विवि के कुलपति प्रो. राधेश्याम शर्मा ने ग्रीवेंस रिड्रेसल कमेटी की ओर से खुली सुनवाई की बात कही थी। विवि के दस्तावेजों में भी इसका उल्लेख किया लेकिन शनिवार दोपहर 12 बजे विवि के केंद्रीय कार्यालय में सुनवाई शुरू हुई तो बाहर भारी पुलिस बल तैनात था। आम जनता को छोडि़ए, एक बार तो कुलपति ने पुलिसकर्मियों को बैठक में उपस्थित मीडियाकर्मियों को भी बाहर करने के निर्देश दिए। मीडियाकर्मियों के तर्क वितर्क के बाद ग्रीवेंस कमेटी अध्यक्ष प्रो. कमलेश पुरोहित ने अनुमति दी। हालांकि जब मूलङ्क्षसह को वीडियो फुटेज दिखाए गए तब मीडिया को फिर बाहर किया गया।
निर्वाचन अधिकारी प्रो. आरके यादव : यह सच है कि इस बार चुनाव में खारिज मत पिछले चुनावों की तुलना में अधिक हैं। कमेटी चाहे तो खारिज मतों की पुन: जांच करा सकती है। मूल सिंह : अध्यक्ष पद के लिए 9944 मत पड़े। मतगणना में 9911 वोट ही आए। 33 वोट कम थे जो अन्य पदों की प्रत्याशियों की मतपेटियों में डाले गए थे। उन्हें क्यों नहीं गिना गया?
मुख्य चुनाव अधिकारी प्रो. अवधेश शर्मा : यह सामान्य बात है कि कभी कभार अन्य पदों के प्रत्याशियों की मतपेटी में दूसरे पद के प्रत्याशियों के वोट भी आ जाते हैं। लेकिन ऐसे वोट अमान्य माने जाते हैं और मतगणना में शामिल नहंीं होते।
(प्रो. शर्मा के पास इसका कोई जवाब नहीं था) छात्राओं की आपत्तियों पर सवाल केएन कॉलेज में कॉलेज अध्यक्ष पद की प्रत्याशी रेणुका भाटी और निकिता कड़वासरा ने भी मतगणना को लेकर कई बिंदुओं पर एक जैसी आपत्तियां दे रखी थी। छात्राओं की अधिकांश आपत्तियों पर कमेटी अध्यक्ष प्रो. कमलेश पुरोहित का तर्क था कि उन्होंने मतगणना के दौरान लिखित में आपत्ति क्यों नहीं दी। इस पर छात्राओं ने कहा कि, उनको समझने का मौका नहीं मिला, वे नई थी। छात्राओं की कुछेक आपत्तियों पर जरूर निर्वाचन अधिकारियों से जवाब-तलब किया गया।