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कोर्ट कचहरी : इन मामलों की सुनवाई में न्यायालय ने दिए निर्देश, कुछ याचिकाएं हुईं खारिज

locationजोधपुरPublished: Feb 02, 2018 02:13:57 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के पूर्व पिं्रसिपल डॉ अमीलाल भाट की ओर से दायर आवेदन पर सुनवाई तीन सप्ताह के लिए टल गई है।

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३६ विशेष जांचों को पीपीपी मोड पर देने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज


RP BOHRA/जोधपुर. प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की बीमारी का पता लगाने के लिए की जाने वाली जांचों में से ३६ तरह की जांचों को सरकार की ओर से मुख्यमंत्री नि:शुल्क जांच योजना के तहत पीपीपी मोड पर निजी लैब्स को देने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका को राजस्थान हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। सीजे प्रदीप नन्द्राजोग व जस्टिस रामचन्द्रसिंह झाला की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता यशपाल खिलेरी की ओर से दायर इस जनहित याचिका को खारिज करते हुए कहा कि प्रत्येक प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र में जांच के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण महंगा पड़ेगा। इस निर्णय से जांच का बोझ मरीज पर नहीं पडेग़ा व तर्कसंगत पॉलिसी मैटर होने के कारण इस निर्णय में दखल की जरूरत नहीं। आदेश में यह भी कहा गया है कि सरकार की ओर से जो जवाब पेश किया गया है, उससे पता चलता है कि सभी तरह के सैम्पल सरकारी अस्पतालों को भेज दिए जाते हैं, तो काम का बोझ अधिक हो जाएगा। पीपीपी मोड पर सरकार इस बोझ का निर्वाह करेगी तथा मरीजों पर इसका बोझ नहीं पडेग़ा। आदेश में कहा गया है कि तर्कसंगत पॉलिसी निर्णय के क्रियान्वयन के लिए सरकार के तहत कितने ही पैरामेडिकल कार्यरत हैं, कोई फर्क नहीं पड़ता।
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मेडिकल कॉलेज के निवर्तमान प्रिंसीपल के आवेदन पर सुनवाई टली

डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के पूर्व पिं्रसिपल डॉ अमीलाल भाट की ओर से दायर आवेदन पर सुनवाई तीन सप्ताह के लिए टल गई है। गुरुवार को एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के तहत पेश डॉ. भाट के आवेदन पर जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास व जस्टिस विनीत माथुर की खंडपीठ में सुनवाई हुई। इस दौरान डॉ. भाट की ओर से पक्ष रखने के लिए अधिवक्ता निशांत बोडा उपस्थित हुए। लेकिन न्यायमित्र एमएस सिंघवी व एएजी व जीए शिवकुमार व्यास ने कहा कि उनको डॉ. भाट की ओर से पेश किए गए आवेदन की प्रति नही मिली है। इस पर खंडपीठ ने अधिवक्ता बोडा से दोनों ही अधिवक्ताओं को आवेदन की प्रति वितरित करने व दोनों की ओर से तीन सप्ताह में जवाब पेश करने के निर्देश दिए।
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पूर्व डीएसओ के अग्रिम जमानत आवेदन की सुनवाई से इनकार


राशन गेहूं वितरण मामले में गड़बड़ी के चलते एसीबी की ओर से दायर एफआईआर में पूर्व डीएसओ व निलंबित आईएएस अधिकारी निर्मला मीणा की ओर से पेश अग्रिम जमानत आवेदन में जस्टिस मनोज गर्ग ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया। उन्होंने मामले को एक्सेप्शन करते हुए किसी अन्य पीठ में सुनवाई के लिए सूचिबद्ध करने की टिप्पणी के साथ आवेदन लौटा दिया। अब सीजे मामले की सुनवाई किसी अन्य पीठ में करने के आदेश करेंगे। हालांकि पिछले कार्यदिवस पर मंगलवार को जस्टिस गर्ग ने मामले की सुनवाई की थी एवं बचाव पक्ष की ओर से दलीलें भी सुनी, लेकिन समय अभाव के कारण तब सुनवाई अधूरी रही थी। जस्टिस गर्ग की पीठ में गुरूवार को आगे सुनवाई होनी थी, लेकिन उन्होंने इसे एक्सेप्शन करते हुए लौटा दिया।
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समायोजित शिक्षा कर्मियों को आंशिक राहत


