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कोर्ट कचहरी फाइल : आसाराम और आतंकियों सहित इन मामलों की हुई सुनवाई, पैनल लॉयर्स के ये होंगे नए नियम

locationजोधपुरPublished: Jan 04, 2018 02:15:24 pm

Submitted by:

Harshwardhan bhati

उन्होंने कहा कि मामला संदिग्ध है और बड़ी साजिश के तहत आसाराम को फंसाया है।
 

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RP Bohra/जोधपुर.

आसाराम प्रकरण : बचाव पक्ष ने छात्रा की उम्र पर एक बार फिर दोहराई आपत्ति

पिछले चार साल से अधिक समय से जोधपुर की एक अदालत में चल रहे नाबालिग छात्रा से यौन दुराचार के मामले में आरोपी आसाराम की ओर से अंतिम बहस जारी है। पिछले करीब तीन महीने से अनुसूचित जाति जनजाति के विशिष्ट न्यायालय के पीठासीन अधिकारी मधुसूदन शर्मा के समक्ष आसाराम के अधिवक्ता सज्जनराज सुराणा अंतिम बहस कर रहे हैं। बचाव पक्ष ने बुधवार को फिर आसाराम के ही आश्रम की छात्रा के उम्र से सम्बन्धित दस्तावेज पर आपत्ति जताई और फिर दोहराया कि कोर्ट ने स्कूली स्थानांतरण प्रमाण पत्र को विश्वसनीय साक्ष्य नहीं माना है।उन्होंने कहा कि मामला संदिग्ध है और बड़ी साजिश के तहत आसाराम को फंसाया है। समय अभाव के कारण बहस पूरी नहीं हो पाई। मामले की गुरुवार को फिर सुनवाई होगी। अंतिम बहस के दौरान सरकार की ओर से नियुक्त विशिष्ट लोक अभियोजक पोकरराम विश्नोई और पीडि़ता की ओर से प्रमोदकुमार वर्मा उपस्थित थे।
जारी है समर्थकों का जमावड़ा

हाईकोर्ट की ओर से बार-बार चेतावनी देने के बावजूद आसाराम की प्रत्येक पेशी के समय कोर्ट में समर्थकों का जमावड़ा दिखाई दे रहा है। पुलिस ने कड़ी सुरक्षा में आसाराम को न्यायालय में बुधवार दोपहर ढाई बजे पेश किया। उस समय सैकड़ों समर्थक मौजूद थे।
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छह संदिग्ध आतंकियों की मौजूदगी में चार्ज बहस पूरी

इंडियन मुजाहिदीन का आतंकी नेटवर्क तोड़कर गिरफ्तार किए गए दस आरोपियों के मामले में बुधवार को एडीजे संख्या ३ की अदालत में सभी दस संदिग्ध आतंकियो के खिलाफ आज चार्ज बहस पूरी हो गई । बहस के दौरान दस में से छह आरोपी ही मौजूद थे। जबकि शेष आरोपी पूछताछ के लिए दिल्ली ले जाए गए हैं। अब अगली सुनवाई पर २९ जनवरी को शेष आरोपियों के मौजूद रहने पर उनके चार्ज फ्रेम कर दिए जाएंगे।
हालाकि पहले तो चार्ज बहस आगे नही बढ़ाई जा रही थी, लेकिन बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने पीठासीन अधिकारी जेपीएन पुरोहित से अनुरोध किया कि चार्ज बहस सुन ली जाए और जो आरोपी मौजूद रहे, उन्हें चार्ज फ्रेम कर दिए जाएं। सुनवाई के दौरान जिन छह संदिग्ध आतंकियों को पेश किया गया था, उनमें से बरकत अली, इकबाल मशरफ, मोहम्मद जावेद,जहीर,अशरफ व आदिल अंसारी को पेश किया गया था। वहीं चार संदिग्ध आतंकी मोहम्मद वकार अजहर,मोहम्मद मारूफ,मोहम्मद साकिब व मोहम्मद अम्मार यासीर चारों पूछताछ के लिए दिल्ली की जेल में बंद हैं। अब 29 जनवरी को जो आरोपी मौजूद रहेंगे। उनके खिलाफ चार्ज फ्रेम हो जाएंगे।
गौरतलब है कि एटीएस ने प्रतापनगर थाने में 23 मार्च 2014 को मुकदमा दर्ज करवा कर एक-एक कर सभी आरोपियों को एटीएस की टीम ने गिरफ्तार किया था, जिनके खिलाफ धारा 4,5,6 विस्फोटक अधिनियम,16, 17, 18,18ए,18बी,19,20,23,38 विधि विरुद्ध गतिविधिया निवारण अधिनियम 1967 व धारा- 120 बी,121,121 ए,122,212,465,468,471 आईपीसी धाराओं में चार्जशीट पेश की गई थी।
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ठेकेदार व जेडीए कार्मिकों की जमानत मंजूर


