कई स्कूलों के प्रबंधकों ने अपने स्तर पर ही अवकाश रखा। इस दौरान सरकारी स्कूलों में कक्षाएं तो लगी लेकिन बच्चों की संख्या कम रही। कई गैर सरकारी स्कूलों में अवकाश घोषित नहीं होने के बाद भी अभिभावकों ने बच्चों को स्कूल नहीं भेजा। इसके कारण स्कूलों में पढ़ाई का माहौल नहीं बन पाया।
रोडवेज की करीब तीस बसों का संचालन रहा निरस्त आरक्षण विरोधी भारत बंद का असर सबसे अधिक रोडवेज पर पड़ा। 2 अप्रेल को बंद के दौरान फैली हिंसा से सहमे लोग इस दिन यात्रा से बचते रहे। इससे रोडवेज बसें यात्रीभार को तरस गई। मजबूरन रोडवेज के अलवर आगार को 17 व मत्स्य नगर आगार को लगभग 12 बसों का संचालन निरस्त करना पड़ा। अलवर आगार के मुख्य प्रबंधक मनोहर लाल ने बताया कि सवारियों के नहीं मिलने से बसों के संचालन का टाइम टेबल भी लडख़ड़ा गया। इस दिन गाडिय़ों के संचालन का कोई टाइम नहीं रहा। जैसे-जैसे सवारियां मिली, बसों को रवाना किया गया।
सोशल मीडिया पर रही नजर जिले में मंगलवार को सोशल मीडिया पर भी पुलिस प्रशासन की नजर रही। इसका परिणाम ये रहा कि सोशल मीडिया पर इस दिन अफवाहों का बाजार अपेक्षाकृत कम गर्म रहा। जिले में बंद कुछ कस्बों की फोटो जरूर सोशल मीडिया पर लोगों ने डाली, लेकिन विवादित मैसेज आदि भेजने से लोग बचते रहे।