मामले की सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता श्यामसुंदर लदरेचा व उनके सहयोगी विकास चौधरी ने कहा कि प्रदेश की नौ हजार आठ सौ निन्याणवे पंचायतों में सहायकों की नियुक्ति की जानी थी। किसी पंचायत में दो अथवा किसी में तीन या चार तक सहायकों की भर्ती की जानी है। भर्ती के लिए सरकार ने विभिन्न स्तर पर समितियों का गठन कर चयन को पारदर्शी बनाया। विफल रहे अभ्यर्थियों ने चयनित अभ्यर्थियों के खिलाफ अदालतों से स्थगन प्राप्त कर लिए। किसी में भाई भतीजावाद का आरोप लगाया गया, तो किसी में विद्यार्थी मित्रों की ही भर्ती का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि पूर्व में कोर्ट ने सरकार से सात बिंदुओं पर जवाब-तलब किया था, जिसका उन्होंने शपथ पत्र पेश कर जवाब दिया। इसके बाद कोर्ट ने यह कहते हुए सभी याचिकाएं खारिज करते हुए निस्तारण कर दिया कि सरकार की ओर से पारदर्शी तरीके से भर्ती की कार्रवाई की जा रही है, इसके लिए जो विभिन्न स्तर पर समितियां बनाई गई हैं। उनमें विशेषज्ञ व निष्पक्ष लोगों को शामिल किया गया है। इसलिए पूर्व में जारी सभी स्थगन हटाते हुए सरकार को नियुक्तियां करने की छूट दी जाती है।
———- हाईकोर्ट कर्मचारियों को भी माह के चौथे शनिवार का अवकाश राजस्थान हाईकोर्ट में फुलकोर्ट में पारित प्रस्ताव के अनुसार प्रत्येक माह के चौथे शनिवार को पूर्ण अवकाश रहेगा। रजिस्ट्रार जनरल सतीशकुमार शर्मा के हस्ताक्षर से बुधवार को जारी इस आदेश से हाईकोर्ट मंत्रालयिक कर्मचारियों को भी जिला अदालतों में कार्यरत कर्मचारियों की तरह माह में दो बार, द्वितीय व चतुर्थ शनिवार का अवकाश प्राप्त होगा।
हाईकोर्ट मंत्रालयिक कर्मचारी संघ के अध्यक्ष ऋतुराज शर्मा ने आदेश के लिए मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंद्राजोग का आभार प्रकट करते हुए कहा कि हाईकोर्ट के कर्मचारी प्रशासन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने इस बारे में सीजे सहित उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर इस दुविधा से अवगत कराया था।