गुरु हमें जिंदगी संवारने का संदेश देता है। वह संस्कार व परोपकार की भावना पैदा करता है। गुरु हमें जीवन जीने की कला सिखाता है। रामधाम खेड़ापा के गादीपति पुरुषोत्तमदास महाराज मेरे गुरु हैं।
– घनश्याम ओझा
महापौर,जोधपुर
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गुरु को पूर्ण सम्मान मिले
गुरु का प्रथम स्थान होता है। गुरु सैदव पूज्य है। गुरु का सम्मान हमेशा होना चाहिए। गुरु के बिना ज्ञान अधूरा है। गुरु के बिना किसी की भी सफलता संभव नहीं है। कोशिश यह करना चाहिए कि जब कोई गुरु पधारे तो उसे पूर्ण सम्मान मिले।
-बी एल कोठारी, संभागीय आयुक्त,जोधपुर ( divisional commisoner B L kothari )
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गुरु सही राह दिखाता
हम अच्छे गुरु के सान्निध्य में बहुत कुछ सीखते हैं। जब व्यक्ति उदास, निराश होता है, भटकाव और अंधकार की स्थिति होती है तो गुरु ही सही राह दिखाता है। आज की सामाजिक स्थिति में गुरु को महत्व, सम्मान और आदर मिलना चाहिए।
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गुरु से ही मार्गदर्शन
जीवन में जब भी मार्गदर्शन की जरूरत होती है तो हम गुरु को ही याद करते हैं। जो भी हमारी अच्छी आदतें या विचार हैं वेकहीं न कहीं हमें गुरु से ही मिले हैं। जीवन में हमारे जो भी गुरु हैं उनका आदर सत्कार होना चाहिए।
-प्रकाश राजपुरोहित, जिला कलक्टर, जोधपुर ( District collector prakash rajpurohit )
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गुरु ज्ञान का सागर
गुरु जीवन का मार्गदर्शक है। गुरु ज्ञान का सागर है। उनके आशीर्वाद से ही व्यक्ति आगे बढ़ता है। गुरु हमें ज्ञान अर्जित करने के लिए मोटिवेट करता है। शिक्षाविद,इतिहासकार और अंग्रेजी कवि डॉ. एल एस राठौड़ मेरे गुरु हैं।
-डॉ. गुलाबसिंह चौैहान, कुलपति, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर ( Dr Gulabsingh chohan vice chancellor )
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गुरु ज्ञानरूपी सूर्य
गुरु शब्द में गु का अर्थ है अंधकारी और रु का अर्थ है प्रकाश अर्थात गुरु वह है जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। अज्ञानता से ज्ञान की ओर उन्मुख करता है। गुरु ज्ञानरूपी सूर्य है। गुरु वह है जो संसार से सर्वथा मुक्त न होने पर भी संसार का त्यागी है और मुक्ति की आराधना में मस्त है।
-अनिता कक्कड़ शिक्षाविद, जोधपुर ( Educationist Anita kakkarh )