जेडीए में कथित रूप से ए श्रेणी के फर्जी ठेकेदार प्रकरण में जेल में बंद ठेकेदार नरेंद्र सोलंकी व दो जेडीए कर्मचारियों खलील और बजरंग बली की जमानत राजस्थान हाईकोर्ट में मंजूर की गई। जस्टिस जीके व्यास ने एकलपीठ में सुनवाई करते हुए सरकारी वकील से मौखिक रूप से पूछा कि मामले का रिकॉर्ड ही उपलब्ध नहीं है, तो आरोपियों को किस आधार पर गिरफ्तार किया गया। इस पर सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अशोक उपाध्याय ने कहा कि कर्मचारियों ने फाइलें गायब कर दी है। थोड़ा समय और दिया जाए तो बरामद हो सकती हैं। कोर्ट ने दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद एसीबी जयपुर में दायर एफआईआर 122/ 2017 व 111/2016 के आरोपियों के जमानत आवेदन मंजूर कर लिए। सोलंकी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश बोडा ने, जेडीए कर्मचारी खलील की ओर से कौशल शर्मा ने व एलडीसी बजरंग बली की ओर से बीएस राठौड़ ने पैरवी की।
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स्वतंत्र रूप से ५ मामलों में पैरवी कर चुके वकील ही कर सकेंगे आवेदन

राजस्थान हाईकोर्ट विधिक सहायता समिति के चेयरमैन के निर्देशानुसार अब विधिक सहायता समिति में विषयवार सात पैनल बनाए जाएंगे। प्रत्येक में २०-२० पैनल लॉयर्स होंगे। समिति चेयरमैन के निर्देशानुसार क्रिमिनल मैटर्स, सिविल मैटर्स, सर्विस मेटर्स, कॉन्स्टिट्यूशनल-रिट आदि, मेट्रिमोनियल, सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल्स, एनवायरनमेंटल लॉ से सम्बन्धित और लेबर ला से सम्बन्धित मैटर्स में पैनल बनाए जाएंगे। तीन वर्ष तक वकालत के अनुभव के साथ ही कम से कम ५ मामलों में स्वतंत्र रूप से पैरवी कर चुके वकील ही पैनल लॉयर के लिए आवेदन कर सकेंगे।
समिति के पूर्णकालिक सचिव धीरज शर्मा के अनुसार हाइकोर्ट में कम से कम 3 वर्ष प्रैक्टिस सहित हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के लगातार तीन वर्ष से सदस्यता रखने वाले अधिवक्ता इसके लिए आवेदन कर सकेंगे। आवेदक को बार कौंसिल ऑफ राजस्थान से जारी सनद की प्रति भी पेश करनी होगी। इसके अलावा ऊपर लिखित वर्ग में से किसी एक अथवा कईमें उसका कार्यक्षेत्र रहने व वर्ग विशेष में कम से कम पांच फैसलों की प्रति जिनकी पैरवी स्वतंत्र रूप से उसके माध्यम से की गई हो, और जिसका निर्णय गुणावगुण पर किया गया हो, पेश करनी होगी। आवेदक ना तो पक्षकार के लिए उन्हें नियुक्त किया जाएगा, किसी तरह की फीस ले सकेंगे और ना ही लीगल सर्विस से सहायता प्राप्त पक्षकार के खिलाफ मुकदमा नही लड़ सकेंगे। पैनल में आवेदन करने के लिए हइकोर्ट के अधिकृत वेबसाइट पर परफॉर्मा उपलब्ध है। आवेदन करने की आखिरी तारीख 01 फरवरी 2018 है।
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कलक्टर, नगर निगम व जेडीए कमिश्नर के खिलाफ अवमानना याचिका खारिज

