जोधपुर

दिल्ली को दुरुस्त कराने आइआइटीज के द्वार पहुंची सरकार

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– दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण से निपटने के लिए प्रोजेक्ट व मॉडल बनाने के लिए फण्ड देगी सरकार- काजरी ने भूसी से बनाया बायो फ्यूल

जोधपुरNov 11, 2019 / 08:03 pm

Gajendrasingh Dahiya

दिल्ली को दुरुस्त कराने आइआइटीज के द्वार पहुंची सरकार

जोधपुर. देश की राजधानी दिल्ली को धूल व धुएं के बादलों से निजात दिलाने के लिए सरकार ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आइआइटीज) की ओर रुख किया है। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सभी आइआइटीज को दिल्ली को प्रदूषण से मुक्ति के लिए ऐसे प्रोटोटाइप, प्रोजेक्ट व मॉडल बनाने को कहा है, जिसे अगले साल प्रायोगिक तौर पर लागू किया जा सके। इसके लिए फण्ड सरकार देगी।
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में हर साल सर्दियों की शुरुआत में होने वाले प्रदूषण से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए केंद्र सरकार को आइआइटीज की मदद लेने को कहा था। दिल्ली में दिवाली के बाद पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 और पीएम 10 के कणों का स्तर 1000 से ऊपर पहुंच गया था जो पचास के आसपास होना चाहिए। देश कई आइआइटीज में इस समय मेगा एयर फिल्टर टावर, एडवांस स्टबल डिस्पोजब मशीनरी, व्हीकल माउंटेड एयर फिल्टर, पीएम कणों के लिए एग्जॉस्ट डिजाइन और वायु कणों का आयनीकरण जैसे प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। सरकार की अपील के बाद आइआइटी दिल्ली, आइआइटी, बोम्बे, आइआइटी हैदराबाद और आइआइटी गुवाहाटी ने वायु प्रदूषण निवारण संबंधी कुछ मॉडल पेश किए हैं। आइआइटी जोधपुर में फिलहाल ऑटोमोबाइल से होने वाले प्रदूषण पर शोध किया जा रहा है।
काजरी ने निकाला पराली का उपाय
केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (काजरी) की वैज्ञानिक एम, सरिता ने लैब में भूसी पर विशेष कवक की मदद से सैकेरीफिकेशन के जरिये एल्कोहल प्राप्त करने में सफलता प्राप्त की है जो बायो फ्यूल के रूप में पेट्रोल में मिश्रित किया जा सकता है। चावल व गेहूं की भूसी के क्रमश: 1.42 और 1.58 अनुपात को पीसकर एक प्रतिशत सोडियम हाइड्रोक्साइड के साथ धोने के बाद उसका एसपरजिलस टेररस सीएम-20 कवक की मदद से ग्लूकोसाइड हाइड्रोलाइसिस किया गया। इससे एथेनॉल पैदा हुआ। गौरतलब है कि खरीफ की फसल लेने के बाद पंजाब और हरियाणा के किसान खेतों में बची भूसी या पराली को जला देते हैं। अकेले पंजाब में 22 से 23 मिलियन टन पराली पैदा होती है जो दिल्ली को गैस चेम्बर में बदल देती है।
लैब में सफल, अब तकनीक सस्ती कर रहे
लैब में पराली से बायो फ्यूल सफलतापूर्वक प्राप्त किया गया है। अब इस तकनीक को मितव्ययी करने के प्रयास किए जाएंगे।

डॉ. ओपी यादव, निदेशक, काजरी जोधपुर
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