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जोधपुर

पत्नी व पुत्री के साथ हंसी-खुशी लौटा था ससुराल से, फिर दी तीनों ने जान

– ट्रेन से कटकर दम्पती के मासूम पुत्री के साथ जान देने का मामला- दो माह पहले ही पिता का हुआ था निधन, कोरोना से आर्थिक मंदी व नए सिरे से काम शुरू करने को लेकर था तनाव

जोधपुरAug 27, 2021 / 02:15 am

Vikas Choudhary

पत्नी व पुत्री के साथ हंसी-खुशी लौटा था ससुराल से, फिर दी तीनों ने जान

पत्नी व पुत्री के साथ हंसी-खुशी लौटा था ससुराल से, फिर दी तीनों ने जान

जोधपुर.
कुड़ी भगतासनी थानान्तर्गत विवेक विहार के पीछे भोमियाजी नगर में रेलवे ट्रैक पर मासूम पुत्री के साथ मालगाड़ी ट्रेन के आगे कूदकर जान देने वाले दम्पती कोरोना की वजह से आर्थिक मंदी और नए सिरे से काम शुरू करने को लेकर तनाव में थे। मथानिया में ससुराल से लौटने के कुछ घंटे बाद ही युवक ने पत्नी व पुत्री के साथ ट्रेन के आगे कूदकर जान दी थी।
थानाधिकारी अमित सिहाग ने बताया कि सालावास में सांखलों का बास निवासी महेन्द्र (२८) पुत्र अंबालाल सांखला व उसकी पत्नी संजू (२३) ने दो वर्षीय पुत्री लक्षिता के साथ ट्रेन के आगे कूदकर बुधवार देर रात जान दी थी। परिजन की तरफ से मर्ग दर्ज करने के बाद मेडिकल बोर्ड गठित कर पोस्टमार्टम कराया गया। तत्पश्चात शव परिजन को सौंप दिए गए। मृतका संजू के पीहर पक्ष ने मृत्यु पर कोई अंदेशा नहीं जताया। मृतका की मृत्यु की जांच एडीएम करेंगे।
तीनों के आधार कार्ड जेब में मिले
एएसआइ हनवंत का कहना है कि महेन्द्र की वर्ष २०१७ में शादी हुई थी। उसे दो साल की पुत्री लक्षिता थी। दो माह पूर्व ही पिता का निधन हो गया था। तीन-चार दिन पहले ही मां का अहमदाबाद में ऑपरेशन कराकर लौटा था। रक्षाबंधन पर वह और पत्नी घर पर ही थे। उसने छोटे भाई से अलग रहने के लिए दो-तीन दिन पहले ही किराए पर मकान लिया था। वह बुधवार को ही पत्नी व पुत्री के साथ मथानिया स्थित अपने ससुराल गया था, जहां से दोपहर बाद ही हंसी-खुशी घर के लिए निकले थे। किसी को भी अंदेशा नहीं था कि दोनों ने आत्महत्या करने की ठान रखी है। तीनों के आधार कार्ड जेब में ही मिले। बाइक भी कुछ दूरी पर खड़ी थी। इससे अंदेशा है कि तीनों ने आत्महत्या की।
नया मकान बनाया, पिता का निधन, किराए पर लिया
पुलिस का कहना है कि मृतक के पिता अम्बालाल के दो पुत्र हैं। महेन्द्र बड़ा पुत्र था। पिता ने कुछ समय पहले ही नया मकान बनाया था। छोटे भाई ने कोरोना काल से पहले ही टाइल्स की दुकान लगाई थी। बड़ा भाई महेन्द्र टाइल्स लगाने का काम करता था। कोरोना काल में आर्थिक मंदी और फिर पिता का निधन होने से वह तनाव में आ गया था। उसके मन व दिमाग में नए सिरे से जिंदगी व व्यवसायी काम करने का तनाव चल रहा था। उसने कुछ दिन पूर्व ही किराए पर मकान लिया था।

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