जोधपुर

बिना हरे चारे-पानी के ‘बे-चारा’ वन्यजीव

 
पत्रिका अभियान -संकट में माचिया-1
-75 लाख सालाना बजट के बावजूद सड़ी-गली सब्जियां खाने को मजबूर चिंकारे, चीतल व काले हरिण
– वन्यजीवों को दी जाने वाली खुराक की कोई प्रोपर मॉनिटरिंग नहीं

जोधपुरDec 03, 2020 / 10:23 pm

Nandkishor Sharma

बिना हरे चारे-पानी के ‘बे-चारा’ वन्यजीव

नंदकिशोर सारस्वत
जोधपुर. जिले में ना तो कोई अकाल पड़ा है और ना ही किसी तरह का कोई हरे चारे का संकट है, लेकिन माचिया जैविक उद्यान के एन्क्लोजर में रहने वाले सैकड़ों वन्यजीव पिछले लंबे समय से हरे चारे को तरस रहे हैं। चीतल – चिंकारे तथा काले हरिण को नियमित रूप से हरे चारे की आपूर्ति के नाम पर सड़ी-गली सब्जियां दी जा रही हैं। करीब 75 लाख से अधिक वन्यजीवों की खुराक का बजट होने के बावजूद वन्यजीवों की डाइट का संतुलन बनाए रखने के लिए केवल खानापूर्ति की जा रही है । वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना कि चीतल, काले हरिण, चिंकारे, खरगोश, रोजड़े व अन्य पक्षियों तथा वन्यजीवों के लिए हरे चारे की जरूरत होती है। पिछले लंबे अर्से से चारे की जगह सड़ी-गली सब्जियां, गंदे पानी में उगाई गाजर, मूली, लौकी आदि खिलाई जा रही है।
अंधे हो जाते हैं वन्यजीव
हरे चारे के अभाव में विटामिन ए की कमी से कुछ समय बाद वन्यजीव की नजर कमजोर होने लग जाती है। धीरे-धीरे उन्हें दिन में भी दिखाई देना बंद हो जाता है। हरे चारे के अभाव में नर-मादा दोनों की प्रजनन क्षमता क्षीण होने के अलावा रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी से त्वचा सम्बन्धी रोग भी बढ़ जाते हैं। हरे-चारे की आपूर्ति नहीं होने और उसकी जगह वन्यजीवों को दी जाने वाली वैकल्पिक खुराक की कोई प्रोपर मॉनिटरिंग की व्यवस्था तक नहीं है। जबकि सीजेडए के नोट्स के अनुसार वन्यजीवों को नियमित भोजन, गुणवत्ता जांचने के लिए क्षेत्रीय वन अधिकारी व पशु चिकित्सा अधिकारी को जिम्मेदारी दी गई है।
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दो साल से गायब जू हेल्द एडवाइजरी कमेटी

सीजेडए के मार्गदर्शन के बाद गठित जू हेल्द एडवाइजरी कमेटी की बैठक पिछले दो साल से नहीं हुई है। इस कमेटी में पशु चिकित्सक, वन्यजीव विशेषज्ञ, स्थानीय एनजीओ, डीएफओ व एसीएफ आदि सदस्य होते है। यह कमेटी वन्यजीवों के स्वास्थ्य व नियमित भोजन को लेकर कार्रवाई करती है।
हेल्दी फूड जरूरी
वन्यजीवों को प्राकृतिक आवास में जो चारा मिलता है उसकी गुणवत्ता कई गुणा श्रेष्ठ होती है। माचिया जैविक उद्यान में चारे की जगह हरा रिजका प्रोवाइड करवाया जाता है। लेकिन रिजका ही नहीं मिले तो स्थिति गंभीर है। सीजेडए के निर्धारित मानदंड के अनुसार केप्टिविटी में रखे वन्यजीवों को हेल्दी फूड ही दिया जाना चाहिए।
-डॉ. हेमसिंह गहलोत, सदस्य स्थाई कमेटी राजस्थान राज्य वन्यजीव बोर्ड
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