राजस्थान हाईकोर्ट ने सुरपुरा बांध क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में तेजी लाने के निर्देश के साथ जिला कलक्टर रविकुमार, नगर निगम आयुक्त ओपी कसेरा, जेडीए आयुक्त दुर्गेशकुमार बिस्सा व जल संसाधन विभाग के एक्सईएन अमरसिंह आदि के खिलाफ दायर अवमानना याचिका खारिज कर दी। सीजे प्रदीप नंद्राजोग व न्यायाधीश रामचंद्रसिंह झाला की खंडपीठ ने यंग ब्लड समिति की ओर से उसके अध्यक्ष महेश गहलोत की ओर से दायर अवमानना याचिका का निस्तारण करते हुए यह आदेश दिया। गहलोत ने हाईकोर्ट की ओर से वर्ष 2015 में एक जनहित याचिका में जारी आदेश की पालना नहीं करने पर अधिवक्ता अनिता गहलोत के माध्यम से अवमानना याचिका दायर की थी।
खंडपीठ ने अपने निर्णय में लिखा है कि तब जिला कलक्टर की अगुवाई में एक समिति बनाई गई थी, जिसके समक्ष गहलोत को इस मामले में अपना पक्ष रखने की पूरी छूट दी गई थी। निर्णय में यह भी लिखा कि अप्रार्थीगण की ओर से एएजी राजेश पंवार की ओर से पेश जवाब का अवलोकन करने से पता चला कि याचिकाकर्ता महेश गहलोत को भी इस समिति का सदस्य बनाया गया था और उन्होंने अपने सुझाव व आक्षेप समिति के समक्ष खुल कर सामने रखे थे। यही नहीं, इस दिशा में कार्य अभी जारी हैं। इस पर खंडपीठ ने सभी अधिकारियों के विरुद्ध दायर अवमानना याचिका खारिज करते हुए सुरपुरा बांध के भराव क्षेत्र में आने वाला अतिक्रमण शीघ्रता से हटाने का आदेश दिया।
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सीआईडी इंस्पेक्टर कोर्ट में पेश, कहा- जयपुर में अटकी हुई है रिपोर्ट


महानगर मजिस्ट्रेट संख्या सात के पीठासीन अधिकारी के समक्ष लूणी प्रधान पद के लिए हुए चुनावों में कथित फर्जीवाड़े को लेकर दायर मामले में अनुसंधान कर रहे अधिकारी सीआईडी जोधपुर रेंज के सीआई सुनील विश्नोई बुधवार को केस डायरी व पालना रिपोर्ट के साथ उपस्थित हुए। मजिस्ट्रेट के बार-बार बुलाने के बावजूद पेश नहीं होने पर राजस्थान उच्च न्यायालय ने आदेश पारित कर अनुसंधान अधिकारी को पालना रिपोर्ट सहित पेश होने का आदेश दिया था।
मजिस्ट्रेट के समक्ष अनुसंधान में देरी पर कोर्ट के सवाल पर अनुसंधान अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि सीआईडी ने अनुसंधान पूरा कर रिपोर्ट जयपुर भेज दी है, लेकिन नमूना हस्ताक्षरों के एफएसएल करवाने के आदेश मिले थे। अब आरोपियों के हस्ताक्षर लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी । इस पर पीठासीन अधिकारी ने सीआईडी को स्पष्ट आदेश दिया कि आगामी दो फरवरी तक अनुसन्धान पूरा कर हर हालत में नतीजा रिपोर्ट न्यायालय में पेश करे।

यह है मामला?

