पुलिस अब तक शराब व मादक पदार्थ तस्करों के साथ चोर, लुटेरे और नकबजनों पर लगाम लगाने के लिए जूझ रही थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से बदमाश गिरोह बजरी के अवैध कारोबार में लिप्त हो गए। गत वर्ष नवम्बर में सुप्रीम कोर्ट ने बजरी खनन पर रोक लगा दी। इसके बाद से बजरी माफिया सिर उठाने लग गए। पुलिस की नाकामी के चलते समानान्तर एक नया माफिया खड़ा हो गया। लूनी, केबीएचबी व बनाड़ थानों में दो माह के दौरान कई एफआईआर भी दर्ज हुई, इसके बावजूद माफिया बेकाबू है।
अंधेरा होते ही शुरू होते हैं काले कारनामे बजरी खनन पर रोक लगने के बावजूद शहर के आस-पास ग्रामीण क्षेत्रों में अंधेरा होते ही बजरी माफिया सक्रिय होने लग जाते हैं। जो जेसीबी की मदद से बजरी का एक जगह स्टॉक करते हैं और फिर मध्यरात्रि बाद से लेकर तड़के तक धड़ल्ले से सप्लाई करते हैं।
ढाई से तीन गुना दरों पर खरीद, निर्माण जारी शहर व आस-पास के क्षेत्रों में निर्माण कार्य चल रहे हैं। हालांकि इनकी संख्या में कमी जरूर आई है। पांच-छह हजार रुपए में मिलने वाला बजरी का ट्रक 13-14 हजार रुपए में मिलने लगा है। मकान मालिक या ठेकेदार को भुगतान भी पहले करना पड़ता है।
लग्जरी कारों से एस्कॉर्ट बजरी माफिया किस कदर हावी होता जा रहा है उसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रोक के बाद शहर के किसी भी हिस्से में बजरी की सप्लाई हो रही है। लग्जरी कारों में डम्परों को एस्कॉर्ट भी किया जाता है। तीन दिन पहले बनाड़ रोड से आरटीओ रेलवे क्रॉसिंग की तरफ एस्कॉर्ट कर रही कार के पीछे तीन-चार डम्पर तेज रफ्तार से बीजेएस में घुसने की सूचना मिली थी। इनमें तीन डम्पर बजरी के बताए गए थे। पुलिस ने तलाश भी करवाई, लेकिन कुछ हाथ नहीं लग पाया था