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ताकि कोई डॉक्टर तबादले पर स्थगन लेने हाईकोर्ट नहीं पहुंच जाए जोधपुर प्रदेश में सेवारत चिकित्सकों की हडताल का नेतृत्व करने वाले चूरू सीएमएचओ डॉ. अजय चौधरी सहित कुल 12 डॉक्टरो के तबादले के मामले में चिकित्सा विभाग काफी सावचेती बरत रहा है। सूत्रों के अनुसार विभाग अपने ही आदेश को लेकर गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट में कैवियट दायर करेगा । इस बारे में चिकित्सा विभाग ने हाईकोर्ट में विभाग के राजकीय अधिवक्ता से मंत्रणा भी कर ली है। संभावना है कि सवेरे ही हाईकोर्ट में कैवियट दायर कर दी जाए। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यही है कि तबादला होने के बाद चिकित्सक राजस्थान हाईकोर्ट से स्थगन आदेश प्राप्त नही कर ले, इसीलिए कैवियट दायर की जा रही है। कैवियट दायर होने से बगैर सुनवाई के स्थगन आदेश नहीं हो पाएंगे। बताया जा रहा है कि सरकार ने हड़ताल में शामिल डॉक्टर्स का सुबह औचक निरीक्षण करवाते हुए शाम को तबादला करने के आदेश जारी कर दिए थे।
राजस्थान हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा व न्यायधीश विनीतकुमार माथुर की खंडपीठ ने केन्द्रीय मोटरयान अधिनियम १९८९ के नियम ३२ व ८१ के तहत अतिरिक्त शुल्क की लेवी वसूली से सम्बन्धित २९ दिसम्बर २०१६ को जारी अधिसूचना के क्रियान्वयन पर अंतरिम रोक लगाते हुए केंद्र सरकार के सड़क परिवहन व राजमार्ग विभाग और राजस्थान के यातायात आयुक्त को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। खंडपीठ ने यह आदेश याचिकाकर्ता भारतीय जनता वाहन चालक संघ, बीकानेर की ओर से दायर डीबी सिविल रिट पिटिशन की सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए दिए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता वीरेंद्र आचार्य व दर्शन जैन ने कहा कि केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग विभाग की ओर से २९ दिसंबर मोटरयान अधिनियम १९८९ के नियम ३२ व ८१ में किए गए संशोधन के बाद २९ दिसम्बर २०१६ को जारी अधिसूचना विधि व जनहित के विरुद्ध है। इससे वाहन चालकों व मालिकों को भारी नुकसान हो रहा है।
तबादलों के मामले में केविएट कैसे सरकार की ओर से पेश हुई अधिवक्ता श्वेता बोड़ा को संबोधित करते हुए कोर्ट ने कहा कि आमतौर पर सरकार तबादला आदेश में केवियट पेश नही करती है, लेकिन इस मामले में जल्दबाजी दिखाने की कहा आवश्यकता थी। गौरतलब है कि सरकार ने 28 नवम्बर को डॉ. अजय चौधरी सहित 12 चिकित्सकों को तबादला कर दिया था और 30 नवम्बर को हाईकोर्ट में केवियट भी पेश कर दी। शासन उप सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य ग्रुप दो विभाग की ओर से जारी तबादलों पर चिकित्सकों द्वारा स्थगन के लिए याचिका दायर करने की आशंका सता रही थी।