राजस्थान समायोजित शिक्षा कर्मी वेल्फेयर सोसाईटी की ओर से दायर याचिका का निस्तारण करते हुए हाईकोर्ट ने राजस्थान वॉलियंटरी रूरल एजूकेशन सर्विस रूल्स २०१० के तहत ग्रांट इन एड प्राप्त निजी स्कूलों से सरकारी स्कूलों में समायोजित कर्मचारियों को आंशिक राहत प्रदान की है। जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास व जस्टिस मनोजकुमार गर्ग की खंडपीठ ने ६८ पृष्ठों के आदेश में इन शिक्षाकर्मियों को पेंशन प्राप्ति का हकदार बताया, वहीं प्रमोशन व कॅरियर एडवांसमेंट आदि के लिए याचिकाकर्ताओं को राज्य सरकार को आवेदन कर सकने की छूट प्रदान करते हुए सरकार से इनके आवेदन पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने के निर्देश दिए हैं।
सोसाईटी अध्यक्ष सरदारसिंह बुगालिया व करीब ९० अन्य की ओर से करीब छह वर्ष पूर्व दायर याचिकाओं में पैरवी करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता महेन्द्रसिंह सिंघवी, मनोज भंडारी, अखिलेश राजपुरोहित, एसएस राठौड़ व राकेश मटोरिया आदि ने पैरवी करते हुए समायोजित कर्मचारियों को अन्य सरकारी शिक्षा कर्मियों की तरह पेंशन व अन्य सेवा निवृत्ति के परिलाभ का भुगतान करने, निजी स्कू लों में की गई नौकरी की वरिष्ठता जोडऩे, प्रमोशन आदि का हक दिए जाने की गुहार लगाई थी। सुनवाई के बाद पिछले दिनों खंडपीठ ने इसका निर्णय सुरक्षित रख लिया था। सरकार की ओर से एएजी पीआर सिंह, दिनेश ओझा, एएजी राजेश पंवार व कुलदीप माथुर व डीएस सोडा ने पैरवी की।
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चार माह में शेट्टी पे कमीशन की सिफारिशों पर विचार करने के निर्देश


राजस्थान उच्च न्यायालय में जस्टिस निर्मल जीत कौर ने न्यायिक कर्मचारियों को राहत प्रदान करते हुवे राज्य सरकार को शेट्टी पे कमिशन की सिफारिशों पर चार माह में विचार करते हुए लक्ष्य-पूर्ण निर्णय किए जाने के निर्देश दिए हैं। एएजी पीआर सिंह ने बताया कि कमिशन की ओर से प्रस्तुत कुल १९ सिफारिशों मे से १३ को पहले ही मान लिया गया था। अब छह सिफारिशों, जिनमें एबीसीडी चार वर्ग बनाने सहित नए पद सृजित करने व प्रत्येक पे-स्केल के साथ एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि दिए जाने की सिफारिश शामिल है। न्यायिक कर्मचारी संघ की आेर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता एचआर सोनी ने इसके साथ ही प्रत्येक वर्ष वर्दी अलाउंस दिए जाने तथा जिला एवं सत्र न्यायधीश के विशेष कार्यकारी सहायक सहित स्टेनों आदि के नवीन पद का सृजन करने की मांग रखी थी। जिसे अब सरकार को प्रेषित कर दिया गया है। हाईकोर्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता जीआर पूनिया ने पैरवी की।
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