हैण्डीक्राफ्ट सेक्टर में यह मंदी गत 14 वर्ष बाद की सबसे बड़ी मंदी बताई जा रही है। इससे पूर्व वर्ष 2008 में हैण्डीक्राफ्ट सेक्टर में मंदी आई थी। उस समय करीब 300 हैण्डीक्राफ्ट इकाइयां हुआ करती थी, जिनमें से करीब 70 इकाइयां बंद हो गई थी। वर्तमान समय में भी मंदी की वजह से आयरन व वुडन की करीब 100 इकाइयां काम नहीं होने की वजह से ठप पड़ी है। मैन्यूफेक्चिरंग बंद है व इन इकाइयों में काम कर रहे करीब 10 हजार मजदूरों की अस्थाई छुट्टी कर दी गई है।
इसलिए आई मंदी शिपिंग किराए में हुई असामान्य बढोतरी ने जोधपुर सहित देश के हैण्डीक्राफ्ट निर्यात कारोबार की कमर तोड़ दी है। गत करीब डेढ़-दो वर्षो में जोधपुर से अमरीका जाने वाले कंटेनरों का समुद्री माल भाड़ा करीब चार गुना बढ़ गया है। जो भाड़ा पहले करीब 4-5 हजार डॉलर हुआ करता था, वह अब 16-18 हजार डॉलर हो गया है। इससे कंटेनर में भेजे जाने वाल माल से ज्यादा कीमत समुद्री माल भाड़े की हो गई व बायर को नुकसान होने लग गया, इसलिए बायर ने अपना माल होल्ड कर दिया व नए ऑर्डर भी देने बंद कर दिए। वर्तमान में जोधपुर के निर्यातकों के करीब 1 हजार कंटेनर्स होल्ड पर पड़े है। हालात नहीं सुधरे तो निर्यातकों को आगामी दिनोंं में करीब 1 हजार करोड़ के नुकसान की आशंका है।
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समुद्री भाड़ा बढ़ने से अमरीका सहित कई देशों ने अपना माल होल्ड पर रख दिया है। वहीं, ये देश वुडन फर्नीचर के लिए अन्य देशों की ओर, विशेष रूप से विएतनाम की ओर रुख करने लगे है। विएतनाम में समुद्री भाड़ा करीब 8-10 हजार डॉलर है, ऐसे में बायर विएतनाम से माल मंगवा रहे है। चीन में भी तुलनत्मक रूप से समुद्री माल भाड़ा कम होने से कई देश चीन भी जा रहे है।
फैक्ट फाइल – 4 हजार करोड़ का सालाना टर्न ओवर
– 2000-2500 हैण्डीक्राफ्ट इकाइयां – 800 हैण्डीक्राफ्ट निर्यातक
– 2 लाख आर्टिजन्स-मजदूर रोजगार पा रहे इस उद्योग से – 90 से अधिक देशों में निर्यात हो रहा जोधपुरी हैण्डीक्राफ्ट
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विदेशी ग्राहकों ने निर्यातकों के ऑर्डर होल्ड पर रख दिए है। सरकार से निर्यातकों की बैंक लिमिट बढ़ाने व शिपिंग कम्पनियों के किराए में हुई बढोतरी पर लगाम लगाने की गुजारिश कर रहे है।
भरत दिनेश, अध्यक्ष
— हैण्डीक्राफ्ट फर्नीचर सेक्टर में विश्वव्यापी मंदी है। अमरीका सहित कई देशों ने ऑर्डर देने बंद कर दिए है। बायर्स के रुख से लग रहा है कि आगामी तीन-चार माह तक यह हाल रहेंगे, जो जोधपुर के हैण्डीक्राफ्ट सेक्टर के लिए बड़ा संकट है।
अशोक चौहान, निर्यातक