स्थानीय निवासी बाबूलाल की ओर से पुलिस में दर्ज करवाई गई शिकायत में बताया गया कि लूणी पंचायत समिति प्रधान नीरजकंवर सामान्य वर्ग के अंतर्गत आती हैं। उन्होंने राजसंमद जिले के लिए विशेष तौर स्थानीय कृषक राजपूत समाज को दिए गए आरक्षण की आड़ में ओबीसी प्रमाण पत्र बनवाकर प्रधान पद प्राप्त कर लिया। गौरतलब है कि राज्य सरकार ने राजसमंद जिले में केवल तीन तहसील के स्थानीय कृषक राजपूत समाज को अन्य पिछड़ा वर्ग घोषित किया था। यह मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है। मामले की गम्भीरता के मद्देनजर प्रकरण सीआईडी (सीबी ) को सौंपा गया था, लेकिन इसमें लंबे समय तक कोई प्रगति नहीं हुई।
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14 बाल विवाह व 5 मृत्युभोज व अफीम की सभाओं के आयोजन रुकवाए


राजस्थान हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति के अध्यक्ष जस्टिस संगीतराज लोढ़ा के निर्देश पर दिसम्बर 2017 में 14 बाल विवाह व 5 मृत्युभोज व अफीम की सभाओं के आयोजन रुकवाए गए। कुरीतियों व बुराइयों को समाप्त करने की दिशा में पहल करते हुए समाज को नई और सकारात्मक दिशा देने के लिए जस्टिस लोढ़ा ने समिति को आमजन को जोडऩे का प्रयास किया।
हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति के पूर्ण कालिक सचिव धीरज शर्मा के अनुसार समिति को विभिन्न सोशल मीडिया और पत्रों आदि के माध्यम से सूचना मिलती रही कि कहां बाल विवाह, मृत्युभोज एवं अफीम सभाओं का आयोजन हो रहा है। इस जानकारी को समिति अध्यक्ष जस्टिस लोढ़ा के समक्ष प्रस्तुत करने पर उनके निर्देशानुसार संबंधित जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों एवं पुलिस थानों के माध्यम से इन्हें रुकवाने के लिए निर्देशित किया जाता रहा है। समिति से निर्देश प्राप्त होने पर संबंधित पुलिस थानों द्वारा बाल विवाह, मृत्युभोज एवं अफीम सभाओं के आयोजन स्थलों का मुआयना कर जिम्मेदार व्यक्तियों को पाबंद किया गया।
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जेएनवीयू रजिस्ट्रार सहित अन्य शिक्षकों पर एसीबी में परिवाद दर्ज

जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में चल रही सामान्य संकाय शिक्षक भर्ती में विभिन्न शिकायतें मिलने पर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने विवि के कार्यवाहक कुलसचिव सहित अन्य शिक्षकों व कर्मचारियों के विरुद्ध परिवाद दर्ज किया है। यह परिवाद सामान्य संकाय के रोस्टर-रजिस्टर में अनियमितता से सम्बन्धित हैं। ध्यान रहे कि कि एसीबी के समक्ष शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं की विभिन्न शिकायतें पहुंचने पर 15 दिसम्बर को सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. रवि सक्सेना के घर छापा भी मारा था।
जेएनवीयू शिक्षक भर्ती संघर्ष समिति के अध्यक्ष ओमप्रकाश भाटी ने जेएनवीयू में 23 जून की सिंडिकेट बैठक में पारित सामान्य संकायों (कला, वाणिज्य, विधि व विज्ञान) के असली रोस्टर-रजिस्टर को मिलीभगत से खुर्दबुर्द कर के उसके स्थान पर कूटरचित रोस्टर-रजिस्टर बनाने और गलत शिक्षक भर्ती विज्ञापन जारी करने को लेकर एसीबी के जयपुर स्थित मुख्यालय शिकायत भेजी थी। इस सम्बन्ध में परिवाद का परीक्षण करने के बाद एबीबी के महानिदेशक कार्यालय ने परिवाद संख्या एच-4128/2017 (विरुद्ध कार्यवाहक कुलसचिव प्रो. पीके शर्मा एवं अन्य) 20 दिसम्बर 2017 को दर्ज कर लिया। परिवाद में विवि के कार्यवाहक कुलसचिव प्रोफेसर प्रदीपकुमार शर्मा (बी), प्राणिशास्त्र विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. गैमराराम परिहार, सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर रवि सक्सेना, मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर रजत भागवत, वनस्पति विभाग के प्रो. एस. सुन्दरमूर्ति सहित अन्य के विरुद्ध एसीबी ने परिवाद दर्ज किया है।

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